आइये चलें विविधता, प्रेम और संविधान के लिए
March for Diversity, Harmony and Constitution
March for Diversity, Harmony and Constitution
शनिवार, 14 नवम्बर 2:30 बजे
मौलाना आज़ाद की मज़ार से शांति वन(नेहरू समाधि) होते हुए राजघाट(गांधी समाधि) तक
शनिवार, 14 नवम्बर 2:30 बजे
मौलाना आज़ाद की मज़ार से शांति वन(नेहरू समाधि) होते हुए राजघाट(गांधी समाधि) तक
आईये मार्च करें
तारीख गवाह है की किस तरह अलग-अलग विचारधारा और अलग अलग तरह के लोगों ने एक साथ खड़े होकर आज़ादी की लड़ाई लड़ी और कामियाबी हासिल की। बिरसा मुंडा से लेकर भगत सिंह, गांधी से लेकर शेखुल हिन्द और नेहरू से लेकर मौलाना आज़ाद तक हमारे संघर्ष के बहुत से चेहरे थे। हमारे इन नेताओं ने जहाँ एक तरफ अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा लिया वहीँ देश की इस विविधता और प्रेमको बचाये रखने के लिए भी कोशिशें कीं।
उस वक़्त भी देश को तोड़ने वाली ताक़तों ने अपनी पूरी ताक़त लोगों को एक दुसरे से लड़ाने और नफरत पैदा करने में लगायी। अंग्रेजों की शह और इन ताक़तों के षड्यंत्र से देश के दो टुकड़े होगये और देश नफरत की आग में सुलग उठा। लेकिन गांधी की शहादत ने इन ताकतों के मक़सद को पूरा नहीं होने दिया और इनका असली चेहरा बेनक़ाब कर दिया। यही वजह थी की अगले पचास सालों तक इन ताक़तों को हिन्दोस्तान में कोई कामियाबी नहीं हासिल हुई।
लेकिन अब इन ताकतों ने नए सिरे से कोशिश शिरू की है और उसमे कामयाबी भी पायी है। इन्होंने उन नेताओं को ही निशाना बनाया है जिनकी ज़िन्दगी देश को बचाने और जोड़ने में ख़त्म हुई। इन्होंने गांधी और नेहरू के बारे में युवा पीढ़ी के ज़हन में शक पैदा करना शिरू किया।
इनके तंत्र ने बाक़ायदा एक झूठा वैकल्पिक इतिहास खड़ा किया है जो स्व्तंत्रता सेनानियों को एक खलनायक के रूप में पेश करता है। उन नेताओं के वैचारिक मतभेदों को दुश्मनी के रूप में दिखता है। और युवाओं को भर्मित करता है
ये हमला सिर्फ इन नेताओं और विविधता में एकता की विचारधार पर ही नहीं बल्कि इस देश के संविधान और डेमोक्रेसी पर भी है। अगर हमने इस प्रोपेगंडा को नहीं रोका और युवाओं को सच्चाई से अवगत नहीं कराया तो हम को फिर से उसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा जिसने देश के टुकड़े कर दिए थे।
खुदाई खिदमतगार में हम मानते हैं की किसी भी नफरत का जवाब नफरत नहीं बल्कि प्यार है। इसी प्यार को फैलाने और नफरत के प्रोपेगंडा का जवाब देने केलिए खुदाई खिदमतगार और नेशनल मूवमेन्ट फ्रंट ने बाकी सथियों के साथ मिलकर 14 नवम्बर यानि पण्डित नेहरू, जिनकी सारी ज़िन्दगी इस देश को जोड़ने और इसकी विविधता को बनाये रखने में लगी, की जयंती को एक मार्च करेंगे जो मौलाना आज़ाद की मज़ार से शांति वन(नेहरू समाधी) होता हुआ राजघाट(गांधी समाधी) तक जायेगा। मौलाना आज़ाद, जो इस मुल्क की गंगा जमुनी तहज़ीब के प्रतीक हैं, की मज़ार से हम ये पैग़ाम लेकर चलेंगे की इस मुल्क में नफरत की कोई जगह नहीं और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के बारे में षड्यंत्र बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। हम खुद भी संविधान के सम्मान और पालन का प्रण करते हैं और ये मांग भी करते है कि संविधान के पालन को सुनश्चित किया जाये और किसी को भी इस से खिलवाड़ की इजाज़त न दी जाये।
