Saturday, October 10, 2015

कुरआन और रामायण हमारी तहजीब का हिस्सा है, इसलिए इसके जरिए मैं अपने शहर का कर्ज उतारने की छोटी सी कोशिश कर रहा हूं - रविन्द्र जैन


 कुरआन और रामायण हमारी तहजीब का हिस्सा है, इसलिए इसके जरिए मैं अपने शहर का कर्ज उतारने की छोटी सी कोशिश कर रहा हूं - रविन्द्र जैन 




 गीतकार-संगीतकार रवींद्र जैन पिछले हफ्ते कार्यक्रम देने भिलाई (छ ग )आए थे। बातचीत शुरू हुई तो फिल्म और संगीत से जुड़े सवालों को रूटीन का बताते हुए थोड़ा नाराज हो गए। फिर उन्होंने वह बताया जो भिलाई में मीडिया को बताना चाहते थे। रवींद्र जैन ने खुलासा किया कि 20 साल की मेहनत के बाद उन्होंने कुरआन शरीफ का पद्य में अनुवाद पूरा कर लिया है। इसमें सूरए अल बकर की 4 घंटे की रिकार्डिंग भी अपनी आवाज में पूरी की है। कुरआन शरीफ के पद्य अनुवाद की वजह पर उन्होंने कहा-यह एक मेरा बहुत बड़ा काम था जो अल्लाह ने मुझसे करवाया। मेरे शहर अलीगढ़ (उप्र) की तहजीब में उर्दू-हिंदी दोनों शामिल हैं। कुरआन और रामायण हमारी तहजीब का हिस्सा है, इसलिए इसके जरिए मैं अपने शहर का कर्ज उतारने की छोटी सी कोशिश कर रहा हूं। रवींद्र जैन ने सूरए फातिहा गाकर भी सुनाई, जो मैनें अपने मोबाइल पर रिकार्ड कर ली है। उनका तर्जुमा इस तरह है-
अलहम्द में उसने कहा है खुद को रब्बुल आलमीन
गोया कि सारे आलमों का पालने वाला है वो
दरअस्ल रहमानो रहीम,उसकी सिफत के नाम है
बंदों का रखवाला वही,अव्वल है वो आला है वो
जिस रोज होंगे हश्र में नेकी बदी के फैसले
जिस रोज पूछा जाएगा सबसे हिसाबे खैरो-शर
उस रोज का मालिक है वो, उस रोज का हाकिम है वो
उस रोज अपने ही किए का पाएगा फल हर बशर
उसको ही पूजे और करें तेरी मदद का आसरा
तू बख्श कदमों को हमारे सीधा सच्चा रास्ता
उन राहियों का रास्ता जिन पर तेरे एहसान है
वो रास्ता शामिल रहे मालिक तेरी जिसमें रजा
वो रास्ता उनका ना हो जिन पर हुआ तेरा गजब
वो रास्ता भटके हरगिज न हो भटके हुए का रास्ता
तेरी निगाहों में रहें तेरी पनाहों में रहें
आमीन कह कर मांगते हैं आज तुझ से ये दुआ
आमीन कह कर मांगते हैं आज तुझ से ये दुआ


Md Zakir Hussain (October 23, 2013)

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