सोशल साइट्स पर है ठगों की नजर, इन जानकारियों को न करें शेयर
बिलासपुर. अभी बैंक अकाउट नंबर, एटीएम कार्ड पर दिए 16 डिजिट वाले नंबर की जानकारी किसी से शेयर नहीं करने की सलाह दी जाती थी लेकिन अब आपकी जन्म तारीख पर भी हैकर्स की नजर है। वे जन्म तारीख को प्रोग्राम की हुई साइट से सर्च करते हैं, जिससे संबंधित व्यक्ति की पूरी प्रोफाइल सामने आ जाती है।
सोशल साइट्स पर अकाउंट बनाने की जल्दबाजी में जन्म तारीख, एड्रेस, मोबाइल नंबर आदि सब कुछ डाल दिया जाता है। यह हैकर्स के लिए सबसे अासान तरीका होता है, जन्म कुंडली जानने का। जाने-अनजाने हम ऐसी कई जानकारियां फेसबुक और टि्वटर पर साझा करने लगे हैं, जिनके बारे में आमतौर पर किसी से जिक्र तक नहीं किया करते थे। पहले हर महीने पांच या सात मामले खाते से रुपए निकालने या ऑनलाइन शॉपिंग करने के आते थे। अब इनमें तेजी आ गई है। रोजाना एक प्रकरण हो रहा है।
इधर, रोजाना लोग फर्जी फोन कॉल्स से खाते से रुपए निकाल जाने के शिकार हो रहे हैं। बैंक और पुलिस प्रशासन मदद नहीं कर रहे हैं। बैंकों से एटीएम में इस संबंध में टोल फ्री नंबर लिखे पोस्टर लगाने के अलावा कुछ नहीं किया जा रहा। खाते से रुपए निकालने लेने के मामलों के शिकार लोगों का अनुभव टोल फ्री नंबरों को लेकर भी ठीक नहीं है। उनका कहना है कि नंबर लगता ही नहीं है। परेशान होकर नजदीक के संबंधित बैंक में जाओ तो वहां से जिस ब्रांच में खाता है, वहां जाने की सलाह दी जाती है।
जबकि दूसरे शहरों में नौकरी करने या फिर कई मौकों पर बाहर होने पर तत्काल ब्रांच जाना संभव नहीं होता। इसी तरह एटीएम में लूटने या फिर चोरी के एटीएम कार्ड से पैसे निकाल लेने के मामलों में सीसीटीवी फुटेज समेत अन्य मदद के लिए बैंक अफसरों पर हाथ पीछे खींचने के आरोप लगते हैं। लोगों का कहना है कि बैंकों को समय-समय पर शिविर लगाना चाहिए, जागरुकता के लिए रैली भी निकालनी चाहिए।
ठगी के छह तरीके तथा उनसे बचने के उपाय
- आपको आरबीआई के नाम पर फेक ई-मेल भेजा जाता है। इसमें यूके में लगी किसी लॉटरी को पाने ई-मेल के जरिए पैनकार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक नाम, ब्रांच और अकाउंट की जानकारी मांगी जाती है। ठग आपके बैंक अकाउंट की जानकारी हासिल कर पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। इस तरह के झांसे में कतई न फंसे। अगर आपके साथ ऐसा धोखा होता है तो साइबर सेल में इसकी शिकायत करें।
- एलआईसी की पॉलिसी में बहुत लोगों का निवेश है, इसको देखते हुए कुछ लोग एलआईसी बोनस के नाम पर लोगों से ठगी कर रहे हैं। ऐसे कॉलर की पहचान और आईआरडीए से जारी उनके लाइसेंस को वेरिफाई करें। कोई भी शिकायत होने पर co_crm_fb@licindia.com पर शिकायत करें।
- आईआरडीए के नाम पर कॉल कर लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसी बेचना। आईआरडीए कोई इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं बेचता सिर्फ इंश्योरेंस कंपनियों को रेगुलेट करता है। आप आईआरडीए के टोल फ्री नंबर 155255 पर शिकायत करें।
- नामी कंपनियों के नाम पर ई-मेल के जरिए नौकरी के ऑफर देना। ये लोग पहले सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं फिर नौकरी लगवाने पैसों की मांग करते हैं। ऐसे किसी जॉब ऑफर के मिलने पर सीधे उस कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट से संपर्क करें।
- कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर भारी रिटर्न का वादा। अगर कोई कंपनी आपसे ऐसी स्कीम में निवेश करने कहती है तो पहले जांच करें कि वह सेबी में रजिस्टर्ड है कि नहीं। आपको कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम से कोई शिकायत है तो सेबी के टोल फ्री नंबर 1800 266 757 पर कॉल करें।
