लोह खदान की तलाश में अब भी है बस्तर में टाटा
रायपुर। देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े स्टील उत्पादक टाटा समूह द्वारा छत्तीसगढ़ के बस्तर में प्रस्तावित स्टील प्लांट प्रोजेक्ट के काम समेटने की अटकलों के बीच यह जानकारी सामने आई है कि कंपनी ने लौह अयस्क की खदानों का पता लगाने के लिए अपने पूर्वेक्षण लाइसेंस पीएल की अवधि बढ़ाने का आवेदन किया है। इससे पहले 15 अक्टूबर को टाटा की पीएल अनुमति समाप्त हो चुकी है। कंपनी के इस प्रयास को देखते हुए माना जा रहा है कि फिलहाल कंपनी के लिए छत्तीसगढ़ में संभावनाएं अभी बाकी हैं। खनिज सचिव सुबोध सिंह ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि पीएल के लिए आवदेन पर अभी विचार किया जाएगा। इसमें एक-दो महीने का समय लग सकता है। वहीं टाटा की वापसी की अटकलों पर टाटा के अधिकारियों का पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
बस्तर में टाटा के दस साल से जारी प्रयासों के बाद भी प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया था। करीब 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से 5 लाख मिलियन टन सालाना उत्पादन का लक्ष्य लेकर शुरू हुआ। यह प्रोजक्ट अब लगभग बंद होने की हालत में आ गया है। इस बीच खबर यह आई कि कंपनी प्लांट लगाने संबंधी सभी तरह की गतिविधियों से हाथ खींच रही है। टाटा को प्लांट शुरू करने से पहले खनिज की तलाश के लिए प्रास्पेक्टिंग लीज 2008 में स्वीकृत की गई थी, लेकिन कंपनी अब तक यह काम पूरा नहीं कर पाई है। खनिज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टाटा ने आवेदन में कहा है कि सुरक्षा कारणों के कारण पूर्वेक्षण का काम पूरा नहीं हो पाया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी परेशानी का कारण रहा। स्थानीय आदिवासियों और नक्सलियों के विरोध की वजह से जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया है।
इन गांवों में होना था जमीन अधिग्रहण
बस्तर के लोहांडीगुड़ा विकासखंड के गांव टकारागुड़ा, बंड़ाजी, बेलर, दाबपाल, बड़े परोदा, धुरागांव, कुम्हाली, छिंदगांव, बेलियापाल और तोकापाल विकासखंड के गांव सिरिसगुड़ा में इस प्लांट के लिए करीब पांच हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। वर्ष 2005-06 में जब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई तो मुआवजा बांटने के लिए टाटा समूह ने राज्य सरकार को 48 करोड़ रुपए भी उपलब्ध कराए। प्लांट के लिए 10 गांवों के 1707 खातेदारों में से 1165 लोगों ने जमीन के बदले मुआवजा भी लिया, लेकिन 542 खातेदारों की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया। जिन खातेदारों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया, वहां राजस्व विभाग विरोध के कारण जमीन का सीमांकन भी नहीं कर पाया।
प्रास्पेक्टिंग का काम पूरा नहीं
खनिज विभाग के सूत्रों के अनुसार टाटा स्टील को लौह अयस्क की तलाश के लिए 2500 हेक्टेयर क्षेत्र में पीएल मिला था, यह पीएल बचेली तहसील दंतेवाड़ा वन कक्ष क्रमांक 683,685,686, 692, से 703 एल पी 1051 ए के लिए 26 जून 2008 और 4 जुलाई 2008 को जारी किया गया था। सूत्रों के अनुसार तब से लेकर अब तक कंपनी यह काम पूरा नहीं कर पाई है। पीएल जारी होने के बाद जब संबंधित क्षेत्र में खनिज मिलने की पुष्टि हो जाती हो तो खनन के लिए सरकार की ओर से माइनिंग लाइसेंस जारी किया जाता है।
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