छत्तीसगढ़ में साढ़े 7 लाख मजदूर परिवारों को 100 दिन भी रोजगार नहीं
प्रदेश की कामगार आबादी के एक बडे़ हिस्से को रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं
मिथिलेश मिश्र. रायपुर. प्रदेश की कामगार आबादी के एक बडे़ हिस्से को रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। जनगणना आयुक्त की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 7 लाख 60 हजार 551 कामगारों को साल भर में 90 दिन से भी कम का रोजगार मिल पाता है। एेसे लोगों में सर्वाधिक संख्या महिलाओं की है।
रिपोर्ट के मुताबिक 4 लाख 80 हजार 172 महिलाआे को वर्ष का बड़ा हिस्सा काम के इंतजार में बिताना पड़ता है। यह स्थिति तब है, जब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत सरकार 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी� दे रही� है। इसके अलावा सरकार औद्योगीकरण के जरिए भी� रोजगार के अवसर बढ़ाने का दावा कर रही है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक एक बड़ी आबादी एेसे लोगों की है, जो छह महीने तक बेरोजगार रहते हैं। 31 लाख 77 हजार 960 लोगों को केवल तीन से� छह महीनों तक ही काम मिल पाता है। इनमें से महिलाओं की संख्या 19 लाख 21 हजार 927 है।
प्रदेश में 82 लाख कामगार
2 करोड़ 55 लाख 45 हजार 198 की आबादी वाले प्रदेश में कामगारों की संख्या 82 लाख 41 हजार 714 है। इनमें से 63 लाख 65 हजार 271 लोगों की उम्र 15 वर्ष अथवा उससे अधिक है। इनमें से 41 लाख 14 हजार 31 पुरुष� और 22 लाख 51 हजार 240 महिलाएं हैं। बताया जा रहा है कि संगठित-असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों का बड़ा हिस्सा इसी आयु वर्ग से आते हैं।
एक चौथाई को इंतजार
रिपोर्ट के मुताबिक कुल कार्यशील आबादी के 1 चौथाई के हिस्से में केवल इंतजार आया है। करीब 20 लाख 14 हजार 640 लोग रोजगार के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन उनके पास कोई काम नहीं है। इनमें से 18 लाख 94 हजार 857 लोगों की आयु 15 वर्ष से अधिक है।
सरकारी दावों का दूसरा पहलू
रिपोर्ट ने रोजगार वृद्धि के दावों का दूसरा पहलू सामने रखा है। कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार था। पिछले एक दशक में खेती का रकबा कम हुआ है। किसान, मजदूर में तब्दील हो गए। एेसे में उनके सामने रोजगार का विकल्प सीमित हो गया है। इससे संकट गहरा रहा है। मनरेगा की हकीकत भी सामने आ गई है, जिसमें सरकार 150 दिन के रोजगार की गारंटी दे रही है। करीब 600 करोड़ रुपए का मनरेगा मजदूरी बकाया और बेरोजगारी भत्ता नहीं देना इस से जुड़ा हुआ गंभीर मसला है। दरअसल, सरकार में श्रम शक्ति के बहुसंख्यक हिस्से के विकास के लिए कोई दृष्टिकोण� नहीं है। इसी वजह से लोगों को काम पाने में दिक्कत हो रही है। इससे अर्थव्यवस्था को भी दूरगामी नुकसान पहुंचेगा।
धर्मराज महापात्र, श्रम मामलों के जानकार
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