गुमनामी में खो गए चार पंचायत के ३३ गांव
चार हजार ग्रामीण अब भी गांवों में राशन लाने में तीन दिन ,समस्या पेयजल की,वनोपज है मुख्य जरिया
[मो. इरशाद खान भोपालपटनम]
सलवा जुडूम शुरू होने के बाद बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के अंतर्गत चार ग्राम पंचायतों के ३३ गांवों में निवासरत ग्रामीण गुमनामी के अंधरों में खो गए हैं
ब्लॉक मुख्यालय से ८० किमी दूर रहने वाले इन ग्रामीणों तक कोई भी शासकीय योजनाएं नहीं पहुंच रही हैं शासन की ओर से यहां प्राथमिक शिक्षा और आंगनबाड़ी की व्यवस्था भी नहीं की गई हैसलवा जुडूम प्रारंभ होने के बाद वर्ष २००५ में भोपालपटनम ब्लॉक के ग्राम पंचायत सेण्ड्रा के ग्रामीणों को मद््देड़ तथा एड़पल्ली, बड़े काकलेड़ तथा केरपे के ग्रामीणों को ब्लॉक मुख्यालय के पास वरदली, एड़ापल्ली, अनंतपुर, पीलूर के अस्थाई राहत शिविरों में बसाया गया था परंतु कुछ ग्रामीण पुश्तैनी घर गांव छोड़ने का मोह त्याग नहीं पाए पंचायत के नाम पर शासन की योजनाएं राहत शिविरों तक ही पहुंच पाती हैं तथा ग्राम पंचायत के पंच-सरपंच भी वहीं रहते हैंभोपालपटनम ग्राम पंचायत सेण्ड्रा के इन बच्चों को न तो आंगनबाड़ी कीसुविधा मिल रही है और न ही अक्षर ज्ञान के लिए स्कूलपंचायत के गांवों में निवासरत लोग पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधाओं से कोसों दूर हैं सरकारी सुविधाएं उन तक भी पहुंचनी चाहिए।
पूनेम सरिता, सरपंच
सेण्ड्राजिन गांवों में लोग निवासरत हैं ,उनके बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल, कुपोषण दूर करने आंगनबाड़ी केन्द्र व पात्रता रखने वालों को पेंशन मिलना चाहिए पर इससे ग्रामीणों को वंचित रखा जाना दुर्भाग्यजनक है
चिनाका वासम, सरपंच बड़े काकलेड़सेण्ड्रा, एड़पल्ली, बड़े काकलेड़ तथा केरपे ग्राम पंचायत की आबादी १८ हजार से अधिक है इनमें से अभी भी ४००० हजार से अधिक ग्रामीण मूल गांवों में निवासरत हैं प्राप्त जानकारी के अनुसार सेण्ड्रा ग्राम पंचायत के अंतर्गत रालापल्ली, जारेगुड़ा, चेरपल्ली, चिपनपल्ली, पंदीवाया, सेण्ड्रा गांवों में करीब १५००, बड़े काकलेड़ पंचायत के कन्लापड़ती, पेन्कुदुर, नीलमडगू, सपीमरका, मारवाड़ा, पीलुर, आनापुर, बड़े काकलेड़, छोटे काकलेड़, टेकमेटा, पुलगुंडाम, इरपागुटा नामक १२ गांवों में करीब १०००, एड़पल्ली पंचायत के पालसेगुण्डी, गर्तुल, आरापली, काकेरा, कुर्ता, गुन्डपुरी, एड़पल्ली इन ७ गांवों में करीब ९०० तथा केरपे पंचायत के पेनकुदुर, नेतिकाकलेड़, पासेगुण्डी, नैतिबाड़, करकावाड़ा, माजीपेटी, केरपे इन ७ गांवों में करीब ८०० ग्रामीण निवासरत हैंचार पंचायतों के ३३ गांवों में निवासरत ग्रामीणों को सरकार द्वारा पीडीएस के तहत प्रदत्त चावल, मिट््टी तेल व चना लेने गांव से करीब ८० किमी की दूरी तय कर ब्लॉक मुख्यालय पहुंचना पड़ता है गांव से मुख्यालय आने व वापस लौटने में ग्रामीणों को तीन दिन से अधिक समय लग जाता हैसेण्ड्रा, एड़ापल्ली, बड़े काकलेड़, केरपे ग्राम पंचायतों के ३३ गांवों में सर्वाधिक है इरपागुड़ा में ३ हैण्डपंप हैं जिनमें से एक खराब है चपकीमरका में सभी ६ हैण्डपंप खराब हैं
ग्रामीण गोटा किशोर, इरपा गुड््डा ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि बिगड़े हैण्डपंपों का संधारण महीनों बाद हो पाता हैभोपालपटनम सेण्ड्रा में बंद पड़ा हैण्डपंपगुमनामी की मार झेल रहे वनांचल के इन ३३ गांवों के ग्रामीणों की आय का मुख्य जरिया वनोपज संग्रहण है जंगल से तेन्दू पत्ता, शहद, महुआ, टोरा आदि का संग्रहण करते हैं जिसे बेचने १० किमी दूर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के बाजार में जाते हैं
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