भारत में 10 फीसदी लोगों के पास दौलत है, 90 फीसदी के पास चिल्लर
एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बीते 15 साल के दौरान भारत की दौलत में हुई करीब 2.28 खरब डॉलर की बढ़ोतरी का ज्यादातर हिस्सा देश के सबसे अमीर एक फीसदी वर्ग की झोली में गया है
ट्रिकल डाउन थ्योरी यानी अर्थव्यवस्था में पैसा आएगा तो इसका फायदा अपने आप ही गरीबों तक पहुंच जाएगा जैसे सिद्धांत के पैरोकारों के लिए यह एक और आंखें खोलने वाली खबर है. वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में दुनिया की नामचीन कंपनी क्रेडिट सुईस के ताजा आंकड़े बता रहे हैं भारत में अमीर लगातार और भी अमीर होते जा रहे हैं जबकि गरीब और ज्यादा गरीब.
स्विटजरलैंड के ज्यूरिख स्थित इस संस्था के मुताबिक भारत की 53 फीसदी दौलत इसकी एक फीसदी सबसे अमीर आबादी के पास है. इसके आंकड़े यह भी बताते हैं कि भारत की 68.6 फीसदी संपत्ति का मालिक इसका पांच फीसदी सबसे अमीर वर्ग है जबकि शीर्ष 10 फीसदी अमीर वर्ग के लिए यह आंकड़ा 76.3 फीसदी है. इसका दूसरा मतलब यह है कि बाकी 90 फीसदी लोगों की जद्दोजहद 23.7 फीसदी हिस्से के लिए है. क्रेडिट सुइस के मुताबिक इनमें भी भारत की सबसे गरीब आबादी सिर्फ 4.1 फीसदी संपत्ति की हिस्सेदार है.
इस दौरान अपना हाथ गरीबों के साथ बताने वालों और सबका साथ सबका विकास कहने वाली पार्टियों की सरकारें रहीं. लेकिन गरीब के और गरीब होने की प्रक्रिया पर कभी ब्रेक नहीं लगा.
उधर, सबसे अमीर लोगों के लिए हालात लगातार बेहतर होते रहे हैं. क्रेडिट सुईस के आंकड़े बताते हैं कि साल 2000 में इन एक फीसदी लोगों के पास देश की सिर्फ 36.8 फीसदी संपत्ति थी. जबकि शीर्ष के 10 फीसदी अमीरों के लिए यह आंकड़ा 65.9 फीसदी था. तब से इन धनकुबेरों की जेब लगातार और भरती गई है.
दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान अपना हाथ गरीबों के साथ बताने वालों और सबका साथ सबका विकास कहने वाली पार्टियों की सरकारें रहीं. एक सरकार तो पांच साल वाम दलों के सहारे ही चली थी जिन्हें सर्वहारा का सहारा कहा जाता है. लेकिन गरीब के और गरीब होने की प्रक्रिया पर कभी ब्रेक नहीं लगा. देश की कुल संपत्ति में सबसे अमीर एक फीसदी लोगों का हिस्सा बढ़ते-बढ़ते अब 50 फीसदी से ऊपर पहुंच गया है.
आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि दौलत के मामले में सबसे ऊपर बैठे एक फीसदी अपने से नीचे वाले नौ फीसदी लोगों के हिस्से में भी सेंध लगा रहे हैं.
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