Thursday, May 28, 2015

आत्मसर्पण की सार्वजानिक घोषणा , बस ईनाम करोड़ का हो !!!









 बस्तर में रहकर “ कल्लूरी नीति “ की पोल खोल रहे कुछ निर्भीक , निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकारों पर शीघ्र शामत आने वाली है | मै किसी भी भाई को डरा नही रहा बल्कि सचेत कर रहा हूँ | जब “ कल्लू मामा “  हमारा मोबाईल तक रिकार्ड करा सकता है , तो थोडा बहुत पुलिस मुख्यालय में कुछ सूत्र तो अपने भी है | सूचना है कि कुछ पुरानी फर्जी शिकायतों को आधार बना बस्तर पुलिस कुछ पत्रकारों को कानूनी जाल में उलझाने वाली है | ये शिकायतें उन लोगों की है जिनका भांडा निष्पक्ष पत्रकारिता के दौरान फुट गया था , इन पर कार्यवाही तो नहीं हुई बल्कि अब इन्ही की फर्जी शिकायतों को आधार बनाकर  कार्यवाही का आदेश कल्लू माम़ा ने मौखिक तौर पर सभी पुलिस अधीक्षक को जारी कर दी है | सूत्रों के अनुसार दक्षिण बस्तर में इस कल्लूरी नीति का पहला शिकार प्रभात सिंह होने वाला है | बाकी भी अपनी तैयारी रखें |
  











 रह गयी बात मेरी , तो मै आप सभी को बताये देता हूँ कि मै “ कल्लू मामा “ से काफी प्रभावित और डरा सा महसूस कर रहा हूँ | पिछले एक सप्ताह से कल्लू मामा की कई बहनों मतलब मेरी “ मौसियों “ ने मुझे “ कल्लू चरित्र “ की कहानियाँ सुनाकर  ईतना डरा दिया है कि मैंने कल्लू मामा की सरेंडर पालिसी के तहत आत्म समर्पण करने की पूरी मानसिकता बना ली है | वैसे भी कल्लूरी के “ आईटी सेल के कुछ विभागीय बकोलचंद लोग मुझे कोई बड़ा नक्सली नेता ठहराने में लगे हुए हैं | मै अपने उन “ मौसियों “ से गुजारिश कर रहा हूँ कि मुझपर ईनाम की राशि कम से कम एक करोड़ रखी जाए ( बाँट लेंगे आधा-आधा ) | और हाँ !! ईनाम की राशि तो दो पहले , क्योकि बाकी आत्म सर्पण वालों को तो ठग ही दिया | आज तक पिछले पांच साल में  आत्म समर्पित हुए नक्सलियों को अब तक ईनाम की राशी नहीं मिल पायी है सो अलग बात है | दूसरी बात जो स्पष्ट कर ही देता हूँ कि बाकी आत्म समर्पित हार्डकोर को बस पांच हजार का वेतन देकर नजर बंदी में जीने और रोज एक मुंडी लाने के लिए मजबूर करके रखा गया है , वैसा भी मेरे साथ नहीं करना तब ही ना | जी हाँ मै पहले से ही बताये देता हूँ कि अगर मुझपर नक्सलियों से मिलीभगत या हार्डकोर होने का कोई आरोप लगाया जाना है ( जैसा कि सूत्र ) तो सार्वजनिक रूप से पहले से ही घोषणा किये देता हूँ कि प्रदेश सरकार की समर्पण नीति के तहत आत्मसमर्पण के लिए तैयार हूँ ( ताकि वक्त जरुरत पे काम आये ) बाद में नहीं कहना कि मैंने मना किया था |

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