आप सबसे ये गुज़ारिश है की इस मुहिम में हमारे साथ आएं और विघटनकारी ताकतों को ये बताएं की हमें नफरत की राजनीति मंज़ूर नहीं। अपने महापुरूषों, नेताओं और प्रतीकों के बारे में झूठा प्रचार हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम ऐसे सिस्टम का हिस्सा होने से इंकार करते हैं जो लोगों को उनके धर्म और जात से पहचानता हैं।
नोट : सभी साथी अपने साथ संविधान की एक कॉपी ज़रूर लेकर आये, और जानकारी के लिए कांटेक्ट करें – 9871700595, 7838944576, 9971033854, 9555999150, 7042220925
उस वक़्त भी देश को तोड़ने वाली ताक़तों ने अपनी पूरी ताक़त लोगों को एक दुसरे से लड़ाने और नफरत पैदा करने में लगायी। अंग्रेजों की शह और इन ताक़तों के षड्यंत्र से देश के दो टुकड़े होगये और देश नफरत की आग में सुलग उठा। लेकिन गांधी की शहादत ने इन ताकतों के मक़सद को पूरा नहीं होने दिया और इनका असली चेहरा बेनक़ाब कर दिया। यही वजह थी की अगले पचास सालों तक इन ताक़तों को हिन्दोस्तान में कोई कामियाबी नहीं हासिल हुई।
लेकिन अब इन ताकतों ने नए सिरे से कोशिश शिरू की है और उसमे कामयाबी भी पायी है। इन्होंने उन नेताओं को ही निशाना बनाया है जिनकी ज़िन्दगी देश को बचाने और जोड़ने में ख़त्म हुई। इन्होंने गांधी और नेहरू के बारे में युवा पीढ़ी के ज़हन में शक पैदा करना शिरू किया।
इनके तंत्र ने बाक़ायदा एक झूठा वैकल्पिक इतिहास खड़ा किया है जो स्व्तंत्रता सेनानियों को एक खलनायक के रूप में पेश करता है। उन नेताओं के वैचारिक मतभेदों को दुश्मनी के रूप में दिखता है। और युवाओं को भर्मित करता है
ये हमला सिर्फ इन नेताओं और विविधता में एकता की विचारधार पर ही नहीं बल्कि इस देश के संविधान और डेमोक्रेसी पर भी है। अगर हमने इस प्रोपेगंडा को नहीं रोका और युवाओं को सच्चाई से अवगत नहीं कराया तो हम को फिर से उसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा जिसने देश के टुकड़े कर दिए थे।
खुदाई खिदमतगार में हम मानते हैं की किसी भी नफरत का जवाब नफरत नहीं बल्कि प्यार है। इसी प्यार को फैलाने और नफरत के प्रोपेगंडा का जवाब देने केलिए खुदाई खिदमतगार और नेशनल मूवमेन्ट फ्रंट ने बाकी सथियों के साथ मिलकर 14 नवम्बर यानि पण्डित नेहरू, जिनकी सारी ज़िन्दगी इस देश को जोड़ने और इसकी विविधता को बनाये रखने में लगी, की जयंती को एक मार्च करेंगे जो मौलाना आज़ाद की मज़ार से शांति वन(नेहरू समाधी) होता हुआ राजघाट(गांधी समाधी) तक जायेगा। मौलाना आज़ाद, जो इस मुल्क की गंगा जमुनी तहज़ीब के प्रतीक हैं, की मज़ार से हम ये पैग़ाम लेकर चलेंगे की इस मुल्क में नफरत की कोई जगह नहीं और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के बारे में षड्यंत्र बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। हम खुद भी संविधान के सम्मान और पालन का प्रण करते हैं और ये मांग भी करते है कि संविधान के पालन को सुनश्चित किया जाये और किसी को भी इस से खिलवाड़ की इजाज़त न दी जाये।
आप सबसे ये गुज़ारिश है की इस मुहिम में हमारे साथ आएं और विघटनकारी ताकतों को ये बताएं की हमें नफरत की राजनीति मंज़ूर नहीं। अपने महापुरूषों, नेताओं और प्रतीकों के बारे में झूठा प्रचार हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम ऐसे सिस्टम का हिस्सा होने से इंकार करते हैं जो लोगों को उनके धर्म और जात से पहचानता हैं।
नोट : सभी साथी अपने साथ संविधान की एक कॉपी ज़रूर लेकर आये, और जानकारी के लिए कांटेक्ट करें – 9871700595, 7838944576, 9971033854, 9555999150, 7042220925
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