छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर उठे सवाल, कठघरे में पुलिस
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर एक बार फिर सवाल उठे हैं और इस बार भी निशाने पर पुलिस है। बस्तर में आदिवासियों को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण कराया जा रहा है। पुलिस मुख्यालय में बस्तर के नक्सल प्रभावित जिले के एक एसपी ने शिकायत की है कि आदिवासियों को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण कराया जा रहा है। यह आरोप सामाजिक संगठन भी लगातार लगा रहे हैं कि बस्तर में बड़े पैमाने पर हो रहे आत्मसमर्पण के बीच बहुत सारे आदिवासियों को डरा धमकाकर आत्मसमर्पण कराया जा रहा है। ताजा मामला बीजापुर में हुए एक नक्सली आत्मसमर्पण का है।
पुलिस मुख्यालय के एंटी नक्सल आपरेशन के एक आला अधिकारी ने बताया कि पिछले महीने बस्तर में पदस्थ पुलिस के आला अधिकारियों ने एक आदिवासी को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण कराया। बकायदा उनके लिए इनाम की घोषणा भी कर दी। बताया जा रहा है कि इस नक्सली की जांच की फाइल बीजापुर एसपी के पास पहुंची तो उनको नक्सली होने के कोई प्रमाण नहीं मिले। तत्कालीन एसपी ने इसकी जानकारी पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों को दी। बताया जा रहा है कि बाद में आत्मसमर्पण करने वाले कथित नक्सली को मिलने वाले भत्ते और सुविधा पर रोक लगा दी गई। पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों ने बताया कि डीजीपी एएन उपाध्याय और एडीजी नक्सल आपरेशन आरके विज उस दिन बीजापुर के दौरे पर थे। जब तक दोनों अधिकारी बीजापुर में मौजूद थे, तब तक कथित नक्सली का आत्मसमर्पण नहीं कराया गया। बताया जा रहा है कि दोनों अधिकारियों का हेलिकाप्टर जैसे ही राजधानी के लिए उड़ा, बस्तर में पदस्थ अधिकारियों ने तत्काल मीडिया के सामने आत्मसमर्पण कराने की घोषणा कर दी। इस मामले में एडीजी नक्सल आपरेशन आरके विज ने सिर्फ इतना ही कहा कि आंकड़ों से कुछ नहीं होता है। अगर कहीं गड़बड़ी हो रही है, तो उसकी पुलिस मुख्यालय स्तर पर जांच की व्यवस्था है।
आंकड़ों में नक्सलियों का आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2015 में 20 अक्टूबर तक 153 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इसमें तीन डीव्हीसी मेंबर, सात एरिया कमेटी मेंबर, 31 एलओएस, 17 जनताना सरकार, 3 मिलिट्री बटालियन, 11 मिलिट्री कंपनी, 15 मिलिट्री प्लाटून, 11 एलजीएस और 55 जनमिलिशिया शामिल हैं। इससे पहले वर्ष 2014 में 421 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। इसमें तीन डिविजन कमेटी मेंबर, 10 एरिया कमेटी मेंबर, 76 एलओएस, 77 जनताना सरकार, एक पीएलएफआई मेंबर, पांच मिलिट्री बटालियन, 13 मिलिट्री कंपनी, 20 मिलिट्री प्लाटून, 21 एलजीएस और 195 जनमिलिशिया शामिल हैं।
कम संख्या में आत्मसमर्पण से नहीं पड़ता असरः विज
एडीजी नक्सल आपरेशन आरके विज ने बताया कि पिछले साल की तुलना में कम नक्सलियों के आत्मसमर्पण से कोई खास असर नहीं पड़ता है। छत्तीसगढ़ में बेहतर नक्सल पुनर्वास नीति है, जिसका असर देखने को मिल रहा है। खुफिया पुलिस के पास नक्सलियों की बातचीत की रिकार्डिंग है, जिसमें उनको आपस में यह बात करते हुए सुना गया है कि नक्सलियों का साथ छोड़कर अपने घर लौट जाना बेहतर है। बहुत सारे नक्सली पुलिस के पास नहीं आते हैं, वह सबकुछ छोड़कर अपने गांव लौट जाते हैं। इन लोगों को रोकने के लिए नक्सली लगातार कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उसका असर देखने को नहीं मिल रहा है।
आत्मसमर्पण करने वालों का नहीं है नक्सली रिकॉर्ड
माकपा प्रदेश सचिव संजय पराते ने कहा कि बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण करने वालों का रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं है। वर्ष 2014 में जून से नवंबर के बीच 377 लोगों को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण कराया गया। इसमें से 270 लोगों का नक्सली होने का पुलिस के पास कोई प्रमाण नहीं है। इन लोगों को पुनर्वास नीति के तहत कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया। श्री पराते ने बताया कि पुलिस संघम के सदस्यों को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण करा रही है, जिनका नक्सलियों से कोई खास लेना-देना नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के अधिकारी फर्जी आत्मसमर्पण रिकॉर्ड बनाने और प्रमोट होने के लिए करा रहे हैं।
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