नेपाल से दुश्मनी की राह पर अगला कदम बढ़ाया भारत ने, नेपाल ने की आलोचना
नई दिल्ली। नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनवा पाने में विफल रही मोदी सरकार ने नेपाल से पुराने मित्रवत् रिश्ते तोड़ते हुए अगला कदम बढ़ा दिया है। नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत द्वारा नेपाल में मानवाधिकार हनन का मुद्दा
उठाने की आलोचना की। भारत ने पहली बार किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नेपाल के एक दशक लंबे संघर्ष के दौरान युद्ध अपराधों के मुद्दे को उठाया और नेपाल से प्रभावी तौर पर संक्रमणकालीन न्याय तंत्र को अपनाने का आग्रह किया।
प्रतिष्ठित समाचारपत्र देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक काठमाण्डू में संवाददाताओं से बातचीत में ओली ने सवाल उठाया कि नेपाल की शांति प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी से भारत कैसे अनजान रह सकता है? उन्होंने कहा कि भारत ने इससे पहले नेपाल के संक्रमणकालीन न्याय तंत्र या इसकी प्रभावकारिता पर अपने विचार को सार्वजनिक नहीं किया। इस मुद्दे को सीधे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठा दिया।
देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक भारतीय प्रतिनिधि ने जेनेवा में कहा कि नेपाल को “सत्य और सुलह आयोग का प्रभावी संचालन सुनिश्चित करना चाहिए और हिंसक विद्रोह के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने सहित इस आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करना चाहिए।”
बिना किसी का नाम लिए ओली ने कहा, “कुछ दिन पहले, हमारे एक पड़ोसी देश के नेता ने सार्वजनिक तौर पर धमकी दी थी कि भारत, नेपाल को अपनी ताकत दिखा देगा।”
देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक ओली ने कहा, “अब वे एक दशक पुराने मुद्दे को हवा दे रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेपाल ने सत्य और सुलह आयोग के गठन के साथ ही युद्ध अपराध, गायब हुए लोगों, हत्याओं, उत्पीड़न, दुष्कर्म जैसे मामलों की जांच के लिए एक अन्य आयोग का भी गठन किया था।
ओली ने कहा कि नेपाल ने सशस्त्र संघर्ष को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को भी आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा, “हमने अतीत में युद्ध का सामना किया और तब हमें अहसास हुआ कि हर समय युद्ध करना संभव नहीं। इसीलिए हमने शांति प्रक्रिया की पहल की।”
उन्होंने कहा, “उस समय एक-दूसरे से संघर्षरत पक्ष आज एक-दूसरे के साथ हैं। वे मिलकर लोकतांत्रिक समाधान कर रहे हैं। इससे भी कोई नहीं फर्क पड़ता कि वे सरकार में हैं या नहीं। शांतिपूर्ण तरीके से सुधार में लगे हुए हैं।”
http://setopati.net/ पर प्रकाशित एक खबर के मुताबिक नेपाल के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कमल थापा ने जेनेवा में कहा कि अपनी मनमर्जी का संविधान थोपने के लिए नेपाल की आर्थिक नाकेबन्दी गैर-कानूनी थी।
“In fact, we are currently at a very delicate situation resulting from the obstruction of essential supplies at the border points,”
थापा ने कहा,
“If the current trend is not checked, the country is likely to experience an unjust and severe humanitarian crisis.”
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