विकास मेले पर भारी आदिवासियों की हुंकार
भोपालपटनम से हुई शुरुआत
मौलिक हक को लेकर आदिवासी हो रहे एकजुट, सभी दलों के कार्यकर्ता शामिल हो रहे आंदोलन में
जगदलपुर केन्द्र सरकार के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य पर जहां जिला मुख्यालयों में विकास मेला आयोजित कर सत्ता पर काबिज जनप्रतिनिधि सरकार की उपलब्धियों का जमकर गुणगान कर रहे हैं वहीं आदिवासी बहुल बस्तर के ग्रामीण मौलिक हक के लिए सड़कों पर उतर कर विकास के दावों को ठेंगा दिखा रहे हैं
बस्तर में आदिवासियों के हालिया दो बड़े प्रदर्शनों से यह संदेश भी सामने आ रहा है कि ग्रामीण भी जल, जंगल और जमीन की परम्परागत लड़ाई को दरकिनार कर बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में बदहाल स्थिति से उबरने के लिए अब कमर कस चुके हैं बस्तर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह हो या मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए जहां प्रशासन को पसीने छूट गए और सलवा जुडूम पार्ट-२ व सीपीआई को भी अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिल सका वहीं चिलचिलाती धूप और लू के माहौल में आदिवासियों का अपने बुनियादी हक के लिए एकजूट होकर सड़कों पर उतरना परिवर्तन की एक नई इबारत लिख रहा है
जगदलपुरं बास्तानार ब्लाक मुख्यालय किलेपाल में सोमवार को एकत्रित ग्रामीणों को नेताओं ने बिजली, पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई व १३ सूत्रीय मांगों को लेकर २९ मई को बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के ३५ पंचायतों के दस हजार से अधिक ग्रामीणों ने ब्लॉक मुख्यालय में विशाल रैली निकाल कर प्रदर्शन किया वहीं एक जून को इसी तरह की पुनरावृत्ति बास्तानार ब्लॉक के मुख्यालय किलेपाल में हुई जहां ३० ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने विद्युतीकरण व राशन कार्ड निरस्तीकरण का विरोध करते धरना देते हुए चक्का जाम किया और आगे उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दीमूलभूत आवश्कताओं की पूर्ति न होने से ग्रामीणों में उपज रहे असंतोष से जमीनी भाजपा कार्यकर्ताओं को भी अपने वजूद की चिंता हो रही है और वे भी पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों के आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं किलेपाल की सभा में भाजपा अनुसूचित जनजाति के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व सांसद प्रतिनिधि लिंगोराम पोयाम ने कहा कि वे बास्तानार ब्लॉक के जनभावनाओं के साथ हैं ग्रामीण अपना हक मांग रहे हैं ब्लॉक की उपेक्षा अब बर्दास्त नहीं की जाएगीकिलेपाल में ग्रामीणों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राजमन बेंजाम ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि पहले बहुत सारी मांगों को एकत्र कर प्रदर्शन किया जाता था इससे सफलता नहीं मिलती थी और शासन-प्रशासन द्वारा भी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जाता था अब एक मांग को लेकर प्रदर्शन तब तक किया जाएगा जब तक उस समस्या का निराकरण नहीं हो जाता अभी बिजली और राशन कार्ड निरस्तीकरण की लड़ाई लड़ी जा रही है वहीं शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होते ही स्कूलों में शिक्षकों व अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन किया जाएगा
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