जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM), दिल्ली समर्थन समूह (DSG) तथा झुगी झोपड़ी एकता मंच के कार्यकत्ताओं ने 3 जून 2015 को दिल्ली के कोपरनिकस मार्ग-स्थित महाराष्ट्र सदन के सामने आवास हक सत्याग्रह, मंडाला (मुंबई) के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया. समाजकर्मियों ने महाराष्ट्र सदन के सामने शहरी गरीबों को प्रताडित करने और उनकी भूमि पर जबरन कब्जा करने के खिलाफ नारे लगाए और महाराष्ट्र के अतिरिक्त स्थानिक आयुक्त (Assistant Resident Commissioner) ने भवन के मुख्या द्वार पर आकार प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लिया, जिसे उनकी उपस्थिति में पढकर सबके सामने सुनाया गया.
ज्ञात रहे कि मुंबई के मंडाला में पिछले 8 दिनों से आवास हक सत्याग्रह जारी है. दस साल पहले 2004-05 में मुंबई के मंडाला से विस्थापित कर दिए गए हजारों झुग्गी-बस्तीवासी, 26 मई, 2015 से अपनी जमीन पर घर बनाने के हक को लेकर ऐतिहासिक धरने पर बैठे हैं. घर बचाओ, घर बनाओ आन्दोलन ने आवास हक सत्याग्रह की शुरुआत मंडाला के निवासियों के साथ, बस्तीवासियों के समर्थन से की. शहर भर से करीब 5,000 बस्तीवासी एक हफ्ते से सत्याग्रह पर बैठे हुए हैं. इस सत्याग्रह से सरकार का दोगुलापन उजागर होता है, एकतरफ सरकार मंडाला राजीव आवास योजना पायलट प्रोजेक्ट के तहत कार्यान्वित करने में असफल होने के बावजूद लोगों से झूठा वादा कर रही है, वहीं दूसरी ओर, ताजा खबर के मुताबिक बिल्डर और कॉर्पोरेट लॉबी के समर्थन पीपीपी मोडल के तहत फंड का आवंटन करके राजीव आवास योजना में फेरबदल कर रही है.
आठ दिनों से सत्याग्रह जारी है और अब भी सरकार प्रदर्शनकारियों से संवाद कायम करने से इंकार कर रही है. विरोध जारी है, पर हमें यह आशंका है कि जल्द ही लोगों के खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही की जा सकती है. मंडाला के लोगों के इस संघर्ष को सही ठहराया जाना चाहिए और हमें इसके समर्थन में खड़ा होना चाहिए. इन प्रवासी मजदूरों की बेदखली और विस्थापन को रोके जाने की जरुरत है और तभी शहरी जगह और संसाधनों पर वे अपने हक का दावा कर सकेंगे.
ज्ञात रहे कि मुंबई के मंडाला में पिछले 8 दिनों से आवास हक सत्याग्रह जारी है. दस साल पहले 2004-05 में मुंबई के मंडाला से विस्थापित कर दिए गए हजारों झुग्गी-बस्तीवासी, 26 मई, 2015 से अपनी जमीन पर घर बनाने के हक को लेकर ऐतिहासिक धरने पर बैठे हैं. घर बचाओ, घर बनाओ आन्दोलन ने आवास हक सत्याग्रह की शुरुआत मंडाला के निवासियों के साथ, बस्तीवासियों के समर्थन से की. शहर भर से करीब 5,000 बस्तीवासी एक हफ्ते से सत्याग्रह पर बैठे हुए हैं. इस सत्याग्रह से सरकार का दोगुलापन उजागर होता है, एकतरफ सरकार मंडाला राजीव आवास योजना पायलट प्रोजेक्ट के तहत कार्यान्वित करने में असफल होने के बावजूद लोगों से झूठा वादा कर रही है, वहीं दूसरी ओर, ताजा खबर के मुताबिक बिल्डर और कॉर्पोरेट लॉबी के समर्थन पीपीपी मोडल के तहत फंड का आवंटन करके राजीव आवास योजना में फेरबदल कर रही है.
आठ दिनों से सत्याग्रह जारी है और अब भी सरकार प्रदर्शनकारियों से संवाद कायम करने से इंकार कर रही है. विरोध जारी है, पर हमें यह आशंका है कि जल्द ही लोगों के खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही की जा सकती है. मंडाला के लोगों के इस संघर्ष को सही ठहराया जाना चाहिए और हमें इसके समर्थन में खड़ा होना चाहिए. इन प्रवासी मजदूरों की बेदखली और विस्थापन को रोके जाने की जरुरत है और तभी शहरी जगह और संसाधनों पर वे अपने हक का दावा कर सकेंगे.
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