ग्रामीणो कहा किसी भी कीमत पे स्टील प्लांट लिए जमींन नहीं देंगे ,ग्रामसभा में प्रस्ताव पास
मोदी सरकार ने भू अधिग्रहण कानून लाकर ग्राम सभा के पॉवर का कम कर दिया है। शहरी इलाके में जमीन की कमी हो गई है इसलिए आदिवासी इलाकों की जमीन पर सरकार की नजर गड़ गई है।
जगदलपुर. डिलमिली इलाके में लगने वाले अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट को लेकर सोमवार को हुई तीन ग्राम सभाओं में विरोध के स्वर मुखर हुए। ग्राम पंचायत डिलमीली, काटाकांदा, बारूपाटा और मंडवा में हुए इन ग्राम सभाओं में विधायक दीपक बैज सहित ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों ने भी मोदी सरकार के विरोध में आवाज बुलंद की। सुबह से ही तीनों ग्राम सभाओं के लिए लोग पहुंचते रहे। सभाओं में महिलाओं की संख्या ज्यादा नजर आई।
सभा को संबोधित करते हुए विधायक बैज ने कहा कि कांग्रेस सरकार के राज में जमीन अधिग्रहण के लिए ग्रामसभा की अनुमति जरूरी थी इसलिए ग्रामसभा ताकतवर थी। मोदी सरकार ने भू अधिग्रहण कानून लाकर ग्राम सभा के पॉवर का कम कर दिया है। शहरी इलाके में जमीन की कमी हो गई है इसलिए आदिवासी इलाकों की जमीन पर सरकार की नजर गड़ गई है। मोदी सरकार यदि वास्तव में आदिवासियों का विकास चाहती है तो कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। अनपढ़ आदिवासी के लिए मेगा स्टील प्लांट में कोई काम नहीं होगा। इसलिए यह प्लांट आदिवासी विरोधी है। बैज ने जमीन ना देने के लिए ग्रामीणों को एकजूट होकर सामने आने का आह्वान किया। अन्य पंच-सरपंच व सचिवों ने भी अपने अपने इलाके में हुई ग्रामसभाओं में मेगा स्टील प्लांट के लिए जमीन नहीं देने के लिए ग्रामीणों से हस्ताक्षर कराया।
तीसरा विरोध
तीनों ग्राम सभाओं के लिए पृष्ठभूमि प्लांट के लिए नौ मई को हुए एमओयू के साथ ही शुरू हो गया था। विरोध जताने के� लिए यह इस इलाके के ग्रामीणों का यह तीसरा प्रयास है। पहले कम्यूनिस्ट के बैनर लिए हजारों ग्रामीणों ने पदयात्रा निकाली थी। इसके बाद कांग्रेस के सात विधायकों ने काटाकांदा में संयुक्त होकर प्लांट विरोध के लिए मरने- मारने की बात कही थी। विरोध की तीसरी आवाज ग्रामसभा के ओर से आने से प्रशासनिक हलकों में सुगबुगाहट तेज हो गई
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