जहर उगल रही फैक्ट्रियों ने 1 वर्ष में मार डाला 482 लोगों को, फिर भी सरकार चुप
छत्तीसगढ़ में प्रदूषण से एक साल में 482 लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है
रायपुर. छत्तीसगढ़ में प्रदूषण से एक साल में 482 लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक छत्तीसगढ़ के बाद दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश में 324 और इसके बाद महाराष्ट्र में 101 लोगों ने प्रदूषण के चलते दम तोड़ा है।
प्रदूषण पर गंभीर नहीं
प्रदेशभर में धुंआ उगल रही फैक्ट्रियों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य शासन ने� ईएसपी मशीन लगाने का आदेश जारी किया था। मगर मशीन लगाने का काम महज खानापूर्ति बनकर रह गया। बिजली के भारी भरकम बिल को देखते हुए इसे बाद में बंद कर दिया गया। प्रदेश में प्रदूषण का स्तर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस मामले में सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है।
प्रदेशभर में धुंआ उगल रही फैक्ट्रियों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य शासन ने� ईएसपी मशीन लगाने का आदेश जारी किया था। मगर मशीन लगाने का काम महज खानापूर्ति बनकर रह गया। बिजली के भारी भरकम बिल को देखते हुए इसे बाद में बंद कर दिया गया। प्रदेश में प्रदूषण का स्तर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस मामले में सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है।
गौरतलब है कि� प्रदूषित वातावरण में रहने की वजह से� कई तरह की खतरनाक बीमारियां पनप रही हैं। ऑक्सीजन के अभाव में गंभीर मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इन्हीं आंकड़ों को एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में शामिल कर सार्वजनिक किया है।� इसमें बाकी राज्यों के मुकाबले प्रदूषण के चलते हो रही मौतों का आंकड़ा चौंकाने वाला है। उदाहरण के लिए सबसे प्रदूषित दस राज्यों में शामिल बिहार और पंजाब में बीते साल क्रमश: 22 और 26 लोगों की मौत हुई जो छत्तीसगढ़ में हुई मौतों के मुकाबले काफी कम हैं।
दुर्ग से लेकर बिलासपुर के बीच एक हजार से अधिक छोटे-बड़े उद्योग हैं, वहां बड़ी संख्या में कोयले का उपयोग होता है और इससे 22 प्रकार के जहरीले तत्व निकलते हैं। इसलिए लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और सांस के मरीजों सहित अन्य बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।
डॉ. शम्स परवेज, पर्यावरणविद
No comments:
Post a Comment