- आपने लकी मोबाइल नंबर में 10 लाख रुपए का काॅन्टैस्ट जीता है। अपना पेनकार्ड व खाता नंबर बताएं जिससे राशि ट्रांसफर की जा सके। आपका खाता आधार से लिंक किया जा रहा है, कृपया खाते की डिटेल दें। आपने फलां चैनल में दिखाए जाने वाले विज्ञापन में सही जवाब देकर काॅटैंस्ट जीता है। आपको इनोवा दी जा रही है। रजिस्ट्रेशन के लिए 20000 रुपए बताए गए खाते में भेजने होंगे।
- आपको आरबीआई के नाम पर फेक ई-मेल भेजा जाता है। इसमें यूके में लगी किसी लॉटरी को पाने ई-मेल के जरिए पैनकार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक नाम, ब्रांच और अकाउंट की जानकारी मांगी जाती है। ठग आपके बैंक अकाउंट की जानकारी हासिल कर पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। इस तरह के झांसे में कतई न फंसे। अगर आपके साथ ऐसा धोखा होता है तो साइबर सेल में इसकी शिकायत करें।
- एलआईसी की पॉलिसी में बहुत लोगों का निवेश है, इसको देखते हुए कुछ लोग एलआईसी बोनस के नाम पर लोगों से ठगी कर रहे हैं। ऐसे कॉलर की पहचान और आईआरडीए से जारी उनके लाइसेंस को वेरिफाई करें। कोई भी शिकायत होने पर co_crm_fb@licindia.com पर शिकायत करें।
- आईआरडीए के नाम पर कॉल कर लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसी बेचना। आईआरडीए कोई इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं बेचता सिर्फ इंश्योरेंस कंपनियों को रेगुलेट करता है। आप आईआरडीए के टोल फ्री नंबर 155255 पर शिकायत करें।
- नामी कंपनियों के नाम पर ई-मेल के जरिए नौकरी के ऑफर देना। ये लोग पहले सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं फिर नौकरी लगवाने पैसों की मांग करते हैं। ऐसे किसी जॉब ऑफर के मिलने पर सीधे उस कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट से संपर्क करें।
- कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर भारी रिटर्न का वादा। अगर कोई कंपनी आपसे ऐसी स्कीम में निवेश करने कहती है तो पहले जांच करें कि वह सेबी में रजिस्टर्ड है कि नहीं। आपको कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम से कोई शिकायत है तो सेबी के टोल फ्री नंबर 1800 266 757 पर कॉल करें।
- आपने लकी मोबाइल नंबर में 10 लाख रुपए का काॅन्टैस्ट जीता है। अपना पेनकार्ड व खाता नंबर बताएं जिससे राशि ट्रांसफर की जा सके। आपका खाता आधार से लिंक किया जा रहा है, कृपया खाते की डिटेल दें। आपने फलां चैनल में दिखाए जाने वाले विज्ञापन में सही जवाब देकर काॅटैंस्ट जीता है। आपको इनोवा दी जा रही है। रजिस्ट्रेशन के लिए 20000 रुपए बताए गए खाते में भेजने होंगे।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी के क्लर्क को भी बना लिया शिकार
मई 2015 को सरकंडा चटर्जी गली निवासी व सेंट्रल यूनिवर्सिटी के क्लर्क चंद्रनाथ मिश्रा इसी तरह की ठगी के शिकार हुए। उनके मोबाइल पर काॅल करने वाले ने खुद को पंजाब नेशनल बैंक का अफसर बताया। उसने एटीएम ब्लाॅक होने का डर दिखाकर पिन नंबर पूछकर खाते से 9900 रुपए निकाल लिए। बाद में वे बेटे को लेकर थाने गए और रिपोर्ट दर्ज करवाई।
पलक झपकते ही युवक के एकाउंट से 50 हजार निकाले
16 अगस्त 2014 को जबड़ापारा निवासी मुकेश मिश्रा के एसबीआई खाते से 50 हजार रुपए निकाले गए। काॅलर ने खुद को बैंक अफसर बताया। उसने युवक से एटीएम नवीनीकरण की तिथि खत्म होने तथा एटीएम बंद होने की चेतावनी दी। युवक झांसे में आ गया और उसे कार्ड व कोड नंबर बता दिया। मोबाइल पर खाते से 50 हजार रुपए आहरण होने का मैसेज आया।
