सुप्रीम कोर्ट ने 214 कोल ब्लॉक का आवंटन किया रद्द
naiduniya
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- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संकट में 194 कोयला ब्लॉक
- चाहे तो सारे कोल ब्लॉक रद कर दे कोर्ट
- कोल ब्लॉक आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
- कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सुनवाई शुरू
- कोल ब्लॉक आवंटन फिर पकड़ेगा रफ्तार
नई दिल्ली। कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 1993 से अबतक आवंटित 218 कोल ब्लॉकों में से 214 का आवंटन रद्द करने का फैसला सुनाया। जिन चार ब्लॉकों को इस फैसले में राहत दी गई है, वे केंद्र सरकार के मेगा पावर प्रोजक्ट से जुड़ी हैं।
इस फैसले से पहले केंद्र ने हलफनामा दायर कहा था कि कोर्ट चाहे तो सभी कोल ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दे। बीते 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 1993 से अभी तक सारे कोल आवंटन को अवैध करार दिया था।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि ये सारे आवंटन मनमाने ढंग से किए। पिछले दो दशक में 36 स्क्रीनिंग कमेटियों ने अवैध और मनमाने तरीके से कोल ब्लॉक आवंटित किए। ना ही ये आवंटन पारदर्शी थे और ना ही सही ढंग से किए गए।
दरअसल, कोल ब्लॉक का मामला भले मनमोहन सरकार के समय का उछला, लेकिन जांच पूरे दौर की हुई। झारखंड, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश के 218 कोल ब्लॉक्स 1993 से 2010 के बीच आवंटित हुए। इनमें से 195 कोल ब्लॉकों के भविष्य पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला लेना है। 46 कोल ब्लॉकों में काम चल रहा है, बाकी पहले ही रद्द हो चुके हैं।
कोर्ट ने सुझाव दिया था कि मामला अर्थव्यवस्था से जुड़ा है इसलिए इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हो। सुप्रीम कोर्ट ने आगे सुनवाई की और 9 सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
1 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान भारत सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोर्ट सारे आवंटन रद्द कर देता है तो भी सरकार तैयार है, लेकिन हो सके तो उन 46 ब्लॉक्स को छोड़ दिया जाए जो या तो शुरू हो चुके हैं या शुरू होने वाले हैं। इसके लिए 295 रुपए प्रति टन का जुर्माना वसूला जा सकता है। कोर्ट इस मामले में फौरन आदेश जारी करे और कोई कमेटी न बनाए। देश में बिजली के हालात ठीक नहीं और ऐसे में जल्द दोबारा आवंटन जरूरी है।
9 सितंबर को सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि सारे आवंटन रद्द कर दिए जाएं और जो ब्लॉक्स चल रहे हैं, उन्हें कोल इंडिया के हवाले किए जाए या 2जी स्पेक्ट्रम की तर्ज पर जब तक नए आवंटन नहीं होते 46 कोल ब्लॉकों को चलने दिया जाए। सुनवाई के दौरान माइनिंग से जुड़ी कंपनियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी। कोर्ट में कंपनियों की तरफ से कहा गया कि कोई भी आदेश देने से पहले उनकी बात भी सुनी जाए। इस बारे में एक कमेटी बने जो हर कंपनी से बातचीत करे।
कोल ब्लॉकों में करीब पांच लाख करोड़ रुपए का निवेश है। अगर सब आवंटन रद्द हुए तो अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संकट में 194 कोयला ब्लॉक
- चाहे तो सारे कोल ब्लॉक रद कर दे कोर्ट
- कोल ब्लॉक आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
- कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सुनवाई शुरू
- कोल ब्लॉक आवंटन फिर पकड़ेगा रफ्तार
नई दिल्ली। कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 1993 से अबतक आवंटित 218 कोल ब्लॉकों में से 214 का आवंटन रद्द करने का फैसला सुनाया। जिन चार ब्लॉकों को इस फैसले में राहत दी गई है, वे केंद्र सरकार के मेगा पावर प्रोजक्ट से जुड़ी हैं।
इस फैसले से पहले केंद्र ने हलफनामा दायर कहा था कि कोर्ट चाहे तो सभी कोल ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दे। बीते 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 1993 से अभी तक सारे कोल आवंटन को अवैध करार दिया था।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि ये सारे आवंटन मनमाने ढंग से किए। पिछले दो दशक में 36 स्क्रीनिंग कमेटियों ने अवैध और मनमाने तरीके से कोल ब्लॉक आवंटित किए। ना ही ये आवंटन पारदर्शी थे और ना ही सही ढंग से किए गए।
दरअसल, कोल ब्लॉक का मामला भले मनमोहन सरकार के समय का उछला, लेकिन जांच पूरे दौर की हुई। झारखंड, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश के 218 कोल ब्लॉक्स 1993 से 2010 के बीच आवंटित हुए। इनमें से 195 कोल ब्लॉकों के भविष्य पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला लेना है। 46 कोल ब्लॉकों में काम चल रहा है, बाकी पहले ही रद्द हो चुके हैं।
कोर्ट ने सुझाव दिया था कि मामला अर्थव्यवस्था से जुड़ा है इसलिए इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हो। सुप्रीम कोर्ट ने आगे सुनवाई की और 9 सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
1 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान भारत सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोर्ट सारे आवंटन रद्द कर देता है तो भी सरकार तैयार है, लेकिन हो सके तो उन 46 ब्लॉक्स को छोड़ दिया जाए जो या तो शुरू हो चुके हैं या शुरू होने वाले हैं। इसके लिए 295 रुपए प्रति टन का जुर्माना वसूला जा सकता है। कोर्ट इस मामले में फौरन आदेश जारी करे और कोई कमेटी न बनाए। देश में बिजली के हालात ठीक नहीं और ऐसे में जल्द दोबारा आवंटन जरूरी है।
9 सितंबर को सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि सारे आवंटन रद्द कर दिए जाएं और जो ब्लॉक्स चल रहे हैं, उन्हें कोल इंडिया के हवाले किए जाए या 2जी स्पेक्ट्रम की तर्ज पर जब तक नए आवंटन नहीं होते 46 कोल ब्लॉकों को चलने दिया जाए। सुनवाई के दौरान माइनिंग से जुड़ी कंपनियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी। कोर्ट में कंपनियों की तरफ से कहा गया कि कोई भी आदेश देने से पहले उनकी बात भी सुनी जाए। इस बारे में एक कमेटी बने जो हर कंपनी से बातचीत करे।
कोल ब्लॉकों में करीब पांच लाख करोड़ रुपए का निवेश है। अगर सब आवंटन रद्द हुए तो अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है।
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