ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट एक नाभिकीय समझौते को अंतिम रूप देेने भारत आए हैं। इस संबंध में नाभिकीय ऊर्जा विरोधी ऑस्ट्रेलियाई 14 जनसंगठनों ने आज ऑस्ट्रेलिया से भारतीय आंदोलनकारियों के नाम समर्थन पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने अपने यहां का हाल बताते हुए अपील की है कि भारत की संस्कृति को नाभिकीय ऊर्जा से तबाह न करें। पत्र अग्रेजी में है जिसकी मूल प्रति DiaNuke.org पर प्रकाशित है। इस पत्र का हिंदी तर्जुमा अभिषेक भाई ने किया है जिसे हम संघर्ष संवाद पर प्रकाशित कर रहे हैं।
प्रिय भार्गवी, दिलीप कुमार, कुमार सुंदरम और जैतापुर, कुडनकुलम, कोवाडा, मीठीविर्दी, कैगा, चुटका, रावतभाटा, फ़तेहाबाद, तारापुर और कलपक्केम के साथियों,
भारत और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों द्वारा 2012 के बाद से किए गए परस्पर यूरेनियम व्यापार संधियों के विरोध में आपके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए हम यह संदेश भेज रहे हैं। टोनी एबट आपके देश में ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम का निर्यात करने के लिए नरेंद्र मोदी के साथ जो समझौता करने जा रहे हैं, वह ऑस्ट्रेलिया की दो-तिहाई आबादी की मर्जी के खिलाफ़ है।
हम मांग करते हैं कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यूरेनियम निर्यात की संधि को रोका जाए और ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम के मौजूदा निर्यात पर रोक लगाए। यूरेनियम उद्योग यहां छोटा लेकिन बेहद ज़हरीला उद्योग है और हम नहीं चाहते कि रेडियोधर्मिता की विरासत हमारे देश से आपके देश में जाए। हम इस बात को जानते हैं कि फुकुशिमा में हुई तबाही के पीछे ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम ही था जिसने अब जापान को इतना संक्रमित कर डाला है कि इस स्थिति को पलट पाना अब असंभव है। फुकुशिमा हादसे के बाद मिरार समुदाय (उस क्षेत्र के पारंपरिक मूलवासी और ज़मीन मालिक, जहां रेन्जरर यूरेनियम खदानें स्थित हैं) की ओर से योने मार्गरुला ने संयुक्तज राष्ट्र के महासचिव बान-की मून को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्हों ने अपने देश से निर्यात किए गए रेडियोधर्मी पदार्थों से हुए नुकसान पर भारी खेद जताया था। उन्हों ने लिखा था, ''इस उद्योग का हमने अतीत में भी कभी समर्थन नहीं किया और भविष्यी में भी हम ऐसा नहीं करेंगे। फुकुशिमा में जो हो रहा है, उस पर हम सब बेहद शर्मिंदा हैं।''
हमें पता है कि भारत में नाभिकीय उद्योग के हाथों मूलवासी लोगों, कामगारों और गरीबों का कैसा शोषण हो रहा है। जादूगोड़ा यूरेनियम खदानों के करीब रहने वाले लोगों को हो रही बीमारियों के बारे में काफी दस्ता वेज़ मौजूद हैं जिनसे हम वाकिफ़ हैं। हम जानते हैं कि नाभिकीय ऊर्जा के खिलाफ जनांदोलनों को कैसे बर्बर तरीके से सरकारों द्वारा कुचला जा रहा है, जिसका एक उदाहरण इदिंथकरई के लोग हैं जो कुडनकुलम संयंत्र के साये में जीने को मजबूर हैं। हम आपके यहां अपर्याप्त श्रम कानूनों और पर्यावरण संरक्षण नियमों को लेकर भी चिंतित हैं।
