Tuesday, September 30, 2014

छत्‍तीसगढ़ में 97 प्रतिशत बस्तियों का पेयजल जोखिम भरा

छत्‍तीसगढ़ में 97 प्रतिशत बस्तियों का पेयजल जोखिम भरा


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गंगेश द्विवेदी/रायपुर। छत्तीसगढ़ के गांवों में रहने वाले करीब 97 फीसदी से अधिक लोग पीने के लिए जिस पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसकी गुणवत्ता संदिग्ध है। वजह यह है कि इस पेजयल की जांच ही नहीं की जा रही है। राज्य की पेयजल व्यवस्था की यह बदहाली केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की एक रिपोर्ट से सामने आई है, लेकिन राज्य के पीएचई मंत्री रामसेवक पैकरा इस रिपोर्ट से इत्तेफाक नहीं रखते। वे स्वीकार करते हैं कि अधिकांश ग्रामीण इलाकों में पेयजल की जांच नहीं की जा रही है। इसके साथ ही उनका दावा है कि ग्रामीणों को जो पानी दिया जा रहा है, वह साफ और पीने योग्य है।
केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की 9655 पंचायतों में 73616 बस्तियां हैं। इन बस्तियों में से केवल 1866 यानी 2. 53 फीसदी बस्तियों में पीने के जल स्रोतों का लैब में परीक्षण होता है। ये वे बस्तियां हैं, जहां टैप वाटर से पानी सप्लाई होता है। बाकी 97. 46 फीसदी आबादी को पीने का पानी तो मिल रहा है लेकिन उनके शुद्धता की जांच किसी स्तर पर नहीं हो रहा है। वहीं 5957 बस्तियों में जल स्रोतों का लेबोरेटरी में आंशिक परीक्षण होता है। यह कुल बस्तियों का 8.09 फीसदी है। इन बस्तियों में दिए जा रहे पानी को पूरी तरह कीटाणुरहित नहीं माना जा सकता।
89 फीसदी आबादी रिस्क में
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 73616 ग्रामीण बस्तियों में से 65793 बस्तियों के जल स्रोतों का लैब में परीक्षण नहीं किया जाता। इन बस्तियों में करीब 6061 बस्तियों में नल से पानी भेजा जाता है, लेकिन वहां पानी के परीक्षण की व्यवस्था नहीं है। वहीं करीब 58550 बस्तियों में हैंडपंप और बोरवेल हैं। 1125 बस्तियों में पेयजल के अन्य स्रोत हैं वहीं 57 बस्तियों के स्रोतों का पता नहीं है।
एसटी-एससी बस्तियों तक नल नहीं
प्रदेश की केवल 34 फीसदी ग्रामीण बस्तियों तक नल से पानी पहुंच रहा है।
उनमें से अनुसूचित जाति (एससी)एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी)बस्तियों में तो पेयजल योजना का लाभ अभी बहुत कम पहुंच पाया है। प्रदेश में 49978 एसटी बस्तियां है। इनमें से केवल 1561 यानी 3.12 फीसदी बस्तियों में नल से पानी सप्लाई हो रही है। वहीं एससी 3101 बस्तियों में से केवल 96 बस्तियों तक नल पहुंच पाया है।
प्रदेश की ग्रामीण बस्तियों में भले ही पेयजल परीक्षण के बगैर पीने का पानी सप्लाई हो रहा है, लेकिन हालात इतने बुरे नहीं है। राज्य सरकार ने प्रदेश के कई क्षेत्रों में जल आवर्धन योजना चला रखी है। इनके शुरू होते ही कीटाणुरहित जल प्रदाय का दायरा ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेगा। जिन जगहों पर लैब में पानी का परीक्षण नहीं हो रहा है, उसका यह अर्थ नहीं कि वहां पानी गंदा है। ये वे स्रोत हैं, जहां पानी की जांच की अभी जरूरत नहीं पड़ी। इन जगहों पर जल स्रोतों को समय-समय पर ब्लीचिंग पाउडर और पोटाश डालकर कीटाणुरहित किया जाता है।
-रामसेवक पैकरा, पीएचई मंत्री
रिपोर्ट के मुताबिक
-प्रदेश की कुल पंचायत- 9655
-प्रदेश में कुल ग्रामीण बस्तियां - 73616
-बस्तियां, जहां पानी सप्लाई से पहले लैब में 100 फीसदी जांच होती है- 1866 यानी 2. 53 फीसदी
-बस्तियां, जहां आंशिक परीक्षण के बाद होती है पानी सप्लाई- 5957 यानी- 8.09 फीसदी
-कुल बस्तियां, जहां के जल स्रोतों का परीक्षण होता है- 7823 यानी 10. 62 फीसदी
बस्तियां, जहां के जल स्रोतों का लैब में परीक्षण नहीं होता- 65793 यानी 89.37 फीसदी

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