Thursday, May 28, 2015

गागड़ा के क्षेत्र बीजापुर में नमक के लिए 40 किमी का सफर

गागड़ा के क्षेत्र बीजापुर  में नमक के लिए 40 किमी का सफर

Posted:   Updated: 2015-05-28 12:42:27 ISTBijapur : 40 km journey to the salt in Gagada area
भैरमगढ़ में स्कूल, शिक्षक, सड़क, पानी और यहां तक कि राशन दुकान तक नहीं है। अव्यवस्था का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को सिर्फ नमक के लिए 30 से 40 किमी तक पैदल चलकर भैरमगढ़ आना पड़ता है।
जगदलपुर/बीजापुर/भैरमगढ़. महेश गागड़ा को मंत्री बनाकर भाजपा ने भले बस्तर को महत्व देने की कोशिश की हो, लेकिन गागड़ा के निर्वाचन क्षेत्र बीजापुर में इसे लेकर कोई उत्साह नहीं है। दरअसल, विधायक बनने के बाद गागड़ा से अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूरी बना रखी है। क्षेत्र में होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में वे सरकारी हेलिकॉप्टर से आते हैं और कार्यक्रम निपटाकर लौट जाते हैं।
क्षेत्र के निवासियों और वहां के विकास के बारे में बीते डेढ़ सालों में उन्होंने कोई कदम नहीं उठाए हैं, परिणामस्वरूप उनके गृहग्राम भैरमगढ़ में स्कूल, शिक्षक, सड़क, पानी और यहां तक कि राशन दुकान तक नहीं है। अव्यवस्था का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को सिर्फ नमक के लिए 30 से 40 किमी तक पैदल चलकर भैरमगढ़ आना पड़ता है। हालत यह है कि भैरमगढ़ की आधी आबादी गागड़ा को जानती तक नहीं है।
मंत्री बनने के बाद गागड़ा बुधवार को पहली बार बस्तर आ रहे हैं। इस दौरान वे अपने निर्वाचन क्षेत्र जाएंगे अथवा नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र का करीब साढ़े छह साल से� प्रतिनिधित्व कर रहे� गागड़ा का कामकाज कैसा रहा, पत्रिका ने इसकी पड़ताल की, तो हैरान कर देने वाली बीतें सामने आईं। वहां लोगों का कहना है� कि मंत्री बनने से गागड़ा से कोई उम्मीद नहीं है। बातचीत में लोगों में नाराजगी दिखी और उनका गुस्सा उभरकर सामने आया।
गागड़ा ने बनाई दूरी

बिरियाभूमि में� कुप्पो� ने बताया कि गागड़ा जब विधायक नहीं थे, तब उसकी बेटी के अन्नप्राशन में यहां आकर रात भर रुके थे, पर विधायक बनने के बाद से उन्होंने खुद को रायपुर तक समेट लिया है। इसके बाद वे कभी इलाके में झांकने तक नहीं आए, कभी आते भी हैं तो भैरमगढ़ तक ही आना होता है।
नदी पार स्थिति बदतर
इसी ब्लॉक के पंचायत इतानपार की दशा और भी खराब बताई गई। हम इतानपार पहुंचे पर इसके आश्रित गांव इंद्रावती नदी के दूसरी ओर थे। पुल नहीं होने से वहां तक पहुंचना मुमकिन था। बताया गया कि भैरमगढ ब्लॉक के नदी पार के इन गांवों में हालत बहुत खराब है। छोटेपल्ली, बड़ेपल्ली, आंगमेटा, लेकाड़े, बोडग़ा, आलवाड़ा समेत दर्जनों गांव तक विकास नहीं पहुंचा है। यहां के लोगों को� हर जरूरत के लिए भैरमगढ़ तक आना पड़ता है। नमक के लिए� करीब तीस से चालीस किमी पैदल सफर करते हैं।
नहीं जानते विधायक को
बिरियाभूमि से करीब चार किमी दूर आदवाड़ा की मनकी व बुधनी फरसा ने हमसे ही पूछ लिया कि यह विधायक क्या होता है। इस पर हमने उनसे बताया कि महेश गागड़ा क्षेत्र के विधायक हैं और अब वन मं़त्री बन गए हैं। हमने बताया कि वे सरकार का हिस्सा है, इस पर उन्होंने न में सर हिलाते कहा कि यदि वे सरकार हैं तो वे फिर आज तक हमसे मिलने क्यों नहीं आए। हमारी जिंदगी तो बिना उनके ही चल रही है। हम तो सरपंच को जानते हैं। यहीं सवाल हम रास्ते भर लोगों से पूछते रहे पर ज्यादातर लोगों का जवाब न ही था।
रोशनी का इंतजार
1 भैरमगढ़ इलाके के एक गांव में� कच्चे मकान में विकास की रोशनी का इंतजार करता परिवार।
2. क्षेत्र में पक्की सड़कों का दूर दूर तक निशान तक नहीं है।
3. सरप्लस स्टेट में चिमनी से घर रोशन करता आदिवासी।

सरकार का नामो-निशान नहीं

मुख्यालय से करीब दो किमी दूर डामर की पक्की सड़क कच्ची सड़क में तब्दील हो गई। जैसे-जैसे सफर आगे बढ़ता गया रास्ता बदतर होता चला गया। इस बीच रास्ते में एक स्कूली बच्चे ने बताया कि इलाके के सभी बच्चे आश्रम में ही पढ़ते हैं। गांव में न स्कूल है और न ही शिक्षक यहां तक आ पाते हैं़। आगे बढऩे पर जगह-जगह सड़क कटी हुई दिखाई दी। बच्चे ने बताया कि आठ-नौ साल पहले सलवा जुडूम के समय माओवादियों ने सड़क काट दी थी, जिसे अब तक सुधारा नहीं गया है। भटवाड़ा, डालेर, बिरियाभूमि, आदवाड़ा होते हुए बीस किमी दूर स्थित हिंगुम इलाके तक पहुंचने तक केवल हैण्डपंप ही दिखाई पड़ा। सड़क, बिजली भी मुख्यालय से तीन किमी दूर भटवाड़ा तक ही है। इसके अलावा अस्पताल, स्कूल, राशन दुकान या किसी सरकारी संस्था का कोई नामो-निशान नहीं था। इस पूरे इलाके में कोई दुकान तक नहीं मिली। लोगों ने बताया कि एकमात्र बाजार शुक्रवार को भैरमगढ़ में लगता है। वहीं से रोजमर्रा की चीजें वे लेकर आते हैं।
- अनिमेष पॉल

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