दलित मजिस्ट्रेट ने पीएमटी पर दिया सख्त फैसला तो पड़ रहे जान के लाले
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चीफ ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल के रायपुर से सुकमा तबादला होने पर उनकी पत्नी प्रतिभा ग्वाल ने एक लॉबी विशेष पर गंभीर आरोप लगाए हैं
रायपुर. पीएमटी घोटाले के फैसले में सरकार की कार्यप्रणाली पर आपत्ति करने के बाद चीफ ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल के रायपुर से सुकमा तबादला होने पर उनकी पत्नी प्रतिभा ग्वाल ने एक लॉबी विशेष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। श्रीमती ग्वाल ने इसके लिए सीधे तौर पर भाजपा विधायक रामलाल चौहान, आईजी (नक्सल ऑपरेशन) दीपांशु काबरा और कुछ मंत्रियों� की भूमिका को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि उनके पति ईमानदार हैं, फैसला भी मेरिट के आधार पर देते हैं, लेकिन शासन-प्रशासन में बैठे कुछ लोग उन्हें साजिश में फंसाना चाहते हैं।� दलित समुदाय से संबद्ध प्रतिभा ग्वाल ने इसका संपूर्ण ब्योरा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और मानव अधिकार आयोग को भी भेजकर जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
ईमानदारी से किया फैसला
प्रतिभा ग्वाल ने पत्र में कहा है� कि छत्तीसगढ़ में पीएमटी परीक्षा के दौरान व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने तीन माह के भीतर अदालत में प्रकरण को निराकृत करने का निर्देश दिया। उनके पति ने 17 जुलाई 2015 को फैसला सुनाया।
इसमें पुलिस प्रशासन की त्रुटियों को रेखांकित किए जाने से पुलिस विभाग के अफसर नाराज चल रहे थे। ग्वाल ने लिखा कि पीएमटी परीक्षा में पुलिस अफसर� दीपांशु काबरा की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए उनके पति ने पुलिस महानिदेशक को उनके खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश दिया गया। काबरा नक्सल ऑपरेशन के प्रमुख हैं और उनके पति माओवादी इलाके में पदस्थ हैं। ग्वाल ने राष्ट्रपति को लिखा है कि सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं द्वारा उनके पति को डराने-धमकाने का प्रयास भी किया जा चुका है। इसकी शिकायत उन्होंने थाना सिविल लाइन, जिला एवं सत्र न्यायालय रायपुर एवं उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास की है, लेकिन� एक मजिस्ट्रेट होने के बावजूद उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
महज इत्तेफाक नहीं
प्रतिभा ग्वाल ने पत्र में लिखा है, उनके पति बिलासपुर में मजिस्ट्रेट थे। वहां लगभग तीन साल तक रहने के बाद 8 मई 2015 को उनका तबादला रायपुर कर दिया गया। वे तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-१ सह अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अलावा सीबीआई मजिस्ट्रेट के प्रभार में थे। उन्हें कार्य करते हुए चार महीने ही हुए थे कि पीएमटी फैसले के बाद अचानक 14 सितम्बर 2015 को उनका तबादला सुकमा में कर दिया। तबादले की यह कार्रवाई� कोई इत्तेफाक नहीं थी। इसके पीछे सोची-समझी रणनीति थी।
प्रतिभा ग्वाल ने पत्र में लिखा है, उनके पति बिलासपुर में मजिस्ट्रेट थे। वहां लगभग तीन साल तक रहने के बाद 8 मई 2015 को उनका तबादला रायपुर कर दिया गया। वे तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-१ सह अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अलावा सीबीआई मजिस्ट्रेट के प्रभार में थे। उन्हें कार्य करते हुए चार महीने ही हुए थे कि पीएमटी फैसले के बाद अचानक 14 सितम्बर 2015 को उनका तबादला सुकमा में कर दिया। तबादले की यह कार्रवाई� कोई इत्तेफाक नहीं थी। इसके पीछे सोची-समझी रणनीति थी।
"सुकमा भेजा है लाश आएगी"
उन्होंने पत्र में लिखा है कि वे अपने पति को बेहतर जानती हैं। उनमें चरित्र, आचरण, व्यवहार और विधिक की कोई दुर्बलता मौजूद नहीं है। उनकी इन विशेषताओं के कारण कई न्यायाधीश उनसे ईष्या भी रखते हैं। उनके पति को कई मौकों पर फंसाने की कोशिश की गई, लेकिन जब वे असफल हो गए तो उनका तबादला सुकमा कर दिया गया। अब विधायक रामलाल चौहान और उनके सहयोगी घूम-घूमकर यह प्रचारित कर रहे हैं कि एक विधायक से टकराने का नतीजा देख लो। अभी सुकमा भेजा गया है अब वहां से लाश ही आएगी।
अब हमें कर रहे हैं भयभीत
थाने में की गई शिकायत में मजिस्ट्रेट ग्वाल की ओर से कहा गया है कि ७ जुलाई को सरायपाली के विधायक रामलाल चौहान न्यायालय के विश्राम कक्ष में आए थे। उन्होंने पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की और बताया कि उनके (ग्वाल) खिलाफ सीबीआई और एसआईबी कोई जांच कर रही है। विधायक ने बताया कि प्रतिभा ग्वाल ने चुनाव लडऩे के लिए जहां-जहां� आवेदन लगाया था, उसकी जानकारी जुटाई जा रही है। इसके बाद मजिस्ट्रेट ने थाने में शिकायत करते हुए कहा कि� विधायक रामलाल और दीपांशु काबरा गंभीर आपराधिक षडय़ंत्र कर सकते हैं। इधर, सिविल लाइन थाने के प्रभारी वीरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि मजिस्ट्रेट ग्वाल स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने का आदेश दे सकते थे, लेकिन शिकायत आशंका पर आधारित है। इसलिए जांच-पड़ताल चल रही है।
लगता है कोई मुझे फंसाने की साजिश रच रहा है। प्रभाकर ग्वाल मजिस्ट्रेट जरूर है लेकिन उनसे मेरी� पुरानी जान-पहचान है। मैं उनका बुरा क्यों सोचने लगा। उन्होंने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, वे� निराधार हैं। यह बात सही है कि पीएमटी परीक्षा के मामले में उनकी ओर से फैसला दिए जाने के बाद मैंने सामाजिक नातेदारी के चलते उनसे चर्चा की थी, लेकिन फैसले को लेकर कोई राय व्यक्त नहीं की थी।
रामलाल चौहान, विधायक सरायपाली
मुझे माननीय मजिस्ट्रेट के आरोपों पर कुछ नहीं कहना है। मैं कुछ भी नहीं बोलूंगा।
दीपांशु काबरा, आईजी, नक्सल ऑपरेशन
(राजकुमार सोनी)
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