बस्तर बार एसोसिएशन के उस प्रस्ताव की तीखी निंदा की -माकपा
मुवक्किलों के अधिकारों के हनन पर राज्य अधिवक्ता परिषद् हस्तक्षेप करें : माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बस्तर बार एसोसिएशन के उस प्रस्ताव की तीखी निंदा की है, जिसमें ' बाहरी ' के नाम पर जगदलपुर लीगल एड ग्रुप से संबंद्ध अधिवक्ताओं को जगदलपुर एवं बस्तर की अदालतों में काम करने से रोकने की कोशिश की गई है. पार्टी ने कहा है कि अधिवक्ता क़ानून की धारा-30 के तहत किसी भी राज्य में पंजीकृत कोई भी अधिवक्ता इस देश की किसी भी अदालत में अपने मुवक्किल का केस लड़ सकता है. वास्तव में यह प्रस्ताव न्याय पाने के लिए मुवक्किलों के अधिकारों के हनन की ही कोशिश है और राज्य अधिवक्ता परिषद् को इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि जगदलपुर लीगल एड ग्रुप वास्तव में उन आदिवासियों को मदद करने की कोशिश कर रहा है, जिन्हें नक्सलियों के नाम पर झूठे केसों में फंसाकर सालों से जेलों में रखा जा रहा है और जिनके पास इतनी सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक ताकत नहीं है कि वे अपना मुक़दमा लड़ने के लिए वकील भी खड़ा कर सकें. ऐसी स्थिति में इन निर्दोष आदिवासियों को मदद करने का काम स्थानीय वकीलों, बार एसोसिएशनों तथा प्रशासन को करना चाहिए था, लेकिन वे अपनी इस 'नैतिक ' जिम्मेदारी को भी भूल गए हैं और जो प्रबुद्ध लोग उनकी मदद करने का काम कर रहे हैं, उन्हें भी रोकने की कोशिश की जा रही हैं.
माकपा नेता ने आरोप लगाया कि बस्तर बार एसोसिएशन वास्तव में उन खाप पंचायतों की तरह व्यवहार कर रही है, जिनका इस देश के संविधान और नियम-कायदों से कोई लेना-देना नहीं होता. उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन और भाजपाई नेता आदिवासियों के खिलाफ इन बार एसोसिएशनों का उपयोग कर रहे हैं, ताकि आदिवसियों के मानवाधिकारों को कुचला जा सकें.
माकपा ने राज्य अधिवक्ता परिषद् से अपील की है कि इस मामले को तुरंत संज्ञान में लेकर मुवक्किलों के अधिकारों की रक्षा करें. पार्टी ने आम नागरिकों से भी ऐसे जनविरोधी प्रस्ताव का विरोध करने की अपील की है.
संजय पराते
राज्य सचिव, माकपा, छ.ग.
(मो.) 094242-31650
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