आदिवासियों की तस्करी पर लगेगी उत्पीडऩ की धारा
Posted:2015-06-23 10:18:06 IST Updated: 2015-06-23 10:18:06 IST
असवाल ने कहा है कि मानव तस्करों पर धारा 363 एवं 370 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाता है तो वे किसी भी तरह से गवाहों को प्रभावित कर जल्द ही बरी हो जाते हैं
रायपुर. सामान्य तौर पर आदिवासी इलाकों से गुम अथवा तस्करी की शिकार बालिकाओं के मामले में धारा 363 और 370 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता था, लेकिन अब आदिवासी इलाकों से होने वाली मानव तस्करी पर एट्रोसिटी एक्ट (अनुसूचित जनजाति अधिनियम) की धारा 3 (2) (5) के तहत भी अपराध पंजीबद्ध किया जा सकेगा। राज्य के अपराध अनुसंधान शाखा ने अभी हाल के दिनों में सभी जिलों के कलक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को परिपत्र जारी कर इस नियम का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश के जशपुर, कोरिया, कोरबा, रायगढ़ और बस्तर के एक बड़े भू-भाग में मानव तस्करी की समस्या नासूर बन चुकी है। तमाम तरह की सरकारी कवायद और सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद छोटे बच्चों और बालिकाओं की तस्करी पर विराम नहीं लग पा रहा है। अभी हाल के दिनों में आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव एनके असवाल ने राज्य के अपराध एवं अनुसंधान शाखा को एक पत्र लिखकर कड़ी फटकार लगाई है।
असवाल ने कहा है कि मानव तस्करों पर धारा 363 एवं 370 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाता है तो वे किसी भी तरह से गवाहों को प्रभावित कर जल्द ही बरी हो जाते हैं और फिर उसी काम में उनकी संलिप्तता दिखाई देती है। प्रमुख सचिव ने कहा है कि यदि पुलिस स्थानीय तस्करों पर एट्रोसिटी की धारा के तहत भी कार्रवाई करेगी तो काफी हद तक तस्करी पर विराम लग सकेगा। वहीं अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध होने पर इस वर्ग के बच्चों को इसका लाभ� भी मिलेगा।
दिग्गज आएंगे
मानव तस्करी पर विराम लगाने के लिए अभी हाल के दिनों में उच्च न्यायालय बिलासपुर में देश के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं और न्यायाधीशों ने दो दिनों तक मंथन किया था। राज्य की मानव तस्कर निरोधक ईकाई ने एक बार फिर २६ जून को दिग्गजों की बैठक आहुत की है। इस बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता गुम हुए बच्चों को खोजने का प्रशिक्षण देंगे। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन के प्रमुख पदाधिकारी भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे।
सतर्कता कमेटी की बैठक भी अनिवार्य
अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1995 की धारा 16 (2) में यह प्रावधान है कि साल में तीन मर्तबा राज्य स्तरीय सतर्कता कमेटी की बैठक अनिवार्य रूप से होनी चाहिए, लेकिन इस कमेटी की बैठक भी अनियमितता का शिकार हो गई है। असवाल ने परिपत्र में कमेटी की बैठक जल्द से जल्द बुलाए जाने पर भी जोर दिया है।
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