मुझ बूढ़े को अपना सर शर्म से झुका लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है - पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास ने अल्पसंख्यकों और दलितों पर बढ़ रहे हमलों और उसमें शासक दल के नेताओं, मंत्रियों की खुली भागीदारी के खिलाफ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम खुला पत्र लिखा है.
अपने इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि ‘अस्सी की उम्र पार कर चुके मुझ बूढ़े को अपना सर शर्म से झुका लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जब मैं देखता हूं कि मौजूदा शासन में अल्पसंख्यकों और दलितों को सीधे हमलों का निशाना बनाया जा रहा है.
‘टेलिग्राफ’ में राधिका रामाशेषन की एक रिपोर्ट छपी है जिसमें उस पत्र के बारे में बताया गया है जो पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा है.
एडमिरल रामदास जब सिर्फ पंद्रह साल के थे, तभी वे भारतीय सेना में शामिल हो गये थे। वे 1990 से 1993 तक नौसेना प्रमुख रहे। उन्हें शांति के लिए मैगसेसे पुरस्कार भी मिल चुका है। आज उनकी उम्र अस्सी को पार कर गई है.
पत्र में एडमिरल रामदास ने लिखा है ‘‘ऐसे कुछ सांसद, काबिना मंत्री और निर्वाचित मुख्यमंत्री है जो ऐसी टिप्पणियों और कार्रवाइयों में सबसे आगे रहते हैं जिनसे लगता है कि शासक दल और उससे जुड़े अनेक संगठन कानून के शासन और सभ्यता के तकाजों की अवमानना करते हुए एक योजना के तहत काम कर रहे हैं.’’
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