मुसलमानों के लिए सबसे बेहतर देश है भारत: महमूद मदनी
NOV 17 , 2015
“जमीयत उलेमा ए हिंद बुधवार को एक साथ देश के सभी प्रमुख शहरों में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। जमीयत उलेमा ए हिंद ने पेरिस में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए आज कहा, इस्लाम में क्रिया की प्रतिक्रिया की कोई जगह नहीं है और इस्लाम के नाम पर मासूमों की हत्याएं करना, इस्लाम के नाम का दुरूपयोग करना है।”
जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने भारत को मुसलमानों के लिए सबसे बेहतर देश बताया है। एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि बेहद अफसोस की बात है कि कुछ तत्व जाने-अनजाने में आतंकवादियों को जिहादी मानते हुए उनका रिश्ता इस्लाम से जोड़ देते हैं। जिहाद तो सकारात्मक काम है जो फसाद को खत्म करने के लिए होता है न कि बेकसूरों की जान लेने के लिए। आतंकवाद के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन का एलान करते हुए उन्होंने कहा कि हम पेरिस, तुर्की और लेबनान में आतंकी गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हैं और इनका शिकार हुए पीड़ितों और उनके परिजनों के साथ पूरी हमदर्दी और संवेदना व्यक्त करते हैं। मदनी ने जानकारी दी कि जमीयत उलेमा ए हिंद देश के प्रमुख शहरों में बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन करेगी और जो इसके पीड़ित हैं उनसे हमदर्दी और संवेदना व्यक्त करने के लिए जुलूस निकालेगी। उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर जो भी मासूमों को मार रहे हैं, वो इस्लाम के नाम का दुरूपयोग कर रहे हैं क्योंकि इस्लाम किसी को मारने की इजाजत नहीं देता है।
उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान पर पूछे गए सवाल पर मदनी ने उनके बयान से असहमति जताते हुए कहा कि क्रिया की प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया की फिर प्रतिक्रिया को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कुरान की एक आयत पढ़ने के बाद उसका तर्जुमा कर बताया, कुरान में कहा गया है कि अगर किसी ने किसी को मारा या फसाद फैलाया तो उसने पूरी मानवता का कत्ल किया है। आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति पर मदनी ने कहा कि जब तक बड़े देश आतंकवाद की सरपरस्ती बंद नहीं करते हैं तब तक इसका खात्मा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने मुसलमानों के लिए दुनिया भर में कष्टदायक हालात पैदा किए हैं और आतंकवादी घटनाओं को इस्लाम पर हमला करने का बहाना बना लिया गया है। यूरोप और अमेरिका में सीरियाई शरणार्थियों को लेकर चल रही बहस की पृष्ठभूमि में मदनी ने कहा कि हालिया आतंकी घटनाओं ने शरणार्थियों के लिए संदेह का माहौल पैदा किया है। मानवता के नाते यह समझना जरूरी है कि आतंक की घटनाओं को अंजाम देने वाला अपराधी है न कि पनाह की तलाश करता कोई शरणार्थी।
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