अब प्रदेश में मॉडल स्कूलों को निजी कमान देने की मशक्कत
शिक्षकों की आउटसोर्सिंग की कवायद से विपक्ष के निशाने पर रही राज्य सरकार अब यहां के कुछ स्कूलों को भी निजी हाथों में सौंपने की मशक्कत कर रही है
राजकुमार सोनी. रायपुर. शिक्षकों की आउटसोर्सिंग की कवायद से विपक्ष के निशाने पर रही राज्य सरकार अब यहां के कुछ स्कूलों को भी निजी हाथों में सौंपने की मशक्कत कर रही है। प्रारंभिक तौर पर बलौदाबाजार, बलरामपुर, बस्तर, बेमेतरा, बीजापुर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, जांजगीर-चांपा, जशपुर, कबीरधाम, कोंडागांव, कोरबा, कोरिया, मुंगेली, नारायणपुर, रायगढ़, सरगुजा, सूरजपुर और सुकमा जिले के उन 74 स्कूलों का चयन किया गया है, जिनका निर्माण केंद्र की मॉडल स्कूल योजना के तहत किया गया था। मोदी सरकार बन जाने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद शिक्षा विभाग ने स्कूल के भवन, फर्नीचरों के साथ वहां पढ़ रहे विद्यार्थियों को भी निजी संस्थानों को सौंपने का खाका तैयार कर लिया है।
ऐसा है खाका
मॉडल स्कूल योजना के तहत इन्हें मुख्यमंत्री आदर्श विद्यालय नाम दिया जाएगा। करीब 2 करोड़ 60 लाख लागत वाले एक भवन को निजी संस्थाओं को सौंपने से पहले टेंडर निकाले जाएंगे। स्कूल के फर्नीचरों के लिए भी टेंडर होंगे। हर स्कूल में कक्षा ६वीं से १२वीं तक के 560 विद्यार्थी ही प्रवेश ले सकेंगे। इनमें से 280 विद्यार्थियों का चयन स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से किया जाएगा। एक विद्यार्थी की फीस 7 हजार 617 रुपए होगी, जिसका भुगतान निजी संस्थाओं को चार किस्तों में विभाग ही करेगा। शेष 280 विद्यार्थी स्कूल के मैनेजमेंट कोटे से लिए जाएंगे, जिनकी फीस के निर्धारण का अधिकार निजी संस्थाओं को होगा।
ये ले सकेंगे स्कूल
इंडियन ट्रस्ट एक्ट 1882 या बांबे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के तहत पंजीकृत संस्था को स्कूल का स्वामित्व दिया जाएगा। सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 या कंपनी अधिनियम 1956 के सेक्शन 25 के अंतर्गत पंजीकृत संस्थाओं को भी स्कूल संचालन का अधिकार मिल सकेगा। ड्राफ्ट में बगैर लाभ-हानि के संचालित होने वाले संस्थानों को भी स्कूल भवन और फर्नीचर सौंपने का उल्लेख है। इससे माना जा रहा है कि सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या भारती जैसी शिक्षण संस्थाएं भी दौड़ में शामिल होंगी।
मध्याह्न भोजन भी देगा शिक्षा विभाग
निजी संस्थाओं के विद्यार्थियों के मध्याह्न भोजन का� प्रबंध शिक्षा विभाग करेगा। बच्चों को यूनिफॉर्म, किताबें मुफ्त में दी जाएंगी। तैयार ड्राफ्ट के मुताबिक आने-जाने के लिए बस की सुविधा चाहने वाले विद्यार्थियों की मांग पर विचार किया जाएगा।
हमने कुछ निजी संस्थाओं से बातचीत के बाद योजना बनाई है। ड्राफ्ट भी तैयार हो गया है। अभी इतना कह सकता हूं कि निजी संस्थाओं को स्कूल सौंपने के बारे में सारा कुछ प्राथमिक स्तर पर है। विचार चल रहा है।
सुब्रत साहू, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग
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