कोल डस्ट से जीना मुहाल प्रबंधन नहीं ले रही सुध
लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
पाण्डवपारा/कटकोना [नईदुनिया ]
कोयलांचल क्षेत्र पाण्डवपारा में रहने वाले लोग कोल डस्ट की समस्यां से परेशान हो रहे हैं वर्तमान समय में सड़कों पर जिस तरह कोल डस्ट उड़ रहा है उस वजह से न सिर्फ लोगों की दिक्कतें बढ़ गई है बल्कि इस डस्ट से कई बीमारियां भी लोंगो को हो रही हैं कोयलांचल के पाण्डवपारा खदान से लेकर पटना साइडिंग तक कोल डस्ट का गुबार है यहां पर पूरे दिन सड़कों से कोयले का डस्ट उड़ता रहता है और शाम को तो इस डस्ट की वजह से नजारा ऐसा हो जाता है ठीक से सड़क भी नजर नहीं आतीि।
यहां सड़क के किनारे व्यापारी वर्ग व ग्रामीणों के आवास में आये दिन कोल डस्ट जमी रहती है जिस वजह से इन व्यापारियों के कारोबार पर भी असर पड़ता है ठंड व गर्मी में यह समस्या और बढ़ जाती है कोल डस्ट की समस्या से लोगों को निदान नहीं मिल पा रहा है कालरी प्रबंधन भी इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही ।
२४ घंटे वाहनों का आवागमनि
सहक्षेत्र पाण्डवपारा में खदान होने के कारण यहां कोयले से लदी डम्फर व हाईवा २४ घंटे चलते हैं इन वाहनों से कोयले के छोटे-छोटे टूकड़े सड़को पर गिरते रहते हैं जो वाहनों के पहिए में दबकर डस्ट बन जाती है और वाहनों के आवागमन के दौरान उड़कर लोगों के चेहरे, कपड़े व आंखों में घूसते हैं जो बीमारी को आमंत्रण देने जैसा है वहीं लोगों की माने तो उनके घर, दुकान के अन्दर डस्ट घूस जाता है जिसे रोजाना साफ करना लोगों के लिए अतिरिक्त कार्य बन गया है प्रतिदिन साफ कपड़े सुबह से शाम तक गंदे हो जाते हैं जिससे लोगों में काफी आक्रोश है व कालरी प्रबंधन से इस समस्या से निजात दिलाने की मांग कर रहे हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है
वाहनों का ओवर लोड डस्ट का मुख्य कारण
प्रतिदिन २४ घंटे इन सड़कों पर डम्पर व टे्रलर क्षमता से अधिक कोयला लेकर बिना तिरपाल के दौड़ते हैं जिस वजह से इन ओव्हरलोड वाहनों से कोयले गिरकर सड़कों पर आता है और उन्हीं ट्रकों के पहियों से पीसकर डस्ट बन लोगों के चेहरे, कपड़े, आंखों व घर, दूकानों में पड़ता है जो डस्ट का मुख्य कारण व लोगों की परेशानी बना हुआ है
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