US रिपोर्ट में भारत की निंदा, मोदी राज में बढे अल्पसंख्यकों पर हमले
Published : 30-04-2015
नई दिल्ली। अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भारत की बीजेपी सरकार की तीखी आलोचना की है। घर वापसी और चर्च पर हमलों को लेकर आयोग ने मोदी सरकार को जमकर लताडा है। 2015 के लिए आयोग की रिपोर्ट गुरूवार को जारी की गई।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 के चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी नेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश में अल्पसंख्यक वर्ग को बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद समेत कई अन्य हिंदूवादी संगठनों के भडकाऊ और अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड रहा है।
टियर-2 देशों की सूची में भारत..............
रिपोर्ट के मुताबिक, जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप द्वारा अल्पसंख्यकों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। इसके अलावा, उन पर हमले भी हो रहे हैं। इस रिपोर्ट में भारत को टियर-2 देशों की सूची में रखा है। भारत 2009 से इसी सूची में बना हुआ है। यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर धर्मगुरूओं और गैरसरकारी संगठन से बातचीत कर तैयार की गई है।
इन राज्यों में ज्यादा हमले होने का डर...............
रिपोर्ट में लिखा है, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सबसे ज्यादा धार्मिक हमले होने की आशंका है। गैरसरकारी संस्थाओं और अल्पसंख्यक नेताओं ने 2014 के आम चुनाव में धार्मिक विभाजन के आधार पर हुए प्रचरा को इसकी वजह बताया है। पैनल ने 2014 में मुस्लिमों और ईसाइयों के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों का जिक्र किया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 फरवरी को संसद में दिए उस बयान का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने चर्चो पर हुए हमलों की निंदा की थी और अल्पसंख्यकों को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया था। पैनल ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है।
इसलिए किया था मोदी को वीजा देने से इंकार...........
हालांकि, इस बयान को गुजरात में 2002 में हुए मुस्लिम विरोधी दंगों से जोडते हुए कहा है कि मोदी ही उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे और उन पर दंगे भडकाने का आरोप लगा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आरोपों के मद्देनजर ही अमेरिका ने अपने इमिग्रेशन एंड नेशनैलिटी एक्ट के तहत 2005 में मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था। यह एक्ट धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले किसी भी विदेशी नेता या अफसर को वीजा न देने की वकालत करता है। खास बात यह है कि मोदी ही एकमात्र ऎसे व्यक्ति हैं, जिन्हें इस नियम के तहत वीजा देने से इनकार किया गया था।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 के चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी नेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश में अल्पसंख्यक वर्ग को बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद समेत कई अन्य हिंदूवादी संगठनों के भडकाऊ और अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड रहा है।
टियर-2 देशों की सूची में भारत..............
रिपोर्ट के मुताबिक, जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप द्वारा अल्पसंख्यकों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। इसके अलावा, उन पर हमले भी हो रहे हैं। इस रिपोर्ट में भारत को टियर-2 देशों की सूची में रखा है। भारत 2009 से इसी सूची में बना हुआ है। यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर धर्मगुरूओं और गैरसरकारी संगठन से बातचीत कर तैयार की गई है।
इन राज्यों में ज्यादा हमले होने का डर...............
रिपोर्ट में लिखा है, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सबसे ज्यादा धार्मिक हमले होने की आशंका है। गैरसरकारी संस्थाओं और अल्पसंख्यक नेताओं ने 2014 के आम चुनाव में धार्मिक विभाजन के आधार पर हुए प्रचरा को इसकी वजह बताया है। पैनल ने 2014 में मुस्लिमों और ईसाइयों के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों का जिक्र किया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 फरवरी को संसद में दिए उस बयान का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने चर्चो पर हुए हमलों की निंदा की थी और अल्पसंख्यकों को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया था। पैनल ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है।
इसलिए किया था मोदी को वीजा देने से इंकार...........
हालांकि, इस बयान को गुजरात में 2002 में हुए मुस्लिम विरोधी दंगों से जोडते हुए कहा है कि मोदी ही उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे और उन पर दंगे भडकाने का आरोप लगा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आरोपों के मद्देनजर ही अमेरिका ने अपने इमिग्रेशन एंड नेशनैलिटी एक्ट के तहत 2005 में मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था। यह एक्ट धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले किसी भी विदेशी नेता या अफसर को वीजा न देने की वकालत करता है। खास बात यह है कि मोदी ही एकमात्र ऎसे व्यक्ति हैं, जिन्हें इस नियम के तहत वीजा देने से इनकार किया गया था।
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