यहां झूठ नहीं, सच बोलोगे तो मारे जाओगे
हाल ही में मा��"वादी बताकर गिरफ्तार किए गए दरभा के पत्रकार संतोष यादव के मामले में पुलिस की भूमिका एक बार फिर कठघरे में है
"सबसे बड़ा अपराध है इस समय में निहत्थे और निरपराध होना, जो अपराधी नहीं होंगे मारे जाएंगे...।"
रायपुर. कवि राजेश जोशी की कविता की इन लाइनों में बस्तर की पीड़ा और सच की तस्वीर दिख रही है। बस्तर संभाग में कलम के सिपाहियों पर जुर्म ढाने की इंतेहा हो रही है। हाल ही में माओवादी बताकर गिरफ्तार किए गए दरभा के पत्रकार संतोष यादव के मामले में पुलिस की भूमिका एक बार फिर कठघरे में है।
जगदलपुर से 35 किमी दूर दरभा कस्बे में थाने से महज 100 कदम की दूरी पर रहने वाले संतोष यादव के पिता बुधराम का सवाल है, हम तीन पीढिय़ों से दरभा में हैं। अचानक ऐसा क्या हो गया कि पुलिस ने मेरे बेटे को माओवादी घोषित कर दिया। संतोष की पत्नी पूनम दो माह की बच्ची को गोद में लिए हुए कहती है, झीरमकांड क्या हो गया, पुलिस को लगता है कि दरभा और उसके आसपास के सभी गांवों में केवल माओवादी ही रहते हैं। दरभा के पूर्व सरपंच रामनाथ नाग भयावह सच से पर्दा उठाते हुए बताते हैं, पुलिस मेरा� एनकाउंटर करना चाहती थी। पुलिस मुझेजीप में लेकर जंगल की ओर गई, तभी संतोष चश्मदीद के तौर पर आ धमके और मैं बच गया। ऐसा एक नहीं दो बार हुआ। एक पत्रकार होने के नाते संतोष का हस्तक्षेप पुलिस को रास नहीं आया।
नेटवर्क बंद : रविवार सुबह पत्रिका टीम संतोष यादव के गांव दरभा पहुंची तो ग्रामीणों ने बताया, पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है या घटना होती है तो मोबाइल नेटवर्क बंद हो जाता है। संतोष की गिरफ्तारी के बाद ४ दिन से नेटवर्क बंद है। बस्तर संभाग में इससे पहले दो पत्रकारों नेमीचंद जैन व साई रेड्डी की हत्या हो चुकी है।
बुला रहे हैं कल्लूरी साहब
संतोष की पत्नी पूनम बताती है, 29 सितंबर को कुछ महिलाओं ने कहा, सफेद टीका लगाकर साहब आए हैं, जो ग्रामीणों को खाना व साड़ी बांट रहे हैं। शाम 5 बजे कुछ पुलिस वाले उनके घर आए और संतोष से कहा, आईजी शिवराम कल्लूरी साहब ने बुलाया है। उनके पति कार्यक्रम में तो गए, लेकिन दो दिन नहीं लौटे। तीसरे दिन उन्हें बताया गया, उनके पति पत्रकार नहीं... माओवादी हैं। मेरा पति पत्रकार के साथ ही कराटे का चैम्पियन भी है। एनसीसी में भी रहा है।
सबूत नहीं पर कई गंभीर धाराएं थोपीं
संतोष पर धारा-147, 148, 149, 341, 307, 302, 431, 120 बी, 25-27 आम्र्स एक्ट, 3-4 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 38, 34 (2) विधि के खिलाफ क्रियाकलापों में भाग लेने जैसी धाराओं के अलावा जनसुरक्षा अधिनियम� 8 (1)(2)(3) के तहत मामला दर्ज किया है। एएसआई प्रमोद श्रीवास्तव का कहना है, 22 अगस्त को कुछ लोगों ने एसटीएफ के प्लाटून कमांडर एपी सिंह की हत्या कर दी थी। इसमें अब तक 18 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, 19वें क्रम में संतोष का नाम है। पुलिस के मुताबिक संतोष के पास से न तो विस्फोटक मिला और न ही घातक हथियार। आरोपियों से बरामदगी के बाद माना गया, संतोष माओवादी गतिविधियों में लिप्त था और वह हत्यारा है। विवेचना अधिकारी उमेश कुमार कश्यप के अनुसार संतोष के खिलाफ सबूत हैं।
दरभा (जगदलपुर) से राजकुमार सोनी
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