हमारे समय की महिलायें
हिमांश कुमार [ दंतेवाड़ा वाणी ]
मणिपुर में इरोम शर्मिला को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है . उन्हें रिहा करने का अदालत का फैसला सरकार ने नहीं माना .
उड़ीसा में आरती मांझी जिसे पुलिस ने गिरफ्तार करके थाने में सामूहिक बलात्कार किया था और उस लड़की पर नक्सलवादी होने के पांच फर्ज़ी केस लगा दिए थे .
वो लड़की आरती मांझी सभी मामलों में निर्दोष पायी गयी है और उसने पुलिस वालों पर बलात्कार का जो केस किया था उस पर कोई सुनवाई नहीं करी जा रही है .
झारखंड में आदिवासी महिला और पत्रकार दयामनी बरला जेल से निकल आयी हैं लेकिन अभी भी उनके ऊपर कई फर्ज़ी मुकदमे लगे हुए हैं और उन्हें लगातार अदालत में हाज़िर होना पड़ता है .
आदिवासी महिला कार्यकर्ता अपर्णा मरांडी भी जेल से ज़मानत पर रिहा हैं परन्तु उन्हें भी अदालत के चक्कर काटने पड़ रहे हैं .
महाराष्ट्र में समानता के गीत गाने वाली दलितों के अधिकारों के लिए काम करने वाली शीतल साठे को भी जेल में डाल दिया गया .
अब वो ज़मानत पर जेल से बाहर हैं लेकिन उन्हें भी अदालत के चक्कर काटने पड रहे हैं
छत्तीसगढ़ में किसी भी पत्रकार के सोनी सोरी के पास पहुँचते ही दंतेवाड़ा में वहाँ की पुलिस सिपाहियों से भरी जीपें पुलिस सोनी के घर पर खड़ी कर देती है . ताकि सोनी डर जाए और पत्रकारों को लेकर किसी पीड़ित आदिवासी से मिलने न ले जा सके .
सोनी को हर हफ्ते थाने में अपनी हाजिरी लगानी पड़ती है .
सोनी ने अपने साथ हुई प्रतारणा का जो केस उस बदमाश अधिकारी पर लगाया था , पिछले दो साल से उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है
याद रखिये इन सभी महिलाओं को सरकार ने जेल में डाला है .
यह भी याद रखिये कि इन सभी महिलाओं को समाज में फैले अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने के कारण सरकार ने जेल में डाला है .
और यह भी याद रखिये कि ये महिलायें दूसरों के दुःख से पीड़ित होने वाली संघर्षशील महिलायें हैं
आज़ादी के बाद आखिर इस देश की आदिवासी, दलित और दूरस्थ इलाकों की महिलायें सरकार द्वारा भारतीय राज्य के लिए इतना बड़ा खतरा क्यों मानी जा रही हैं ?
क्या इसमें इन महिलाओं की कोई गलती है ?
आखिर क्यों आज़ादी मिलते ही ये बड़ी जाति के लोग ही राष्ट्रभक्त माने जाने लगे हैं ?
और कैसे इन बड़ी जाति के अमीर संभ्रात लोगों ने इस देश की आदिवसियों , दलितों अल्पसंख्यकों की बहुत बड़ी आबादी को भारत के लिए खतरा घोषित कर दिया है ?
कैसे भारत की सारी राजनैतिक ,आर्थिक और फौजी ताकत इन बड़ी जाति के अमीर पुरुषों के हाथ में आ गई है.
कैसे यह बड़ी जाति के अमीर पुरुष भारत की सरकारी बंदूकों के दम पर भारत के खनिजों , जंगलों , सागर तटों पर कब्ज़ा करके और भी दौलत इकठ्ठा करते जा रहे हैं .
इसके नतीजे में कैसे आदिवासी , गाँव के लोग , दलित और भी गरीब और भी बेआवाज़ और गरीब बनाये जा रहे हैं .
आपके द्वारा इसे समझना ही भारत की असली आज़ादी का रास्ता खोलेगा .
वरना आपकी आर्थिक ,राजनैतिक और सामाजिक आज़ादी पूंजीपतियों , और उनके सेवकों के पैरों तले कुचली जाती रहेगी .
अगर आपने यही मान लिया है कि आपके लिए इस देश का नागरिक होने का हासिल बस इतना ही है कि आप को सरकार या पूंजीपति की फैक्ट्री या आफिस में बस एक नौकरी मिल जाए .
तो आने वाली पीढियां आप को कभी सम्मान से याद नहीं करेंगी .
नागरिक होने का फ़र्ज़ निभाइए . इस सब पर कम से कम सवाल तो उठाइये .
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