इस तरह आप और आपके स्कूल बच्चों के दिमागों में मेहनत के प्रति नफ़रत के विचार डाल रहे हैं
हिमांशु कुमार [ दंतेवाड़ा वाणी ]
हम अपने घर में और हमारे स्कूल बच्चों को क्या सिखा रहे हैं
खूब पढ़ो जिससे तुम बड़े आदमी बनो
बड़े आदमी बनो मतलब अमीर आदमी बनो
यानी आप सिखा रहे हैं कि पैसे वाला आदमी ही बड़ा आदमी होता है
आप यह भी सिखा रहे हैं कि किताबें पढ़ने वाले को ज़्यादा अमीर होने का अधिकार है
किताबें न पढ़ने वाले का गरीब रहना बिलकुल ठीक है
यानी आप अपने बच्चे को सिखा रहे हैं कि
शरीरिक श्रम हीन बात है
और दिमागी काम ज़्यादा इज्ज़तदार और कमाऊ होता है
इस तरह आप और आपके स्कूल
बच्चों के दिमागों में मेहनत के प्रति नफ़रत के विचार डाल रहे हैं
अब बच्चा मजदूरों से
बढ़ई से
नलसाज़ से
मोटर मेकेनिक से
अपने को ऊपर और
श्रेष्ठ मानने लगता है
आपका बच्चा मानता है कि किसी सेठ की कम्पनी के आफिस में नौकर होना ज़्यादा इज्ज़त की बात है
बजाय कि एक अच्छा बढ़ई , नलसाज़ या मेकेनिक होना .
इसी तरह आपका स्कूल और आप अपने बच्चे को
यह भी सिखाते हैं कि सफाई करने वाले लोग नीच होते हैं
यानी आप और आपका स्कूल बच्चे को ये भी सिखाते हैं कि
गंदगी करने वाले लोग श्रेष्ठ होते हैं
इस तरह आपका बच्चा सफाई करने को नीचा काम
और कचरा फैलाने को अमीरी का प्रतीक मानने लगता है
आप और आपका स्कूल बच्चों को यह भी सिखाते हैं कि
गरीब लोग इसलिए गरीब होते हैं क्योंकि वे लोग आलसी होते हैं
लेकिन दिल पर हाथ रख कर कहिये कि क्या यह सच बात है ?
क्या मजदूर और किसान आपसे कम मेहनत करता है ?
या उसकी मेहनत का मूल्य आपके काम से कम है क्या ?
क्या आपके आफिस का काम किसान और मजदूर के काम से ज़्यादा कीमती है ?
आप और आपका स्कूल बच्चों को सिखाते हैं कि जिस धर्म में हम पैदा हुए वही सर्व श्रेष्ठ है .
आप और आपका स्कूल बच्चे को यह भी सिखाते हैं कि जिस देश में हमने जन्म लिया है वही सबसे अच्छा देश है .
इस तरह आप और आपका स्कूल बच्चे में झूठ भर देते हैं
जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया के सभी धर्म और सभी देश एक जैसे ही हैं
इसलिए खुद के देश और धर्म को सबसे बड़ा और बढ़िया मानना
आज के युग में मूर्खता के सिवाय कुछ भी नहीं है
यह झूठी श्रेष्ठता का भाव
बच्चों में दूसरे धर्मों और पड़ोसी देशों के बारे में नफ़रत पैदा करता है
ध्यान से देखिये
आप और आपके स्कूल
इस दुनिया में
बराबरी
सदभाव
और सभी मनुष्यों के बीच एकता लाने
में कितनी बड़ी बाधा हैं ?
इस सब को समझे बिना
आप गीता
कुरआन
बाइबिल
ग्रन्थ साहिब का
कितना भी पाठ करते रहिये
दुनिया
अच्छी बन ही नहीं सकती
इसलिए इस शिक्षा में
पूरे के पूरे
बदलाव की ज़रूरत है
खूब पढ़ो जिससे तुम बड़े आदमी बनो
बड़े आदमी बनो मतलब अमीर आदमी बनो
यानी आप सिखा रहे हैं कि पैसे वाला आदमी ही बड़ा आदमी होता है
आप यह भी सिखा रहे हैं कि किताबें पढ़ने वाले को ज़्यादा अमीर होने का अधिकार है
किताबें न पढ़ने वाले का गरीब रहना बिलकुल ठीक है
यानी आप अपने बच्चे को सिखा रहे हैं कि
शरीरिक श्रम हीन बात है
और दिमागी काम ज़्यादा इज्ज़तदार और कमाऊ होता है
इस तरह आप और आपके स्कूल
बच्चों के दिमागों में मेहनत के प्रति नफ़रत के विचार डाल रहे हैं
अब बच्चा मजदूरों से
बढ़ई से
नलसाज़ से
मोटर मेकेनिक से
अपने को ऊपर और
श्रेष्ठ मानने लगता है
आपका बच्चा मानता है कि किसी सेठ की कम्पनी के आफिस में नौकर होना ज़्यादा इज्ज़त की बात है
बजाय कि एक अच्छा बढ़ई , नलसाज़ या मेकेनिक होना .
इसी तरह आपका स्कूल और आप अपने बच्चे को
यह भी सिखाते हैं कि सफाई करने वाले लोग नीच होते हैं
यानी आप और आपका स्कूल बच्चे को ये भी सिखाते हैं कि
गंदगी करने वाले लोग श्रेष्ठ होते हैं
इस तरह आपका बच्चा सफाई करने को नीचा काम
और कचरा फैलाने को अमीरी का प्रतीक मानने लगता है
आप और आपका स्कूल बच्चों को यह भी सिखाते हैं कि
गरीब लोग इसलिए गरीब होते हैं क्योंकि वे लोग आलसी होते हैं
लेकिन दिल पर हाथ रख कर कहिये कि क्या यह सच बात है ?
क्या मजदूर और किसान आपसे कम मेहनत करता है ?
या उसकी मेहनत का मूल्य आपके काम से कम है क्या ?
क्या आपके आफिस का काम किसान और मजदूर के काम से ज़्यादा कीमती है ?
आप और आपका स्कूल बच्चों को सिखाते हैं कि जिस धर्म में हम पैदा हुए वही सर्व श्रेष्ठ है .
आप और आपका स्कूल बच्चे को यह भी सिखाते हैं कि जिस देश में हमने जन्म लिया है वही सबसे अच्छा देश है .
इस तरह आप और आपका स्कूल बच्चे में झूठ भर देते हैं
जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया के सभी धर्म और सभी देश एक जैसे ही हैं
इसलिए खुद के देश और धर्म को सबसे बड़ा और बढ़िया मानना
आज के युग में मूर्खता के सिवाय कुछ भी नहीं है
यह झूठी श्रेष्ठता का भाव
बच्चों में दूसरे धर्मों और पड़ोसी देशों के बारे में नफ़रत पैदा करता है
ध्यान से देखिये
आप और आपके स्कूल
इस दुनिया में
बराबरी
सदभाव
और सभी मनुष्यों के बीच एकता लाने
में कितनी बड़ी बाधा हैं ?
इस सब को समझे बिना
आप गीता
कुरआन
बाइबिल
ग्रन्थ साहिब का
कितना भी पाठ करते रहिये
दुनिया
अच्छी बन ही नहीं सकती
इसलिए इस शिक्षा में
पूरे के पूरे
बदलाव की ज़रूरत है
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