Thursday, May 21, 2015

'जुडूम' ने घर फूंका, तो बना माओवादी

'जुडूम' ने घर फूंका, तो बना माओवादी

Posted:   Updated: 2015-05-20 23:49:47 ISTjagdalpur:
भैरमगढ़ क्षेत्र के बोदली निवासी मंतुगोंदे ने  बताया कि 2006 में जुडूम के लोगों ने मेरे घर का समान लूट लिया और घर को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान हम जान बचाने के लिए भागकर माओवादी संगठन में शामिल हो गए।
जगदलपुर/बीजापुर. सोमवार को अपनी पत्नी सविता सोढ़ी के साथ आत्मसमर्पण करने वाले� माओवादी मंतु गोंदें ने संगठन में बिताए अपने 9 साल के अनुभव को बुधवार को मीडिया के सामने बयान किया। भैरमगढ़ क्षेत्र के बोदली निवासी मंतुगोंदे ने� बताया कि 2006 में जुडूम के लोगों ने मेरे घर का समान लूट लिया और घर को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान हम जान बचाने के लिए भागकर माओवादी संगठन में शामिल हो गए। जहां माओवादी नेता निर्मलक्का ने पीडिया जनमिलिशिया में हमें संघम सदस्य के रूप में शामिल किया। ���
इन वारदातों को दिया अंजाम
मंतुगोंदे ने कबूल किया कि गंगालूर राहत शिविर किरन्दुल माइन्स, सोमनपल्ली की घटना, करकेली बाजार, तोयनार मेला, बड़े काकलेर, इत्यादि माओवादी घटना में शामिल रहा।
दो वर्ष पूर्व विवाह
माओवादी दलम में रहते हुए दो वर्ष पूर्व कमकानार की सविता सोढी से विवाह किया। सविता सोढी प्लाटून न. 2 सेक्सन बी की डिप्टी कमाण्डर थी। माओवादी दलम में शामिल होने के पूर्व मंतुगोंदे ग्राम बोदली में अपने तीन बच्चे एवं पहली पत्नी के साथ रहता था। उसकी पहली पत्नी एवं तीन बच्चे आज भी ग्राम बोदली में रहते हैं। मंतुगोंदे माओवादी बनने के बाद कुटरू, सेन्ड्रा एवं फरसेगढ़ क्षेत्र में सक्रिय था। इस दौरान वह एके-47 जैसे हथियार रखता था।
मुठभेड़ से डरकर समर्पण
समर्पित मोवादी मंतुगोंदे का कहना है कि माओवादियों के साथ रहकर दिन-रात जंगलों में घूमने और सुरिक्ष ठिकाना नहीं होने के कारण मुठभेड़ का डर बना रहता था, जिसके कारण मेरा मन विचलित हो गया।� इसी वजह से� मैंने अपनी दूसरी पत्नी के साथ आत्मसमर्पण करने का मन बनाया। अब मैं मुख्यधारा से जुड़कर जीवनयापन करना चाहता हूं।
पांच लाख के ईनामी कमांडर का समर्पण
दंतेवाड़ा. मुख्यालय में बुधवार को पांच लाख के इनामी माओवादी किरण पोटाम ने सेल्फ लोडिंग रायफल समेत पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। शासन द्वारा पुनर्वास नीति के तहत एक लाख 50 हजार और एसएलआर हथियार� का एक लाख 50 हजार रुपए माओवादी किरण को ईनाम के तौर पर दिया जाएगा। उपरोक्त माओवादी एलजीएस कमांडर था। इस दौरान आईजी बस्तर एसआरपी कल्लूरी, एसपी कमलोचन कश्यप मौजूद थे। इसके अलावा माओवादी किरण ने दो नग मैग्जीन और 47 जिंदा राउंड भी समर्पण किया।
मिलती गई पदोन्नति
गोंदें ने बताया कि इस दौरान मैं 2007 से 2008 तक मिलिशिया का प्लाटून कमांडर रहा। 2008 से 2009 तक गंगालूर एलजीएस में डिप्टी कमांडर रहा 2009 से 2011 तक प्लाटून न. 12 में सेक्सन-बी का कमाण्डर रहा 2013 से समर्पण तक प्लाटून न. 2 में कमांडर के पद पर कार्यरत था।

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