आदिवासियों की जमीन लेने में राज्य सरकार बेरहम
मंत्रालय ने रिपोर्ट को अब तक गुप्त रखा है, लेकिन पत्रिका को इसकी मिली कॉपी के मुताबिक प्रदेश में 25 वर्षों में कुल 1 लाख 54 हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है
रायपुर. छत्तीसगढ़ में भू-अधिग्रहण की सबसे ज्यादा मार आदिवासी झेल रहे हैं। पिछले एक दशक में भूमिहीन जनजातियों की संख्या 21 फीसदी बढ़ गई है। यह चौंकाने वाला खुलासा केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय द्वारा गठित खाखा कमेटी की रिपोर्ट से हुआ है। हालांकि, मंत्रालय ने रिपोर्ट को अब तक गुप्त रखा है, लेकिन पत्रिका को इसकी मिली कॉपी के मुताबिक प्रदेश में 25 वर्षों में� कुल� 1 लाख 54 हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। बिलासपुर में सर्वाधिक 54 हजार 928 एकड़ भूमि विकास कार्यों के लिए अधिग्रहीत की गई। इसके बाद रायपुर में किसानों की जमीनें ली गईं।
माओवाद से मुकाबले के लिए भी अधिग्रहण
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में भूमि का सर्वाधिक अधिग्रहण जल संसाधनों, औद्योगिक पुनर्संरचना के निर्माण और माओवाद से मुकाबले के लिए सैन्य उद्देश्यों के तहत किया गया। रायपुर में वर्ष 1982 से लेकर 2007 तक 39293 एकड़ और माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा में इस दौरान 617 एकड़, बस्तर में 8794 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। औद्योगिक पुनर्संरचना के निर्माण में 80 के दशक की तुलना में 90 के दशक और उसके बाद 100 गुना वृद्धि हुई। रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य में ऐसे आदिवासियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है।
संवेदनहीनता का भी जिक्र
रिपोर्ट में भूमि संबंधी विवादों में आदिवासियों के प्रति संवेदनहीनता का भी जिक्र है। रमन सिंह के पहले कार्यकाल में आदिवासियों की भूमि को लेकर 47304 मामले विभिन्न अदालतों मे लंबित थे, जिनमें से 21,348 मामलों में आदिवासियों के पक्ष में निर्णय हुआ। खाखा कमेटी ने सीबीसीआई की केस रिपोर्ट का जिक्र है, जिसमें जशपुर के मनौर ब्लॉक में गुलूहाइड्रो इले. प्रा. लि. ने आदिवासियों की 90 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की थी और प्रभावित 31 परिवारों को फर्जी चेक बांटा था। शारदा एनर्जी व मिनरल लि. द्वारा अधिसूचित भूमि खरीदने और वीडियोकॉन द्वारा 1200 मेगावाट की परियोजना के लिए जांजगीर चाम्पा में आदिवासियों की 28 हेक्टेयर कृषि भूमि खरीदने का भी जिक्रहै।
नया रायपुर के लिए 8447.344 हेक्टेयर कुल भूमि
4500 किसानों की संख्या
852.90 करोड़ रुपए मुआवजा
-आवेश तिवारी
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