एटीएम नंबर पूछा, खाते से निकाल लिए 52 हजार रुपए
27 मई को कोटा फिरंगीपारा का 28 वर्षीय युवक ठगी का शिकार हो गया। उसके मोबाइल पर कॉल करने वाले ने खुद को बैंक आला अफसर बताया और एटीएम कार्ड पर दर्ज 16 डिजिट का कोड लेकर खाते से 52 हजार रुपए निकाल लिए। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मार्फत शॉपिंग की थी। ठगी के बाद उसने अपना मोबाइल नंबर भी बंद कर दिया।
27 मई को कोटा फिरंगीपारा का 28 वर्षीय युवक ठगी का शिकार हो गया। उसके मोबाइल पर कॉल करने वाले ने खुद को बैंक आला अफसर बताया और एटीएम कार्ड पर दर्ज 16 डिजिट का कोड लेकर खाते से 52 हजार रुपए निकाल लिए। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मार्फत शॉपिंग की थी। ठगी के बाद उसने अपना मोबाइल नंबर भी बंद कर दिया।
अपनी व परिजनों की डेट ऑफ बर्थ: ज्यादातर लोग जन्मदिन की तारीख फेसबुक या अन्य सोशल साइट पर मेंशन करते हैं, हमें इससे बचना चाहिए। अगर मेंशन करनी भी हो तो बर्थ ईयर के बारे में जानकारी न दें।
रिलेशनशिप स्टेटस : चाहें आप रिलेशन में हों या न हों, सार्वजनिक न करें। उन लोगों को मौका मिल जाता है जो आप पर नजर रख रहे हैं। उन्हें यह भी पता चल जाता है कि आप ज्यादातर समय अकेले रहते हैं। बेहतर होगा कि प्रोफाइल में रिलेशनशिप स्टेटस को ब्लैंक छोड़ें।
करंट लोकेशन: ऐसे कई लोग हैं जो फेसबुक या अन्य साइट पर लोकेशन टैग कर देते हैं ताकि बता सकें कि 24 घंटे व सात दिन कहां रहते हैं। अगर यह भी बता दें कि आप कितने दिनों के लिए बाहर हैं तो चोरों का काम आसान हो जाता है।
करंट लोकेशन: ऐसे कई लोग हैं जो फेसबुक या अन्य साइट पर लोकेशन टैग कर देते हैं ताकि बता सकें कि 24 घंटे व सात दिन कहां रहते हैं। अगर यह भी बता दें कि आप कितने दिनों के लिए बाहर हैं तो चोरों का काम आसान हो जाता है।
घर पर अकेले हैं तो रखें खास एेहतियात : पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि जब वे बच्चों के साथ घर पर अकेले हों तब इस बारे में फेसबुक अकाउंट पर कुछ न लिखें। हमें लगता है कि सिर्फ हमारे दोस्त ही हमारा स्टेटस पढ़ रहे हैं, लेकिन इसके अलावा भी न जाने कितने लोग निगाह रखे होते हैं।
बच्चों की तस्वीरें, उनके नाम से टैग न करें: आप बच्चों की तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं तो उनका पूरा नाम और डेट ऑफ बर्थ की जानकारी देने से बचें। इस जानकारी का फायदा अवांछित तत्व आपकेे परिवार के अन्य छोटे बच्चों या सदस्यों को बहलाने में कर सकते हैं।
बिहार के जामताड़ा व देवधर जिले से हो रहा संचालन
फोन के जरिए ठगी का संचालन बिहार के जामताड़ा व झारखंड के देवधर जिले से हो रहा है। लोगों के पास जितने भी ऐसे काॅल आए हैं, सभी इन्हीं जिलों से हैं। ये लोग झांसा देने सिम आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल की इस्तेमाल करते हैं। ठगी को अंजाम अपने ही प्रदेश में बैठकर देते हैं। बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके लोग ही इस काम को अंजाम दे रहे हैं। उन्हें बैंकों के कामकाज की बारीकियां पता होती हैं। - हेमंत आदित्य, प्रभारी, साइबर सेल, बिलासपुर
पुलिस के आने की सूचना मिलते ही भाग निकलते हैं
लोकल पुलिस जब आरोपियों को पकड़ने जाती है तो उन्हें इसकी खबर मिल चुकी होती है। वे भाग जाते हैं। ऐसा कई बार हुआ जब आरोपियों की तलाश में पुलिस
लोकल पुलिस जब आरोपियों को पकड़ने जाती है तो उन्हें इसकी खबर मिल चुकी होती है। वे भाग जाते हैं। ऐसा कई बार हुआ जब आरोपियों की तलाश में पुलिस
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