पीएमटी कांड के फैसले : तबादले से दुखी होकर मजिस्ट्रेट ने ली छुट्टी
चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल सुकमा में पदस्थ होने के बाद लंबी छट्टी पर चले गए हैं
रायपुर. पीएमटी घोटाले के फैसले में सरकार की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करने वाले चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल सुकमा में पदस्थ होने के बाद लंबी छट्टी पर चले गए हैं। उन्होंने दंतेवाड़ा के जिला जज को अपनी छुट्टी का आवेदन सौंप दिया है।
सूत्रों का कहना है कि ग्वाल ने आवेदन में अपने प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का हवाला दिया है। इधर, ग्वाल की पत्नी प्रतिभा ग्वाल का कहना है कि उनके पति के दिए गए फैसलों के बाद जो कुछ भी उनके जीवन में घट रहा है, वे उसे सामान्य घटनाक्रम नहीं मानती� हैं। प्रतिभा ग्वाल का आरोप है कि उनके पति के खिलाफ नेता और अफसरों की एक लॉबी साजिश रच रही है। इसके चलते उनका तबादला सुकमा किया गया है।
गठजोड़ की हो जांच
प्रतिभा ग्वाल का कहना है कि विधायक रामलाल चौहान और पुलिस अफसर दीपांशु काबरा लगातार मिलते-जुलते रहे हैं, इसलिए उनकी मुलाकातों की हर हाल में जांच होनी चाहिए। ग्वाल का कहना है कि काबरा नक्सल ऑपरेशन से जुड़े हैं और उनसे जुड़े कई प्रमुख लोग दंतेवाड़ा में पदस्थ हैं। इससे उनके पति को खतरा हो।
4 माह बीतने पर भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं
प्रतिभा ग्वाल का कहना है कि उनके पति ने 7 जुलाई 2015 को विधायक रामलाल चौहान और पुलिस अफसर दीपांशु काबरा की भूमिका को लेकर सिविल लाइन थाने में एक शिकायत दी थी। लेकिन, लगभग चार महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने एक मजिस्ट्रेट की शिकायत पर जांच करना जरूरी नहीं समझा। पुलिस कह रही है कि आशंका पर आधारित शिकायत की जांच नहीं होती। क्या पुलिस तब जांच करेगी, जब आशंका सही साबित हो जाएगी।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा, सरकार माननीय न्यायधीशों को भी डरा-धमका रही है। सब जानते हैं कि इस खेल में कौन-कौन से अफसर लिप्त हैं। एक दलित समाज के मजिस्ट्रेट� के साथ जो कुछ घटित हो रहा है, वह हैरत में डालने वाला है। कांग्रेस इसकी निंदा करती है।
कहीं इन फैसलों से तो किरकिरी नहीं बने
21 अक्टूबर 2014 को भदौरा जमीन घोटाले में उन्होंने पटवारी, उपसरपंच समेत तीन आरोपियों को सात अलग-अलग मामलों में 3-3 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उनके इस फैसले की चर्चा इसलिए भी हुई, क्योंकि तब मामले में भाजपा सरकार के एक क²ावर मंत्री की रुचि साफ तौर पर दिखाई दे रही थी। इस हाई प्रोफाइल मामले में ग्वाल ने मस्तूरी इलाके के थाना प्रभारी आरपी तिवारी को भी सह-अभियुक्त बनाने का आदेश दिया था।
इसी साल 17 जुलाई को ग्वाल ने पीएमटी पर्चालीक कांड में फैसला दिया तो प्रदेश में खासी हलचल मची। ग्वाल ने मामले से जुड़े आरोपियों को सजा सुनाने के साथ ही तात्कालिक पुलिस अधीक्षक की भूमिका को लेकर न केवल तल्ख टिप्पणी की, बल्कि फैसले की कॉपी डीजी को भेजते हुए आदेशित किया कि प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधीक्षक और गंज थाने के प्रभारी पर विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करते हुए आपराधिक मामला दर्ज करें।
रायपुर में सीबीआई के विशेष मजिस्ट्रेट रहते हुए बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा की मौत के मामले में मृतक के रिश्तेदारों, विवेचक और घटनास्थल पर मौजूद गवाहों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए थे।
सुकमा में धोखाधड़ी और गबन के मामले में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के दो इंजीनियरों को 12-12 साल का कारावास और 50-50 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई। उनका ये फैसला चर्चा में रहा।
[ patrka ]
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