जो व्यक्ति पुलिस से बच कर भाग रहा है . क्या वह अपराधी है ?
मैं ऐसा बिलकुल नहीं मानता .
हिमांशु कुमार
लेकिन हमें बचपन से यही समझाया गया है . कि एक पुलिस होती है दूसरा चोर होता है .
लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि इसका उल्टा भी हो सकता है .
मेरे पास अक्सर ऐसे महिला पुरुष साथियों के फोन आते हैं जो पुलिस से छिप कर भाग रहे होते हैं .
ये सभी वे लोग होते हैं जिन्होंने ताकतवर बदमाश अधिकारियों , नेताओं के भ्रष्टाचार या सेठों की लूटमार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है .
सत्ता और पुलिस ऐसे लोगों को अपराधी घोषित कर देती है .
सत्य की लड़ाई में अपना काम जारी रखने के लिए ये साथी गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालती मदद मिलने तक भूमिगत हो जाते हैं .
लेकिन बाद में लगभग सभी मामलों में ऐसे साथी निर्दोष पाए जाते हैं .
दोषी तो सत्ता में बैठे लोग ही होते हैं . जो पुलिस को अपने अपराधों के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाले सच्चे लोगों का मुंह बंद करने के लिए इस्तेमाल करते हैं .
उदहारण के लिए इस तरह के संघर्ष में लगे कुछ साथियों के नाम ज़ाहिर कर रहा हूँ जो कभी न कभी पुलिस के निशाने पर रहे और आज भी सत्य और न्याय की अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं .
१- सोनी सोरी - छत्तीसगढ़ की आदिवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता , लंबे समय तक जेल में रही
२- लिंगा कोडोपी - छत्तीसगढ़ में गोंडी भाषा का पहला पत्रकार , लंबे समय जेल में रहे
३- कैलाश मीणा - राजस्थान में अवैध माइनिंग के खिलाफ़ लड़ने वाले , कई बार जेल गए , जान पर कई बार हमले हुए
३- नारायण सिंह चौहान - छत्तीसगढ़ में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद करने वाले , आज कल इनकी गिरफ्तारी के भी वारंट निकले हुए हैं
४ - जयराम तंवर , कारगिल की लड़ाई के वीरता पुरस्कार विजेता , पत्थर माइनिंग माफिया का विरोध करने के कारण फर्ज़ी मुकदमों में फंसाया गया , फरार रहे
५ -लाल चन्द्र - आजकल पत्थर माइनिंग माफिया के खिलाफ़ लड़ रहे हैं अभी फरार हैं ,
६ - पंडा - दंतेवाड़ा में आदिवासी नेता , सलवा जुडूम ने जान लेने की कोशिश करी , बाद में पुलिस ने फर्ज़ी केस बना दिए , आजकल भूमिगत हैं
७ - हालिसिम सीमेंट कम्पनी के खिलाफ़ लड़ने वाले छह मजदूर साथी - स्विट्जरलैंड की सीमेंट कम्पनी के खिलाफ़ पूरी मजदूरी की लड़ाई लड़ने के कारण पुलिस ने कम्पनी के कहने से डकैती के फर्ज़ी केस बना दिए , छहों मजदूर साथी दो साल भूमिगत रहे
८ - कोपा कुंजाम - सरकार द्वारा जलाए गए आदिवासियों के चालीस गाँव को दुबारा बसाया . सरकार ने अपहरण का फर्ज़ी केस बना कर जेल में डाल दिया दो साल तक जेल में रहे .
सुना है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मेरे ऊपर भी अनेकों फर्ज़ी मुकदमे दर्ज़ कर दिए हैं और मुझे भी फरार घोषित किया हुआ है . क्योंकि मैंने अनेकों फर्ज़ी मुठभेड़ों के मामले में सरकार पर अदालतों में मुकदमे दायर किये हुए हैं .
तो आइये हुजूर मुझे पकडिये , जेल में सताइए , जेल में ही मेरी हत्या भी कर दीजिए .
राज चलाने के लिए हम जैसे लोगों को खामोश करना ज़रूरी होता है जनाब .
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