भारत पर एमक्यूएम की फंडिंग का आरोप
- 5 घंटे पहले
पाकिस्तान की पार्टी मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के नेताओं ने ब्रिटिश अधिकारियों को बताया है कि उन्हें भारत सरकार से फंडिंग मिली.
बीबीसी को पाकिस्तान के विश्वसनीय सूत्रों से यह जानकारी मिली है.
ब्रिटिश अधिकारी कथित मनी लॉन्ड्रिंग और एमक्यूएम की एक प्रॉपर्टी से मिली हथियारों की एक सूची की जाँच कर रहे हैं. एक पाकिस्तानी अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि पिछले 10 सालों में भारत ने सैकड़ों एमक्यूएम चरमपंथियों को ट्रेनिंग दी है.
भारतीय अधिकारियों ने इस दावे को 'पूरी तरह आधारहीन' बताया है. एमक्यूएम ने इन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
प्रशिक्षण का भी आरोप
एमक्यूएम पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में प्रमुख राजनीतिक शक्ति रही है, नेशनल एसेम्बली में उसके 24 सदस्य हैं.
एमएक्यूएम के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने ब्रिटिश अधिकारियों को एक औपचारिक और रिकॉर्डेड पूछताछ में बताया था कि उन्हें भारत से फंडिंग मिलती है, ऐसी जानकारी बीबीसी को मिली है.
इस बीच एक पाकिस्तानी अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि भारत ने एमक्यूएम के सैकड़ों चरमपंथियों को विस्फोटकों, हथियारों और विध्वंसक गतिविधियों की ट्रेनिंग पूर्वोत्तर और उत्तर भारत के कैम्पों में दी है.
इस पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि 2005-06 के पहले एमक्यूएम के कुछ मझोले स्तर के कुछ सदस्यों को ट्रेनिंग दी गई थी, हाल में बड़ी संख्या में एमक्यूएम सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया जिनमें से ज्यादातर पार्टी के जूनियर स्तर के सदस्य थे.
ये दावा कराची पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी राव अनवर के बयान के बाद आया है कि एमक्यूएम के दो गिरफ्तार चरमपंथियों ने कहा है कि उन्हें भारत में ट्रेन किया गया. अप्रैल में अनवर ने बताया कि कैसे ये दो शख्स भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ से प्रशिक्षण लेने के लिए थाईलैंड होते हुए भारत गए. इसके जवाब में एमक्यूएम नेता अल्ताफ हुसैन ने राव अनवर की कड़ी निंदा की.
‘भारत का खंडन’
एमक्यूएम को भारत की ओर से फंड और ट्रेनिंग दिए जाने के दावे के बारे में पूछे जाने पर लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा, "शासन की कमियों को पड़ोसियों पर आरोप लगाकर सही नहीं ठहराया जा सकता."
ब्रिटिश अधिकारियों ने 2010 में एमक्यूएम की जांच शुरू की, जब एक वरिष्ठ पार्टी नेता इमरान फारुक़ की उनके उत्तरी लंदन स्थित घर के बाहर चाकू मारकर हत्या कर दी गई. उस जांच के दौरान पुलिस को एमक्यूएम के लंदन ऑफिस और एमक्यूएम नेता अल्ताफ हुसैन के घर से 5 लाख पाउंड मिले. इस वजह से मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर दूसरी जांच शुरू हो गई.
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, जिन्हें बीबीसी विश्वसनीय मानता है, जांच के दौरान ब्रिटेन के अधिकारियों को एक लिस्ट मिली, जिसमें एमक्यूएम की एक प्रॉपर्टी में मोर्टारों, ग्रेनेडों और बम बनाने वाले उपकरणों सहित हथियारों का ब्योरा था, इस लिस्ट में हथियारों की क़ीमत भी दर्ज थी. लिस्ट के बारे में पूछे जाने पर एमक्यूएम ने कोई जवाब नहीं दिया.
जैसे-जैसे ब्रिटिश पुलिस की जांच आगे बढ़ी ब्रिटिश अदालतों का रुख़ एमक्यूएम के प्रति सख़्त होता गया. 2011 में एक ब्रिटिश जज ने शरण दिए जाने के एक मामले की अपील पर सुनवाई करते वक़्त पाया कि, "एमक्यूएम ने कराची में अपने खिलाफ खड़े होने वाले 200 से ज्यादा पुलिस वालों की जान ली है."
'ठोस सुबूत'
पिछले साल एक अन्य ब्रिटिश जज ने ऐसे ही एक अन्य केस की सुनवाई करते हुए कहा, "इस बात के पुरजोर और ठोस सुबूत हैं कि एमक्यूएम दशकों से हिंसा कर रहा है."
पाकिस्तान में भी एमक्यूएम दबाव में है. मार्च में देश के सुरक्षा बलों ने पार्टी के कराची मुख्यालय पर छापा मारा. उन्होंने दावा कि उन्हें वहां बड़ी मात्रा में हथियार मिले हैं. एमक्यूएम ने कहा कि हथियार वहां प्लांट किए गए थे.
नेशनल असंबेली में 24 सदस्यों के साथ एमक्यूएम पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची की राजनीति में लंबे समय से प्रमुख ताकत बनी हुई है. इस पार्टी को मुहाजिरों (बँटवारे के समय भारत से पाकिस्तान गए लोग) के बीच ठोस समर्थन प्राप्त है.
मुहाजिर शिकायत करते हैं कि पाकिस्तान में उनसे लगातार भेदभाव किया जाता है. एमक्यूएम जोर देकर कहता है कि वो एक शांतिपूर्ण, सेकुलर पार्टी है जो पाकिस्तान के मध्यवर्ग के हितों का प्रतिनिधित्व करती है.
अल्ताफ हुसैन बीस साल से ज्यादा वक्त से ब्रिटेन में आत्म-निर्वासन में रह रहे हैं. 2002 में उन्हें ब्रिटिश पासपोर्ट मिला. कई सालों से इस पार्टी पर कराची में हिंसा का सहारा लेने के आरोप लगते रहे हैं.
वित्तीय हेराफेरी का मामला
अल्ताफ हुसैन समेत एमक्यूएम के कई अधिकारी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं लेकिन किसी को चार्ज नहीं किया गया है. पार्टी ज़ोर देकर कहती है कि इसका फंड वैध है और उसका ज्यादातर हिस्सा कराची के व्यापारिक समुदाय से चंदे के रूप में मिला है.
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर भारत में चरमपंथी हमलों को प्रायोजित करने के आरोप लगाता रहा है. मसलन, भारत माँग करता रहा है कि 2008 के मुंबई हमले की साज़िश रचने और उसे संचालित करने वाले संदिग्धों के खिलाफ पाकिस्तान कड़ी कार्रवाई करे.
एमक्यूएम केस के ताजा घटनाक्रम से जाहिर होता है कि अब पाकिस्तान ऐसी शिकायतों के जवाब में भारत से कराची में हिंसक ताकतों को स्पॉन्सर करना बंद करने की मांग करेगा.
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