मानव तस्करी : वे दिल्ली जाते हैं बेटियों को खोजने, मिलती है मायूसी[ चौथी क़िस्त ]
दुनियाभर से लोग देश की राजधानी दिल्ली घूमने पहुंचते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों से अभागे माता-पिता को अपनी बेटियों की तलाश के लिए वहां जाना पड़ रहा है।
रायपुर. दुनियाभर से लोग देश की राजधानी दिल्ली कुतुबमीनार, लाल किला और राष्ट्रपति भवन जैसे स्थानों को देखने के लिए पहुंचते हैं, लेकिनछत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों से अभागे माता-पिता को अपनी बेटियों की तलाश के लिए वहां जाना पड़ रहा है। वजह है कि उनकी हंसती-खेलती बेटियों को मानव तस्करों ने नरक में धकेल दिया है। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों से तस्करी कर ले जाए रहे मासूमों की पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में ऐसे बूढ़े माता-पिता मिले, जिन्हें अपनी बेटियों को तलाशने के लिए कर्ज लेकर, अपना घर, गाय-बैल बेचकर पैसा जुटाना पड़ा और कांक्रीट के जंगल में दर-दर की ठोंकरें खानी पड़ी।
मिलीं बेटी की हड्डियां
जशपुर जिले के बगीचा तहसील के महुआडीह गांव निवासी हेमसाय चौहान की बेटी अलोचना बाई को भी विलियम नाम के दलाल� ने दिल्ली में बेच दिया। हेमसाय बताते हैं, विलियम बार-बार उनके घर आकर कहता था कि गरीबी दूर करना चाहते हो तो बेटी को दिल्ली भेज दो। बेटी भी जिद करने लगी तो उसे जाने दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद गांव से थोड़ी दूर स्थित एसटीडी-पीसीओ में फोन आया कि उनकी बेटी बीमार है, आकर देख लो। वे गाय-बैल बेचकर दिल्ली पहुंचे तो पता चला कि बेटी को अस्पताल के फ्रिज में रखा गया है। उसके आसपास कोई नहीं था। अस्पताल वालों ने 29 हजार 160 रुपए का बिल भी थमा दिया। पराए शहर में इतने पैसे कहां से लाता। अस्पताल वाले के हाथ-पांव जोड़े तो लाश मिल पाई। हेमसाय का गला यह बताते हुए रुंध जाता है कि बेटी का चेहरा देखने के लिए कफन उठाया तो सिर्फ हड्डियां नजर आई।\
कर्ज तो चुका दूंगा, बस बेटी मिल जाए
रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ ब्लॉक के कापू में देवसाय की बेटी जुलेता को दलाल जनार्दन ने दिल्ली में बेच दिया था। जनार्दन अब जेल में है। देवसाय ने दिल्ली जाकर बेटी को खूब तलाशा पर वह नहीं मिली। अब वह 10 हजार रुपए का कर्जदार भी हो गया है। देवसाय कहते हैं, पैसे तो चुका दूंगा, बस बेटी मिल जाए।
(राजकुमार सोनी)
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