जबलपुर (मध्य प्रदेश ) जून 1, 2015 । कल दिनांक 31 मई 2015 को परमाणु बिजली परियोजना के खिलाफ चुटका में हुई स्थानीय लोगों की विरोध सभा में शामिल होने के बाद वैज्ञानिक सौम्य दत्ता और परमाणु-विरोधी आन्दोलनों के राष्ट्रीय मंच सीएनडीपी से जुड़े शोधकर्ता कुमार सुन्दरम् ने जबलपुर में प्रेस वार्ता की और चुटका परियोजना के खतरों से आगाह किया।
परमाणु ऊर्जा के बेहतर, सस्ते, टिकाऊ और पर्यावरण-हितैषी विकल्प मौजूद हैं लेकिन बड़ी कंपनियों के हितों के लिए सरकार उन विकल्पों से आँख मूँद लेती है।
चुटका परमाणु संघर्ष समिति के जबलपुर स्थित समर्थन समूह द्वारा आयोजित इस प्रेस वार्ता में कुमार सुंदरम ने कहा कि चुटका के अलावा देश के अन्य कई हिस्सों - महाराष्ट्र के जैतापुर, तमिलनाडु के कूड़नकुलम, गुजरात के मीठी विर्दी, हरियाणा के गोरखपुर, आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा, पश्चिम बंगाल के हरिपुर, राजस्थान के माही बांसवाड़ा इत्यादि स्थानों में साधारण किसान और मछुआरे परमाणु परियोजना के खतरों और इन प्रोजेक्टों से होने वाले विस्थापन के खिलाफ लड़ रहे हैं। दुनिया भर के देश जापान के फुकुशिमा में दुर्घटना के बाद अपने यहां परमाणु संयंत्र बंद कर रहे हैं जबकि विदेशी कंपनियों के फायदे के लिए भारत में इन संयंत्रों को लगाया जा रहा है। परमाणु तकनीक के दीर्घकालिक खतरे बहुत गंभीर हैं और ख़ास तौर पर भारत में परमाणु सुरक्षा नियमन करने की स्वतंत्र प्रणाली नहीं है। चुटका में परमाणु दुर्घटना की स्थिति में जबलपुर पर भी संकट आएगा।
निवेदक:
राजकुमार सिन्हा
चुटका परमाणु संघर्ष समिति, समर्थक समूह
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