Thursday, June 4, 2015

बस्तर के अंदरुनी क्षेत्र ,सवा सौ गांव फिर बन जाएंगे टापू, आवागमन हो जाएगा ठप

बस्तर के अंदरुनी क्षेत्र ,सवा सौ गांव फिर बन जाएंगे टापू, आवागमन हो जाएगा ठप






Posted:   Updated: 2015-06-03 12:18:17 ISTKanker : 125 Village will become the island, Traffic will be disrupted
रमन सरकार भले ही प्रदेश में विकास का दावा करे, लेकिन उत्तर बस्तर का हाल सरकार के इन दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि इस बारिश में भी जिले के सवा सौ से अधिक गांवों का संपर्क दूसरे गांव से कट जाएगा।


जगदलपुर/कांकेर. रमन सरकार भले ही प्रदेश में विकास का दावा करे, लेकिन उत्तर बस्तर का हाल सरकार के इन दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि इस बारिश में भी जिले के सवा सौ से अधिक� गांवों का संपर्क दूसरे गांव से कट जाएगा। यहां रहने वाले ग्रामीणों के लिए दूसरे गांव जाने को कच्ची या पक्की सड़क भी नहीं है।
जिले में 55 ग्रामीण सड़कें अभी भी प्रगतिशील हैं, जबकि 61 से अधिक सड़कें अभी और बनाई जानी बांकी है, जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति के लिए विभाग ने प्रस्ताव भेजा हुआ है।� दरसअल एक गांव को दूसरे गांव से जोडऩे के लिए राज्य शासन द्वारा ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण द्वारा सड़कें बनाने का कार्य कराया जाता है।
इसके तहत पिछले 15 सालों में जिले में सवा दो सौ से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है। जबकि�� सौ से अधिक गांवों के लोगों को दूसरे गांव तक जाने के लिए या तो सड़क है नहीं या फिर बनाई जा रही है।

229 सड़कें ही बना पाए

मिली जानकारी के मुताबिक प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वर्ष 2000 से 2014 तक जिले में 32270 लाख रुपए की लागत से 11270 किलोमीटर की 305 सड़कें स्वीकृत हुई,� इनमें से राष्टीय ग्रामीण सड़क अभिकरण्ण द्वारा 20 सड़कों की स्वीकृति को निरस्त कर दिया गया। अभी तक 229 सड़कों का काम पूरा किया गया बांकी बची 56 सड़कों में से एक को पीडब्ल्डूडी को सौप दिया गया और 55 सड़कें विभाग द्वारा बनवाई जा रही हैं।
विभाग द्वारा मुख्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद निजी एजेंसियों के माध्यम से पक्की सड़कों का निर्माण कराया जाता है। सड़क निर्माण के लिए विभाग टेण्डर जारी करता है। नई सड़क निर्माण के लिए विभाग द्वारा हर वर्ष प्रस्ताव बना कर मुख्यालय को भेजा जाता है इस वर्ष भी विभाग ने 61 सड़कों की स्वीकृति के लिए मुख्यालय को पत्र भेजा है।� योजना के तहत सबसे धीमा काम या बुरी स्थिति कोयलीबेड़ा और दुर्गूकोंदल विकासखण्ड की है। यहां कार्य धीमा या बंद होने का कारण या तो माओवादी क्षेत्र है या फिर ठेकेदार की उदासीनता के कारण काम पूरा नहीं हो पा रहा है।
ग्रामीणों को परेशानी
                
सड़क न होने के कारण बारिश के दिनों में यहां रहने वाले ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामान करना पड़ता है। बारिश के पहले ही ग्रामीणों को राशन व अन्य जरूरी सामान पहले से ही खरीद कर रखना पड़ता है। वहीं बारिश के समय ही खुलने वाले स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे दूसरे गांव में खुली स्कूल भी नहीं जा पाते। सड़क न होने के कारण इन गांवों में अगर कोई बीमार भी पड़ जाता है तो 108 एम्बुलेंस तक नहीं आती,� सड़क न होने के कारण अस्पताल तक पहुंचते हुए मरीज भी दम तोड़ देते हैं। बरसात के मौसम में तो मरीजों क्या सही लोगों के लिए भी बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा।\

फैक्ट फाइल 

स्वीकृत सड़के   305
लंबाई              1181.63 किमी
निरस्त सड़कें   20
राशि               32270.77 लाख
पूर्ण सड़कें       229
काम बाकी      55
प्रस्तावित      61
15 जून से बंद हो जाएगा काम

जिले में सवा सौ से अधिक गांव के लोगों को दूसरे गांव जाने के लिए सड़क तक नसीब नहीं है। बारिश के दिनों में इन गांवों के लोग दुनिया से कट जाते हैं। इनमें से एक दर्जन सड़कों का निर्माण कार्य तो टेण्डर के बाद भी शुरू नहीं किया गया है, जबकि 40 सड़के ऐसी हैं जहां ठेकेदार द्वारा धीमी गति से काम कराया जा रहा है। ऐसे में इन गांव में रहने वाले लोगों को इस बारिश भी अपने गांव में ही कैद होकर रहना पड़ेगा। बारिश शुरू होते ही ठेकेदार द्वारा सड़क के डामरीकरण सहित अन्य कार्य बंद कर दिया जाता है। जो सीधे अक्टूबर के आखिरी महीने में ही शुरू किया जाता है।
- सड़कों का कार्य प्रगति पर है। कुछ स्थानों पर ठेकेदार विलंब कर रहे हैं, जिन पर कार्रवाई करते हुए उनके टेण्डर निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है।
एस के राठौर, प्रभारी पीएमजीएसवाय कांकेर �
- विष्णु कुमार सोनी

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