Wednesday, May 27, 2015

रोम में लोकतंत्र था .


रोम में लोकतंत्र था .



रोम में लोकतंत्र था .
वहाँ की संसद को सीनेट कहा जाता था
उसके चुनाव होते थे
गुलामों को इस लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से बाहर रखा जाता था
गुलामों के लिए भोजन मुफ्त था
साल में ढाई सौ दिन खेल कूद होते थे
वहाँ होने वाले खेलों में गुलामों की लड़ाई और
भूखे शेर के सामने जिंदा गुलाम को छोड़ देने के खेल कराये जाते थे
मतलब कि बिलकुल वैसे ही हालात थे जैसे आज हमारे यहाँ हैं
आपको ज़्यादा से ज़्यादा मनोरंजन में फंसाया जा रहा है
रोज़ क्रिकेट देखिये
गाँव में वोट लेने के लिए सस्ता अनाज बांटा जा रहा है
उस वख्त भी शासकों की कृपा से मजे मारने वाला तबका इसके खिलाफ़ आवाज़ नहीं उठाता था
जैसे आज हम लोग आवाज़ नहीं उठाते हैं
आइये अब छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले में चलते हैं
वहाँ एक गाँव में एक आदिवासी लड़का रहता है
उसका नाम किशोर है
किशोर इस साल हाई स्कूल की परीक्षा दे रहा था
किशोर के इलाके में भी भाजपा सरकार आदिवासियों की ज़मीने छीन कर अमीर उद्योगपतियों को देने के काम में लगी हुई है
अभी हाल में मोदी ने जाकर इस काम में और तेज़ी लाने के लिए राज्य सरकार को प्रेरित किया है
किशोर अपने गाँव के आदिवासियों के ऊपर होने वाले सरकारी ज़ुल्मों से भी परेशान है
किशोर इन ज़ुल्मों के खिलाफ़ होने वाले जन आंदोलनों में जनता की मदद करता है
तारीख को किशोर आपनी परीक्षा देकर अपने गाँव लौट रहा था
एक पुलिस की जीप ने आकर किशोर से कहा चलो तुमसे कुछ बात करनी है
किशोर को थाने ले जाया गया
कई घंटे होने के बाद किशोर ने कहा कि आपको क्या पूछताछ करनी है बताइये तो सही
अब आप मुझे घर जाने दीजिए
इसके बाद किशोर को जबरदस्ती जीप में डाला गया और वहाँ से सौ किलोमीटर दूर जगदलपुर ले जाया गया
वहाँ किशोर को पुलिस आईजी कल्लूरी के सामने पेश किया गया
वहाँ पुलिस आईजी कल्लूरी ने उसे गालियाँ दी और बुरी तरह मारा
पुलिस आईजी कल्लूरी ने उसे धमकाया कि तू सोनी सोरी के साथ सरकार के विरुद्ध रैली में बहुत भाग लेता है ना ?
किशोर की जोरदार पिटाई के बाद पुलिस आईजी कल्लूरी ने किशोर से कहा कि अगर आज के बाद तूने सोनी सोरी की किसी भी रैली में भाग लिया तो तुझे गोली मार दूंगा
पुलिस आईजी कल्लूरी ने किशोर से यह भी कहा कि अपने गाँव के किसी भी आदिवासी के खिलाफ़ मुखबिरी करो और एक ना एक आदिवासी को नक्सली कह कर गिरफ्तार करवाओ
नहीं तो पच्चीस मई के बाद तुझे किसी भी मर्डर केस में जेल में डाल देंगे
इसके बाद किशोर को पुलिस आईजी कल्लूरी ने गाँव जाने के लिए कहा
इसके बाद किशोर ने अपनी परीक्षा नहीं दी
किशोर आपने गाँव में ही है
किशोर को मिली हुई धमकी की मियाद कल खत्म हो चुकी है
आज से पुलिस अधिकारी कल्लूरी किशोर का शिकार शुरू करेगा
इसी कल्लूरी ने सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी के खिलाफ़ फर्जी मामले बनाये थे
हमने तब भी सब कुछ पहले से ही लिख दिया था
लेकिन हम सोनी और लिंगा को को प्रतारणा से नहीं बचा पाए थे
सोनी के पति को भी फर्ज़ी मामलों में जेल में डाला गया लेकिन उसे अदालत ने निर्दोष पाया था
सोनी के पति की जेल में इतनी पिटाई करी गयी कि वह जेल के बाहर आते ही मर गया
अब फिर से हम सब की नजरों के सामने एक बदमाश पुलिस अधिकारी एक निर्दोष आदिवासी छात्र का
शिकार करेगा
और हम सब चुपचाप देखेंगे
हम और कर भी क्या सकते हैं ?
अगर इन आदिवासियों को नहीं मारा जाएगा तो हम पढे लिखे शहरी लोग क्या खायेंगे ?
हम ना तो आनाज उगाते हैं ना खनिज खोदते हैं
हम तो दूसरे की दौलत और दूसरों की मेहनत की कमाई खाने वाले लोग हैं
ये बदमाश पुलिस वाले हमारे लिए ही तो इन आदिवासियों को मार रहे हैं
ताकि इनकी ज़मीने छीनी जा सकें
अगर ज़मीन ना छीनी गयी तो उद्योग कैसे लगेंगे ?
हमें तनख्वाहें कहाँ से मिलेंगी
हमारी कार और शौपिंग मॉल कैसे चलेंगे ?
हमारी इस सब अय्याशी लिए आदिवासियों को मारा जाना ज़रूरी है
और इस सब के होते हुए हम सब का चुप रहना भी ज़रूरी है
आदिवासी हमारे गुलाम हैं
जैसे अफ्रीकी और अमरीकी आदिवासी गुलाम थे और बड़ी तादात में मार डाले गए
वैसे ही हम अपने देश के आदिवासियों को मार रहे हैं
हमारा प्रधानमंत्री वैसे तो आदिवासियों को हिंसा छोड़ कर लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में आने की बात करता है
लेकिन आदिवासी अपनी जान बचाने के लिए रैली भी करें तो वह घबरा जाता हैं
अब तो रैली करना भी नक्सलवाद बताया जा रहा है
हमारी नज़रों के सामने आदिवासियों का शिकार होता रहेगा
और हम अपने को लोकतान्त्रिक
धार्मिक और
सभ्य कहते रहेंगे
लेकिन हम में से कुछ लोग जिन्हें लोकतंत्र , और सभ्यता की चिंता है
वो इस सब के विरुद्ध आवाज़ ज़रूर उठाएंगे
किशोर अकेला नहीं है हम सब उसके साथ हैं

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