भारत सरकार द्वारा उसके नाभिकीय हथियार कार्यक्रम को विस्ता्र दिए जाने के अडि़यल रवैये पर हम हतप्रभ हैं। उतना ही ज्यारदा आश्चिर्य हमें ऑस्ट्रे लिया की सरकार द्वारा भारत को यूरेनियम आपूर्ति करने के संकल्पउ पर भी होता है जबकि उसे मालूम है कि इसके चलते भारत अपना घरेलू यूरेनियम भंडार ज्याादा से ज्यामदा नाभिकीय हथियार बनाने में लगा पाएगा। भारत के राष्ट्री य सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के पूर्व प्रमुख के. सुब्रमण्य म ने 2005 में इस बारे में कहा था- ''चूंकि भारत में यूरेनियम की कमी है और हमें जल्दड से जल्दु अपना नाभिकीय ज़खीरा तैयार करना है, इसलिए यह हमारे लिए लाभकारी होगा कि हम ज्यामदा से ज्यांदा नाभिकीय रिएक्टारों को नागरिक रिएक्टमर की श्रेणी में डाल दें जिनका परिचालन आयातित यूरेनियम से हो ताकि हम अपने घरेलू यूरेनियम ईंधन को हथियार उत्पारदन हेतु प्लूाटोनियम बनाने में लगा सकें।''
ऐसा पहली बार होगा जब ऑस्ट्रे लिया एक ऐसे देश को यूरेनियम बेचेगा जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तकखत नहीं किए हैं और जो खुलेआम हथियारों की दौड़ में लिप्तक है। ऑस्ट्रे लिया से हो रहा यूरेनियम निर्यात तो पहले से ही एक खतरनाक उद्योग के काम आ रहा था, अब भारत के साथ उसका समझौता किसी भी तरह की सामाजिक जिम्मेखदारी को भी ताक पर रख देगा।
अकसर भारत और ऑस्ट्रे लिया के इस समझौते के पीछे गांवों में बिजली लाने का तर्क दिया जाता है जिससे ग्रामीण गरीबों का विकास होगा। हम जानते हैं कि भारत का नाभिकीय उद्योग अभिजात वर्ग के हित में है और जनता से उसने जो वादे किए हैं वे आज तक पूरे नहीं हुए। हम यह मानते हैं कि ऑस्ट्रेेलिया की ही तर्ज पर भारत में भी इस उद्योग की मार अकेले मूलवासी समुदाय पर ही पड़ेगी। भारत में नाभिकीय परियोजनाओं के खिलाफ चल रहे सतत प्रतिरोधों से हम प्रेरणा लेते हैं।
भविश्यों की ऊर्जा नाभिकीय नहीं, नवीकरणीय ऊर्जा है। हम चाहते हैं कि दुनिया भर के देश नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी संबंधी परियोजनाओं पर एक-दूसरे के साथ सहयोग करें। ऑस्ट्रेलिया से भारत आने वाला यूरेनियम निश्चित तौर पर रेडियोधर्मी कचरे को जन्म देगा, रेडियोधर्मी हादसों को पैदा करेगा या भारत में नाभिकीय हथियारों के उत्पातदन का रास्ताे आसान करेगा। इस जोखिम का बोझ उठाना हमें स्वीदकार्य नहीं है और हम मांग करते हैं कि ऑस्ट्रेालिया-भारत संधि को तत्काेल रोका जाए।
परमाणु मुक्त भविश्य के लिए एकजुटता में
Friends of the Earth
Environment Centre Northern Territory
Beyond Nuclear Initiative
Uranium Free NSW
Medical Association for Prevention of War
Anti-Nuclear Alliance of Western Australia
International Campaign to Abolish Nuclear Weapons
Nuclear Operations Watch Port Adelaide
Conservation Council of Western Australia
Gundjeihmi Aboriginal Corporation
Australian Conservation Foundation
Public Health Association of Australia
Queensland Nuclear Fee Alliance
People for Nuclear Disarmament W
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