Tuesday, June 2, 2015

कबीर

कबीर 


ना मैं बकरी ना मैं भेड़ी, ना मैं छुरी गंडास में ।
नही खाल में, नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस में ॥
ना मैं देवल, ना मैं मसजिदस ना काबे कैलाश में ।

ना तो कोनी क्रिया-कर्म में, न ही जोग-बैराग मे ॥
खोजी होय तुरंतै मिलिहौं, पल भर की तलास में
मै तो रहौं सहर के बाहर, मेरी पुरी मवास मे
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसों की सांस में॥
मोको कहां ढूंढे तू बंदे मैं तो तेरे पास में।।

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