धान की फसल से लुटे किसान, अब चना, गेहूं और मटर के बीज हुए दूर
50 एकड़ खेत में जो धान बोया था उसकी आधे से अधिक फसल सूखे के चलते चौपट हो गई है। इस साल रही सही उम्मीद चने की फसल पर ही टिकी है।
रायपुर. 50 एकड़ खेत में जो धान बोया था उसकी आधे से अधिक फसल सूखे के चलते चौपट हो गई है। इस साल रही सही उम्मीद चने की फसल पर ही टिकी है, लेकिन सरकार राहत देने की बजाय हम पर और ज्यादा बोझ डाले जा रही है।
वह बीते साल से अधिक कीमत पर हमें चने के बीज बेचेगी। उसे इस साल मरहम लगाना था, लेकिन हमारे जख्मों पर नमक ही छिड़क रही है। बताइए कर्ज के वजन से लदे किसान कहां जाएंगे?- यह दर्द बेमेतरा जिले के तेल्गा क्षेत्र के किसान गोरन नायक का है।
यही पीड़ा राज्य के सभी चना और गेहूं उत्पादकों की भी है। यहां 4 लाख हेक्टेयर चना और 30 हजार हेक्टेयर गेहूं बोया जाता है। किसानों की इसी पीड़ा को लेकर अब कई संगठन आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। आगे आ रहे हैं। इनका आरोप है कि कृषि विभाग के बीज निगम ने रबी फसलों की खेती के लिए बोए जाने वाले बीजों को ज्यादा ही महंगा कर दिया है। इससे किसानों की हालत और पतली होगी।
किसानों पर बढ़ा बोझ
किसान नेता राजकुमार गुप्ता बताते हैं, देसी और गुलाबी चने के बीज बीते साल के मुकाबले 4400 और 6800 से बढ़ाकर 5850 और 7250 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किए गए हैं। रबी की फसल से खरीफ की भरपाई कम की जा सकती थी, लेकिन सरकार ने किसानों पर और अधिक बोझ लाद दिया।
कृषि विशेषज्ञ संकेत ठाकुर का कहना है, इस बार 4 लाख से अधिक रकबे वाले चने के क्षेत्र में महंगे बीज किसान को रुला देंगे। सरकार रबी फसल में किसानों के लिए बीज खरीदी पर विशेष सब्सिडी दे। दुर्ग जिले के झबेन्द्र भूषण का कहना है कि निगम किसानों से सस्ती कीमत पर बीज खरीदकर उन्हें बाजार दर पर बेच रही है। वह व्यवसायिक संस्था न होते हुए भी जरुरत से ज्यादा कीमत तय कर रही है।
बीमा बना मजाक
राजनांदगांव के सुदेश टीकम के मुताबिक सरकार स्थायी समाधान खोजे। किसान� प्रभावकारी बीमा योजना के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। बीते साल किसानों को महज 800 से 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से बीमा राशि का भुगतान किया गया। इससे किसान को क्या राहत मिलेगी!
सरकार किसानों को न्यूनतम 20 हजार रुपए प्रति एकड़ की सुरक्षा गारंटी तो दे। किसान नेता आई.के. वर्मा के अनुसार इस साल पीने के लिए ही पानी का संकट रहेगा, लेकिन खेती की सिंचाई पर सरकार सजग नहीं है, एेसे में महंगे बीजों ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है।
(शिरीष खरे)
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