छत्तीसगढ़: पंचायत का तुगलकी फरमान; प्रेम विवाह के कारण शव के संस्कार के लिए 13 हजार की मांग
Tuesday, November 3, 2015
[सीजी खबर ]
रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ की एक पंचायत ने शव के अंतिम संस्कार के लिये 13 हजार रुपयों की मांग की है. दरअसल, शव एक आत्महत्या करने वाली लड़की का है जिसे दूसरे जाति के युवक के साथ प्रेम करने के कारण 13 हजार रुपये हर्जाने रूप में देने का निर्णय पंचायत द्वारा लिया गया था. लड़की ने अपने प्रेमी से तकरार के बाद आत्महत्या कर ली है तब भी पंचायत उसके परिजनों से सामाजिक बहिष्कार वापस लेने के लिये 13 हजार रुपयों की मांग कर रही है. पंचायतों के तुगलकी फरमान जब तब देशभर में सुर्खियां बनते रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ की एक पंचायत ने तो ऐसा फरमान सुना दिया कि सुनने वाले भी हैरान रह जाएं. राज्य के आदिवासी बहुल जशपुर जिले में पंचायत का यह फरमान सामाजिक कलंक की नई मिसाल बनकर सामने आया है.
जहां एक आदिवासी लड़की का शव पिछले 36 घंटे से अंतिम संस्कार के इंतजार में घर के आंगन में पड़ा है, लेकिन ग्रामीण उसे होने नहीं दे रहे हैं. ग्रामीणों ने उक्त परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर रखा है जिसे वापस लेने के लिए उनसे 13 हजार रुपये की मांग की जा रही है.
गरीब परिवार परेशान है कि वह इतनी रकम का इंतजाम कहां से करे. गौरतलब है कि जशपुर जिले के तपकारा ब्लॉक में गुरुवार शाम को 19 साल की अल्फा टिर्की ने प्रेमी से बहस के बाद आत्महत्या कर ली थी.
जानकारी के अनुसार छह महीने पहले अल्फा के गांव के ही दूसरी जाति के एक युवक से प्रेम संबंध हो गए थे. जिसके विरोध में गांव वालों ने परिवार के सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया था.
युवती की मां एलीजाबेथ ने बताया की गांव की पंचायत के अुनसार दूसरी जाति में प्रेम संबंधों पर 8 हजार रुपये और एक ही जाति में प्रेम संबंध होने पर 35 सौ रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. उन पर दोनों ही जुर्माने लगाए गए. न चुकाने पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया.
जब तक यह जुर्माना नहीं चुकाया जाएगा तक परिवार का बहिष्कार वापस नहीं होगा. एलीजाबेथ ने बताया कि उसके पति बीमार रहते हैं ऐसे में वो यह जुर्माना चुका पाने की स्थिति में नहीं हैं.
जब अल्फा ने प्रेमी भीम ताम्रकार से बहस के बाद खुद को फांसी पर लटका लिया तब कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया. संवदेनहीनता की इंतहा इस कदर थी कि युवती की मौत के बाद कोई भी उसका अंतिम संस्कार करवाने के लिए तैयार नहीं हुआ.
इसके विपरीत गांव वालों ने उनके सामने अंतिम संस्कार में सहयोग और सामजिक बहिष्कार वापस लेने के लिए 13 हजार रुपये की मांग कर दी. युवती की मां एलिजाबेथ ने बताया कि पूरे प्रयास के बाद भी हम 8 हजार रुपये का ही इंतजाम कर पाए. बेटी का शव 36 घंटे रखे रहने के बाद ग्रामीणों ने हमें 5 हजार रुपये की राहत दे दी.
वहीं तपकारा पुलिस का कहना है कि वह मामले की जांच कर रही है. उन्हें जुर्माने के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है. न ही अभी किसी ने इस संबंध में शिकायत नहीं की है.
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