Saturday, October 10, 2015

"बाहोश, नेक मुसलामानों से एक अपील................! " zulaikha jabee


"बाहोश, नेक मुसलामानों से एक अपील................! " 

[ zulaikha jabee ]

हम न कहते थे ये "ईमान फ़रोश" लोग हैं, मौक़ापरस्त, ख़ुदग़र्ज़ किरदार के मालिक ये "हम हिन्दोस्तानी मुसलामानों" को हैवानों के बाड़ों में तन्हा छोड़कर अपनी रोटियों में घी और बोटियों में चर्बी के लिए, किसी से भी हाथ मिला सकते हैं.....देख लिया न………?
बेगुनाह अख़लाक़ उनके बेटे दानिश का ख़ून, उनके परिवार के साथ किया गया अपमान जनक सुलूक-इनकी ग़ैरत को नहीं ललकारता............!
हमीरपुर में भगवान के दर्शन की "नन्हीं लालसा" पूरी करने वाले दलित बुज़ुर्ग को कुल्हाड़ी से काट कर जला दिए जाने में "उन्हें" आईन, दस्तूर (संविधान) की तौहीन नज़र नहीं आती.....! 
जन्तर मन्तर में "दादरी और हमीरपुर" की गैर इंसानी, गैर संवैधानिक हत्या पर बुलाए गए ज्वाइंट विरोध प्रदर्शन (मुस्लिम मज़हबी तंज़ीमों सहित) में "फ़ासिस्ट ताक़तों की चाकरी" करने वाली "मठाधीश तंजीमों" ने हिस्सा नहीं लिया (जिन्होंने लिया- उन्होंने भी सिर्फ़ अपना नाम लिस्ट में डलवाने के लिए अपनी भारी तादाद नहीं बल्कि एक भाषण देने वाले को भेज दिया जिसे ये तक नहीं मालूम था कि पब्लिक मीटिंग और मस्जिद में ख़ुतबा करने के अपने आदाब (तरीक़ा) होते हैं.…!
कहां हो..? दीन बचाओ का नारा देकर यलग़ार (हमला करने की गीदड़ भभकी देने वाले) करने वाले, चापलूसों...........? "दस्तूर बचाने" की दुहाई देकर सियासी फ़ायदे की उम्मीद में चमकते अपने स्याह चेहरों को छुपाने वालों, अपनी बर्फ़ीली ठंडी ख़ानक़ाहों से ज़रा "बाहर तो झांको"......! अब वक़्त आ गया है........... तुम्हें अपनी "बहादुरी के जलवे" दिखाने का……! आओ.... आम ग़रीब, बेबस, मजबूर, मुसलमानों की तालीम, रोटी, कपड़ा, मकान, रोज़गार, सेहत और बहैसियत एक ख़ुद्दार नागरिक के सवालों को उठाओ और क़रीब 18 फ़ीसदी मुसलमानों का नेतृत्व सम्हालो.......! क्या कहा ????? नहीं आ सकते ?????????? 
अमां छोड़ो मौलाना, ये तुमसे न होगा........... साफ़ दिख रहा है तुम सबकी दुम्म किसकी जूतियों तले दबी हुयी है........! 
सुन लो ए हिंदोस्तानी मुसलमानों - मठों ख़ानक़ाहों, रिश्वत ख़ोरी, अपराध,और नशे के अड्डों में तब्दील हो चुके उन चुनिंदा "आलिशान मगर मुर्दा हो चुकी इमारतों" की बन्धुआ मज़दूरी से खुद को आज़ाद कर लों.…….... आगे आओ, मुल्क बनाने (गंगा जमनी तहज़ीब को क़ायम रखने) और दस्तूर बचाने की बड़ी तहरीक में अपने "जानो माल की क़ुरबानी" देने वाले 95 फ़ीसदी "उन" हिन्दुओं (जिन्हें काफिर बताकर, नफ़रत करना तुम्हें सिखाया गया है) के कांधों से कांधा जोड़कर (जैसे तुम बाजमाअत नमाज़ में खड़े होते हो) साथ आने, लड़ने की शुरुआत करो.................! 
याद रक्खो, अगर ये जमात मज़बूत होगी तो दस्तूर बचेगा, फ़िर हमारा मुल्क बनेगा, तब ही तुम और तुम्हारी आने वाली पीढ़ी को बहैसियत एक "ख़ुद्दार नागरिक" इज़्ज़त से सर उठा के जीने का माहौल बनेगा..............!
होशा में आ जाओ, मज़हब के नाम (झूठे) पे ग़लीज़ ख़ानक़ाहों की हिफ़ाज़त करना बंद करो, दींन की हिफाज़त करो - अल्लाह की बनायीं ख़ूबसूरत दुनिया को बदसूरत बनाने वाली ताक़तों (उनके साथ सांठ गांठ कर चुके मज़हबी ठेकेदारों) के ख़िलाफ़ एकजुट मोहब्बत, बहनापा, भाईचारा, अमनो- इंसाफ़ की जंग के सिपाही बनो.…... 
आप जहाँ पे भी हो, (जो भी काम कर रहे हो) वहीं पर बेइंसाफी,बेईमानी, बेअमनी के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले लोगों की आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाओ, अपने जवान होते बच्चों को मोहब्बत, अमन इन्साफ के फरिश्ते के तौर पे परवरिश करो…..... 
"ज़मीन पे नफ़रत फ़ैलाने लाने वाले, ज़मीन पे ख़ून ख़राबा करने वाले, बेगुनाहों को क़त्ल करने वालों को अल्लाह सख्त नापसंद करते हैं.........." 
ये कभी मत भूलना अल्लाह ने क़ुरआन में वादा किया है " तुम सुधरे नहीं तो तुम्हारे ऊपर "ज़ालिम बादशाह" मुसल्लत (थोप) कर दिया जाएगा……"
क्या तुम अभी भी अल्लाह के वादे को झुठलाने वालों का साथ दोगे ??????
क्या तुम्हें अभी भी क़ुरआन की सच्चाई दिखाई नहीं दे रही है ???? 

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