Sunday, June 7, 2015

सुकमा में सीआरपीएफ के 14 जवानों की मौत की जांच ठप

सुकमा में सीआरपीएफ के 14 जवानों की मौत की जांच ठप









Posted:   Updated: 2015-06-08 10:55:06 ISTRaipur : 14 soldiers death into the sukma investigation stalled
सुकमा में एक दिसंबर-2014 को माओवादी हमले में सीआरपीएफ के 14 जवानों की जान जाने के मामले की जांच ठप है। अफसरों की लापरवाही से कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है।










. सुकमा में एक दिसंबर-2014 को माओवादी हमले में सीआरपीएफ के 14 जवानों की जान जाने के मामले की जांच ठप है। वरिष्ठ आईपीएस अफसरों की लापरवाही और राज्य की पुलिस के असहयोग को लेकर होने वाली कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है।
सीआरपीएफ में आईजी और जांच टीम के सदस्य एनसी अस्थाना ने पत्रिका से बातचीत में माना कि जांच टीम के लीडर स्पेशल डीजी विवेक दुबे के मार्च में सेवानिवृति के बाद से इनक्वायरी ठप है। जानकारी के मुताबिक दुबे ने भी मामले को लेकर कुछ खास रुचि नहीं दिखाई थी। इसके अलावा टीम में शामिल अफसरों का बार-बार स्थानांतरण किया जाता रहा।

दो जांच, दोनों बेनतीजा

एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, जांच के दायरे में कई आईपीएस अधिकारी भी आ रहे हैं। जिस समय यह वारदात हुई, तब छत्तीसगढ़ के आईजी एच.एस.सिद्धू थे। हमले के बाद दो तरह की जांच शुरू की गई।
एक जांच डीआईजी संजय कुमार कर रहे थे, जो माओवादी हमले से संबंधित थी। दूसरी, सीआरपीएफ ने पूर्व स्पेशल डीजी विवेक दुबे के नेतृत्व में आंतरिक जांच शुरू की, जिसमें राज्य में तैनात अफसरों की चूक की तहकीकात करनी थी। घटना के महज 15 दिनों में सीआरपीएफ ने 223 बटालियन के कमांडिंग अफसर और 203 कोबरा बटालियन के उप कमांडेंट को कोलकाता जोनल मुख्यालय से संबद्ध कर दिया। उनको कमांड में असफल होने और माओवादियों द्वारा हथियारों की लूट को नाकाम नहीं कर पाने का दोषी पाया गया था।

यहां एनआईए निष्क्रि

झीरम घाटी में 11 मार्च 2014 को हुए माओवादी हमले में 16 लोग मारे गए थे, जिनमे 80 बटालियन सीआरपीएफ� के 15 जवान शामिल थे। इस मामले में एनआईए की जांच भी अब तक एक कदम नहीं बढ़ पाई है। प्राथमिकी दर्ज किए जाने के तकरीबन डेढ़ साल बाद भी कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। इस मामले की जांच एनआईए की लखनऊ यूनिट के अधिकारी कर रहे हैं।
मैं इस मामले के बारे में अधिकारियों से जानकारी लूंगा। किसी अधिकारी के सेवानिवृति से जांच की प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए।
प्रकाश मिश्र, डीजी, एसीआरपीएफ
(आवेश तिवारी
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