Tuesday, June 23, 2015

रायगढ़ में रेल कॉरिडोर लिए भूमि अधिग्रह मुश्किल में ,तीन गॉव ने मुआवजा लेने से किया इंकार


रायगढ़ में रेल कॉरिडोर लिए भूमि अधिग्रह मुश्किल में ,तीन गॉव ने मुआवजा लेने से किया इंकार 



ग्रामीणों को मनाने में जुटे अधिकारी, तीन गांव के ग्रामीणों ने शासन द्वारा तय मुआवजा लेने से किया इनकार
रायगढ़ (निप्र)। जिले में बनने वाले 102 किमी के रेल कॉरीडोर निर्माण प्रथम चरण के धरमजयगढ़-भूपदेवपुर के बीच भूमि अधिग्रहण का मामला लटक सकता है। दरअसल कुछ गांव के ग्रामीण शासन द्वारा तयशुदा मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है। ग्रामीणों का तर्क है कि पूर्वजों से जिस पर कमाते खाते चले आ रहे हैं उसे शासन चंद लाख रुपए में लेकर हमें दर-दर की ठोकर खाने छोड़ा जा रहा है। भूमि अधिग्रहण से मिलने वाले लाख रुपए चंद दिनों में ही खत्म हो जाएंगे, इसके बाद क्या होगा। तब न तो कृषि भूमि रहेगी और न ही सरकार नौकरी दे रही है। ऐसे में जीवकोपार्जन का कोई साधन न होने से रोजी मजदूरी के लाले पड़ जाएंगे।
मामले में प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों से चर्चाओं का दौर चल रहा है, मामला कोई गंभीर नहीं है। शासन के नियमानुसार ग्रामीणों को समझाइश दी जा रही है, ग्रामीण मान जाएंगे। ज्ञात हो कि भुपदेवपुर-धरमजयगढ़ रेल कॉरीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण का काम 30 जून तक पूरा करना है। लेकिन तीन गांव पुसल्दा, चीतापाली व बेहरामुड़ा के ग्रामीणों ने शासकीय दर 8 से 10 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया। दरअसल में इस क्षेत्र के ग्रामीण शुरू से ही रेल कॉरीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर अपनी दर तय करते हुए प्रशासन के समक्ष मांग पत्र सौंपा था। जिसमें बाजार दर से 5 गुना अधिक मुआवजा की मांग की थी। साथ ही नौकरी की मांग को लेकर अड़े हैं। गौरतलब हो कि भूपदेवपुर से धरमजयगढ़ के बीच रेल कॉरीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें करीब 28 गांव इसके दायरे में आ रहे हैं।
बढ़ सकती है प्रशासन की मुश्किल
जानकारों की मानें तो ग्रामीणों की जिद बनी रही तो प्रशासन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मिली जानकारी के अनुसार पुसल्दा, बेहरामुड़ा व चीतापाली के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से 3 करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि का चेक लेने से इनकार कर दिया है। ग्रामीणों की मानें तो 8-10 लाख रुपए प्रति एकड़ कृषि भूमि को लेना शासन की अदूरदर्शिता पूर्ण नीति का परिचायक है। ग्रामीणों की मानें तो उक्त कृषि भूमि से उनकी आने वाली पीढ़ी खेती किसानी कर कम से कम अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकती है। लेकिन जिस दर पर इसके लिए मुआवजा दिया जा रहा है वह बेहद कम है।
पांच गांव के ग्रामीणों ने तय किया था मुआवजा
पांच गांव के ग्रामीण दिसम्बर 2014 में एक राय होकर रेल कॉरीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु अपनी मंशा से शासन से अवगत करा दिया था। जिसमें ग्रामीणों द्वारा 40 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मांग की गई थी। इन पांच गांव में बहेरामुड़ा, पुसल्दा, चीतापाली, कटाईपाली सी व लोटान गांव शामिल थे। मिली जानकारी के अनुसार तीन गांव के लोगों द्वारा सामूहिक रूप चेक लेने से इनकार किया है। लेकिन अपुष्ट जानकारी मुताबिक शासन द्वारा तय मुआवजा लेने से सभी पांच गांव के ग्रामीणों इनकार किया है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सकता है। लेकिन बहेरामुड़ा, पुसल्दा और चीतापाली के ग्रामीणों द्वारा नहीं लेने की खबर स्पष्ट हो चुकी है।
खाली बचे छोटे टुकड़ों को भी लेने की मांग
इन पांच गांव के ग्रामीणों द्वारा कॉरीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद अगल-बगल में बचे छोटे-छोटे टुकड़े, जिसमें 3 से 5 डिसमिल भूमि को अधिग्रहण में शामिल करने की मांग थी। ग्रामीणों ने इसको लेकर जिला प्रशासन को अवगत भी कराया था। ग्रामीणों की मांग कि कॉरीडोर के लिए अधिग्रहण होने के बाद पटरी के अगल-बगल में बचने वाली 3 से 5 डिसमिल भूमि रेल लाइन बन जाने के उपरांत उनके किसी काम नहीं रहेगी। ऐसे में यदि शासन उनके इस भूमि को अधिग्रहण नहीं करती है, तो इससे ग्रामीण किसानों को भारी क्षति उठानी पड़ेगी। दरअसल रेल लाइन के अगल-बगल में बचे भूमि पर खेती किसानी भी नहीं कर सकेंगे, जिसे देखते हुए 5 गांव के ग्रामीणों द्वारा दिसम्बर 2014 में ही प्रशासन के समक्ष अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।
कुआं, बोर व मकान का हो अलग मूल्यांकन
ग्रामीणों द्वारा रेल कॉरीडोर केलिए भूमि अधिग्रहण की सूचना उपरांत ही यह तय कर दिया था कि शासन भूमि अधिग्रहण के दौरान उनकी मंशा को समझे। 5 गांव के ग्रामीणों द्वारा कु आं, बोर व मकान का अलग से मूल्यांकन करने की मांग की थी। जिसे भी प्रशासन ने शासन के नियमों की दुहाई देते हुए करने से मना कर दिया था।
शासन के नियमानुसार मुआवजा वितरण किया जा रहा है। जिन गांव के ग्रामीणों द्वारा मुआवजा लेने से इनकार किया है, उनके साथ वार्ता चल रही है। हम उन्हें शासन के नियमों की जानकारी दे रहे हैं। उम्मीद है वे जल्द ही मान जाएंगे।
नीलेश क्षीरसागर
प्रभारी कलेक्टर

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