कैदी करा रहे मानव तस्करी, मंगवाते हैं बच्चों से भीख
gangs operating human trafficking from prisons in chhattisgarh
9/28/2014 8:28:38 AM
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी की लगातार शिकायतों के बीच प्रमुख लोकायुक्त शंभूनाथ श्रीवास्तव ने कहा कि जेलों में बंद कैदी अपने साथियों से मानव तस्करी करा रहे हैं। लोक आयोग के पास छत्तीसगढ़ के 6,525 बच्चों के लापता होने की शिकायत आई है। अधिकांश मामलों में बच्चों से भीख मंगवाया जा रहा है। श्रीवास्तव ने कहा कि इसके लिए रेलवे स्टेशन को ठिकाना बनाया गया है। इसे रोकने में जीआरपी कमजोर नजर आती है। मानव तस्करी के गैंग को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
प्रमुख लोकायुक्त ने मानव तस्करी रोकने के उपायों को लेकर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव तस्करी को दूर करने के लिए देश और समाज में जनजागरण जरूरी है। पिछले 10-15 वर्षो से यह अपराध कुछ संगठित संस्थाओं द्वारा सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। यह विषय इतना गंभीर है कि स्वयं सर्वोच्च न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में मानव व्यापार की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। इन तीनों राज्यों में सरकार और प्रशासन निश्चित रूप से इसकी रोकथाम के लिए लगातार सजग और सतर्क है।
प्रमुख लोकायुक्त ने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए ग्राम स्तर और शहरों में वार्ड स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग सहित समाजसेवी संगठनों को परस्पर सहयोग और समन्वय से काम करना चाहिए। एडीजी (सीआईडी) आर.सी. श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस और प्रशासन मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगा रहे हैं। साप्ताहिक हाट-बाजार में पम्पलेट, पोस्टर वितरित कर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।
सीआईडी के ओएसडी पी.एन. तिवारी ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी माना है कि मानव तस्करी रोकने की जरूरत है। पुलिस के अलावा विभाग के अधिकारी तथा समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। मानव तस्करी रोकथाम प्रकोष्ठ के प्रभारी निरीक्षक अनिल शर्मा ने बताया कि आयोजन में पुलिस रेंज दुर्ग, रायपुर एवं बिलासपुर के 30 अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
प्रमुख लोकायुक्त ने मानव तस्करी रोकने के उपायों को लेकर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव तस्करी को दूर करने के लिए देश और समाज में जनजागरण जरूरी है। पिछले 10-15 वर्षो से यह अपराध कुछ संगठित संस्थाओं द्वारा सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। यह विषय इतना गंभीर है कि स्वयं सर्वोच्च न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में मानव व्यापार की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। इन तीनों राज्यों में सरकार और प्रशासन निश्चित रूप से इसकी रोकथाम के लिए लगातार सजग और सतर्क है।
प्रमुख लोकायुक्त ने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए ग्राम स्तर और शहरों में वार्ड स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग सहित समाजसेवी संगठनों को परस्पर सहयोग और समन्वय से काम करना चाहिए। एडीजी (सीआईडी) आर.सी. श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस और प्रशासन मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगा रहे हैं। साप्ताहिक हाट-बाजार में पम्पलेट, पोस्टर वितरित कर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।
सीआईडी के ओएसडी पी.एन. तिवारी ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी माना है कि मानव तस्करी रोकने की जरूरत है। पुलिस के अलावा विभाग के अधिकारी तथा समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। मानव तस्करी रोकथाम प्रकोष्ठ के प्रभारी निरीक्षक अनिल शर्मा ने बताया कि आयोजन में पुलिस रेंज दुर्ग, रायपुर एवं बिलासपुर के 30 अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
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