वो वीर नियोगी था जिसने अपना खून बहाया था
छत्तीसगढ़ की धरती में लाल-हरा का झंडा लहराया था...शंकर गुहा नियोगी पर कविताक्रांतिकारी शंकर गुहा नियोगी की शहादत दिवस मनाते हुए रायपुर, छत्तीसगढ़ से साथी भागीरथी वर्मा उन पर लिखी एक कविता सुना रहे हैं:
छत्तीसगढ़ की धरती में लाल-हरा का झंडा लहराया था
मजदूर-किसानों के लिए वो वीर नियोगी था जिसने अपना खून बहाया था
छत्तीसगढ़ की धरती में...
सोये हुए मज़दूर-किसानों को वो वीर ने जगाया था
बेईमानों को ललकारा था, खाली हाँथ आया है तू खाली हाँथ जाएगा
छत्तीसगढ़ की धरती में.…
जन-आन्दोलन देखकर मक्कारों ने घबराया था
राज-द्रोही बनाकर उस वीर को जेलों में ठुसवाया था
छत्तीसगढ़ की धरती में.…
जल्लाद जेलर ने भी उस वीर के साथ कैसा दुर्व्यवहार रचाया था
बीसों नाखून खींचकर अँगुलियों को लहूलुहान बनाया था
28 सितम्बर 1991 की सुनसानी रात
उद्योगपतियों ने मिलकर उस वीर के सीने में गोली मरवाया था
उस वीर के अंत होने से, समाजसेवी और मजदूर-किसानों ने रोया था
छत्तीसगढ़ की धरती में लाल-हरा का झंडा लहराया था...
मजदूर-किसानों के लिए वो वीर नियोगी था जिसने अपना खून बहाया था
छत्तीसगढ़ की धरती में...
सोये हुए मज़दूर-किसानों को वो वीर ने जगाया था
बेईमानों को ललकारा था, खाली हाँथ आया है तू खाली हाँथ जाएगा
छत्तीसगढ़ की धरती में.…
जन-आन्दोलन देखकर मक्कारों ने घबराया था
राज-द्रोही बनाकर उस वीर को जेलों में ठुसवाया था
छत्तीसगढ़ की धरती में.…
जल्लाद जेलर ने भी उस वीर के साथ कैसा दुर्व्यवहार रचाया था
बीसों नाखून खींचकर अँगुलियों को लहूलुहान बनाया था
28 सितम्बर 1991 की सुनसानी रात
उद्योगपतियों ने मिलकर उस वीर के सीने में गोली मरवाया था
उस वीर के अंत होने से, समाजसेवी और मजदूर-किसानों ने रोया था
छत्तीसगढ़ की धरती में लाल-हरा का झंडा लहराया था...
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