साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी लौटाया साहित्य अकादमी सम्मान, PM की चुप्पी पर उठाए सवाल
Reported by NDTVIndia , Edited by Sandeep Kumar , Last Updated: बुधवार अक्टूबर 7, 2015 12:18 PM IST
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उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा, 'अब समय आ गया है कि लेखकों को कट्टरता के खिलाफ़ एकजुट होकर आवाज़ उठानी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'लेखक के पास विरोध करने का यही तरीका है।' साथ ही सवाल उठाया कि 'ऐसे संवेदनशील मामले में इतने मुखर पीएम नरेंद्र मोदी चुप क्यों हैं? और कहा कि पीएम अपने मंत्रियों को चुप कराएं।'
इससे पहले प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल ने भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर देश की सांस्कृतिक विविधता कायम न रख पाने का आरोप लगाते हुए उन्हें दिया गया साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की थी। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 88-वर्षीय भांजी सहगल को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार वर्ष 1986 में उनके अंग्रेज़ी उपन्यास 'रिच लाइक अस' के लिए दिया गया था। सहगल अपने राजनीतिक विचारों को बेबाक तरीके से व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने वर्ष 1975-77 के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी लगाए जाने के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया था।
वहीं, हिंदी साहित्य के चर्चित कथाकार उदय प्रकाश ने भी बीते माह प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी सम्मान को लौटाने का फैसला लिया। मार्मिक कहानी 'मोहनदास' के लिए 2010-11 में उदय प्रकाश को साहित्य अकादमी सम्मान मिला था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस पुरस्कार को वापिस लौटाने का फैसला लिया कि कन्नड़ विद्वान कलबुर्गी की हत्या ने उन्हें काफी हिलाकर रख दिया है।
इससे पहले कर्नाटक में वरिष्ठ कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी से नाराज कन्नड़ भाषा के 6 लेखकों ने कन्नड़ साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटा दिया था।
- वीरान्ना माडीवलार
- टी सतीश जावरे गौड़ा
- संगामेश मेनासिखानी
- हनुमंत हालीगेरी
- श्रीदेवी वी अलूर
- चिदानंद
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