करोडो का धान हर साल होता है नष्ट , 68 लाख क्विंटल धान खुले में
प्रदेश के विभिन्न संग्रहण केंद्रों में अब भी 68 लाख क्विंटल धान का उठाना नहीं हो सका है। पिछले साल भी बारिश में 34 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा था
रायपुर. प्रदेशभर में चौबीस घंटे से लगातार हो रही बारिश के बीच संग्रहण केंद्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ा लाखों क्विंटल धान के बड़े हिस्से पर बर्बादी का खतरा मंडरा रहा है। प्रदेश के विभिन्न संग्रहण केंद्रों में अब भी 68 लाख क्विंटल धान का उठाना नहीं हो सका है। पिछले साल भी बारिश में 34 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा था, जिसका काफी हिस्सा खराब भी हो गया था। हालांकि धान को भीगने से बचाने के लिए केंद्रों को बंद कर इसके उठाव पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। पत्रिका ने सोमवार को विभिन्न संग्रहण केंद्रों का जायजा लिया।
कई जगह धान भीगने लगा है। धान बोरियों के आसपास जलभराव होने लगा है। ज्यादातर जगहों पर कैप-कवर की व्यवस्था तक नहीं की गई है। यही हाल रहा तो करीब 900 करोड़ों का धान खराब हो सकता है। जल्द सुरक्षित नहीं किया गया तो धान का बड़ा हिस्सा नमी का शिकार होकर खराब हो जाएगा। बिना प्लेटफार्म के जमीन पर धान की बोरियों के बीच महज भूसे से भरी बोरियां रखी हैं। धान में नमी इसी हिस्से से आती है। इससे अंकुरण भी आने लगेगा।
ज्यादातर जिलों में धान जाम
धमतरी जैसे एक-दो जिले ही हैं, जहां के संग्रहण केंद्रों से धान मिलिंग के लिए उठाया जा चुका है। अकेले रायपुर जिले में आठ संग्रहण केंद्रों में 14 लाख क्विंटल धान का उठाव होना शेष है। इसी तरह बिलासपुर जिले में भरनी, बिल्हा, कोटा, मोपका, सेमरताल, पेंड्रा में धान संग्रहण केंद्रों में मानसून की पहली बारिश में 60 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान भीग गया। कवर्धा जिले के दो संग्रहण केंद्र बाजार चारभाठा और डबराभाठ में 29 हजार 891 मीट्रिक टन धान अब भी जाम पड़ा है। विभागीय लापरवाही की वजह से कांकेर जिले में अब भी 5768� मिट्रिक टन धान कैप कवर में ढ़ककर बाहर ही पड़ा हुआ है। इसकी उठाव की तिथि प्रशासन द्वारा 20 जून निर्धारित की गई थी। जांजगीर-चांपा में 80 हजार क्विंटल धान का उठाव शेष है। यही हाल अन्य जिलों का है, लेकिन हर जगह अधिकारी दावा कर रहे हैं कि संग्रहण केंद्र में बचे हुए धान को कहीं कोई खतरा नहीं है।
नहीं बनाए पक्के प्लेटफार्म
धान को नमी या भीगने से बचाने के लिए सारे संग्रहण केंद्रों पर पक्के प्लेटफार्म बनाने की योजना है। लेकिन अब तक राज्य के आधे से भी कम संग्रहण केंद्रों पर पक्के प्लेटफार्म बनाए गए हैं। अधिकतर केंद्रों में बोरियों में भूसा भरकर उसके ऊपर धान की थप्पियां लगाई जाती है।
बारिश से सभी संग्रहण केंद्रों के धान को सुरक्षित करने की दिशा में कदम उठाया गया है। सभी केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में कैप कवर भेजे गए है। �
सीआर जोशी, जिला प्रबंधक ,मार्कफेड, बिलासपुर
20 जून तक धान उठाव का निर्देश राइस मिलों को दिया गया था लेकिन अब भी धान बाहर पड़ा हुआ है। धान खराब हुआ तो राइस मिलर्स पर कार्रवाई होगी।
जीआर ठाकुर, खाद्यान्न अधिकारी, कांकेर
जिले के दो संग्रहण केंद्रों में करीब 25 हजार मैट्रिक टन से अधिक धान रखा हुआ है। कैप कवर की पर्याप्त व्यवस्था है। जल्द ही उठाव कराने के लिए मिलरों को निर्देश दिया गया है।
आरएस लहिमोर, डीएमओ जिला विपणन रायगढ़
संग्रहण केंद्रों में धान को कैप कवर से अच्छी तरह से ढंककर रखा गया है। भींगने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है।
आरसी गुलाटी, सहायक खाद्य अधिकारी, रायपुर
संग्रहण केंद्रों की स्थिति
89 राज्य में संग्रहण केंद्र
1594922 क्विंटल मोटा धान
2764604 क्विंटल पतला धान
2451163 क्विंटल सरना धान
6810696 क्विंटल कुल धान
1976 राज्य में उपार्जन केंद्र
19602 टन उपार्जन केंद्रों में बचा
जिला केंद्रों में धान जाम
14 लाख क्विंटल रायपुर में
59959 क्विंटल दुर्ग-भिलाई
80 हजार क्विंटल जांजगीर चांपा
06 लाख क्विंटल बिलासपुर
2.5 लाख क्विंटल रायगढ़
03 लाख क्विंटल कवर्धा
60 हजार क्विंटल क
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