Saturday, October 24, 2015

आदिवासी को पहले गोली मारी, फिर लाश जलवाकर सबूत मिटा डाली पुलिस- आप


आदिवासी को पहले गोली मारी, फिर लाश जलवाकर सबूत मिटा डाली पुलिस- आप 

रायपुर (ब्यूरो)। दंतेवाड़ा के नीलावाया गांव में आदिवासी को गोली मारने की घटना पर आम आदमी पार्टी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी नेताओं का दावा है कि पुलिस ने पहले गांव वालों को डराने के लिए आदिवासी भीमा मंडावी को गोली मारी और जब मीडिया के लोग पहुंचने वाले थे तो आदिवासी के शव को जलवाकर सबूत मिटा दिए गए। पार्टी का यह भी आरोप है कि पुलिस और सरकार बस्तर में भय का वातावरण निर्मित कर रही है और गड़बड़ियां उजागर करने वाले पत्रकारों को भी धमकी दी जा रही है।
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। पार्टी संयोजक संकेत ठाकुर ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में बस्तर के निर्दोष आदिवासियों और स्थानीय नागरिकों पर नक्सली होने का आरोप लगाकर फर्जी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों द्वारा उनकी हत्या करने और जन सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार करने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने बताया- पार्टी ने खुद दंतेवाड़ा के नीलावाया गांव जाकर भीमा मंडावी मामले की पड़ताल की है। 6 अक्टूबर की शाम 50 साल के मंडावी को पुलिस ने खेत जाते वक्त गोली मारी और लाश को वहीं छोड़कर पुलिस वाले चले गए। घटना की सूचना आप नेता सोनी सोढ़ी को दी गई। उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना देकर मीडिया की टीम के साथ जब मौके पर जाने की बात कही तो पुलिस वहां पहले पहुंचकर मंडावी के परिवार वालों को धमकाने लगी। उसकी लाश को भी पुलिस ने दबाव डलवाकर जलवा दिया, ताकि सबूत मिटाए जा सकें। इस घटना से पूरा गांव दहशत में है।
इस तरह से आदिवासियों की कई बार हत्या हो चुकी है। इसी तरह झीरमकांड की प्रथम सूचना देने वाले दरभा के निर्भीक पत्रकार संतोष यादव के खिलाफ भी जनसुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई कर उसे जेल भेज दिया गया, जबकि इस कार्रवाई का विरोध करने वाले आप नेता पर भी आईजी एसआरपी कल्लूरी ने नक्सली होने का आरोप लगाया। पुलिस इसी तरह से उन इलाकों में लोगों और उनके लिए आवाज उठाने वालों को डरा-धमकाकर गुंडागर्दी कर रही है। आप नेता जब सीएम से मिलने रायपुर आ रहे थे, तब भी बस्तर की पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया था। पार्टी पत्रकार संतोष यादव की रिहाई और मंडावी मामले में जांच कर दोषी पुलिस वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस कार्रवाई के विरोध में हर रोज आदिवासी एकत्र होकर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन या तो पुलिस उन्हें रोक लेती है या फिर मीडिया को कवरेज करने नहीं दिया जाता।

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