“माओवादी होने के आरोप में पिछले पांच साल से तिहाड़ में बंद कोबाड गांधी ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। जेल से लिखे पत्र में उन्होंने बीमारी के बावजूद हो रहे कथित उत्पीड़न का खुलासा किया है। ”
पांच साल पहले प्रतिबंधित माओवादी पार्टी का सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए कोबाड गांधी ने तिहाड़ जेल में हो रहे कथित उत्पीड़न के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने जेल से एक चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी दी है। 68 वर्षीय कोबाड गांधी ने आरोप लगाया है कि तमाम बीमारियों के बावजूद उन्हें बार-बार एक वार्ड से दूसरे वार्ड में डाला जा रहा है। वह कई बार जेल प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनका उत्पीड़न बंद नहीं हुआ। आखिकार उन्हें अनिश्चिकालीन भूख हड़ताल शुरू करनी पड़ी। कोबाड गांधी पिछले पांच दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। उनके वकीलों ने उन्हें वरिष्ठ नागरिकों के वार्ड में रखने के लिए दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर की है। जिन पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।
पत्र में कोबाड गांधी ने लिखा है कि ह्रदय रोग, किडनी की समस्या, गठिया, स्लिप डिस्क, पीठ दर्द जैसी कई बीमारियों की वजह से बार-बार जगह बदलना उनके लिए बेहद पीड़ादायक है। पिछले 9 महीने में उन्हें 3 बार वार्ड बदलना पड़ा। पहले उन्हें जेल नंबर 3 में रखा गया था, फिर जेल नंबर एक में भेजा गया। वहां से जेल नंबर भेजा और फिर वापस जेल नंबर तीन में ले आए। कुछ हफ्ते पहले उन्हें बलात्कारियों और हत्यारों के बीच जेल नंबर 8 में डाल दिया है। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2012 में तिहाड़ जेल प्रशासन को वरिष्ठ नागरिकों का विशेष ख्याल रखने का आदेश दिया था। इसके बावजूद कोबाड गांधी को वरिष्ठ नागरिकों को जेल में मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।
हालांकि, कोबाड गांधी के खिलाफ लगे आरोप अभी तक साबित नहीं हुए हैं। लेकिन पिछले साढ़े पांच साल से वह एक विचाराधीन कैदी के तौर पर जेल में हैं। उधर, तिहाई जेल के अधिकारियों का कहना है कि कोबाड गांधी हाई रिस्क कैदी के तौर पर जेल में आए थे। इसलिए उन्हें जेल में मिलने वाली बेहतर सुविधाएं देना मुश्किल है। वैसे जेल में उनका आचरण आदर्श कैदी की तरह रहा है। लेकिन जेल के नियम-कायदों का पालन करना जरूरी है।
दून स्कूल से माओवादी विचारक तक
मुंबई के रईस पारसी परिवार में पैदा हुए कोबाड गांधी की शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल और मुंबई के जेवियर्स कॉलेज से हुई। इसके बाद वह चार्टर एकाउंटेंसी की पढ़ाई करने लंदन चले गए। लंदन में ही वह मार्क्सवादी विचारधारा के करीब आए। सत्तर के दशक में भारत लौटने के बाद उन्होंने देश के विभिन्न इलाकों में आदिवासियों और गरीब जनता के साथ काम करना शुरू किया। दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद वर्ष 2011 में उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई थी कि उनके साथ राजनीतिक बंदी की तरह बर्ताव किया जाए न कि दोष सिद्ध हो चुके अपराधी की तरह।
20 से ज्यादा मुकदमे
वर्ष 2009 में कोबाड गांधी को दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस से गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस समय भी वह अपनी किडनी का इलाज करा रहे थे। उन्हें माओवादी विचारक माना जाता है लेकिन अभी तक उन पर राज्य के खिलाफ हिंसा फैसला के आरोप साबित नहीं हुए हैं। देश भर में उनके खिलाफ करीब 20 मुकदमे चल रहे हैं।
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